शाहजहां की बहु की कब्र का मामला पहुंचा MP हाई कोर्ट, वक्फ बोर्ड को लेकर क्या बोले जज

शाहजहां की बहु की कब्र का मामला पहुंचा MP हाई कोर्ट, वक्फ बोर्ड को लेकर क्या बोले जज
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शाहजहां की बहु की कब्र का मामला पहुंचा MP हाई कोर्ट, वक्फ बोर्ड को लेकर क्या बोले जज

केंद्र सरकार द्वारा बुरहानपुर किले में स्थित स्मारकों को प्राचीन और संरक्षित घोषित किया जा चुका है।

मध्यप्रदेश। शाहजहां की बहु की कब्र का मामला बीते मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) में निपटाया गया। जस्टिस गुरपाल सिंह आहलूवालिया की एकल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। यह पूरा मामला स्वामित्व के दावे को लेकर किया गया था। जस्टिस गुरपाल सिंह आहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड के दावे को नकारते हुए अहम टिप्पणी की। आइए जानते हैं क्या है मामला।

MP हाई कोर्ट, ने कहा कि, वक्फ बोर्ड बुरहानपुर किले में स्थित स्मारकों पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता। केंद्र सरकार द्वारा बुरहानपुर किले में स्थित स्मारकों को प्राचीन और संरक्षित घोषित किया जा चुका है। वक्फ बोर्ड द्वारा शाह शुजा, नादिर शाह और बीवी साहिबा के मकबरे पर दावा किया जा रहा था।

शाह शुजा, नादिर शाह और बीवी साहिबा के स्मारक को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 1 और 3 के तहत संरक्षण प्रदान किया गया था। ऐसे में कोर्ट का मानना है कि, वक्फ बोर्ड, बोर्ड वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 5 (2) के तहत क्लेम नहीं कर सकता।

पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने बताया कि, बुरहानपुर किले में जो शाह शुजा का मकबरा है वो दरअसल, बेगम बिलकिस का मकबरा है। बेगम बिलकिस, शाहजहां के बेटे शाह शुजा की पत्नी थीं। बच्चे को जन्म देते समय उनकी मौत हो गई थी। फारुकी वंश के दसवें सुल्तान मुहम्मद शाह फारुकी द्वितीय का मकबरा गलती से नादिर शाह का मकबरा बता दिया गया है। इसी तरह, बीबी साहेबा मस्जिद का निर्माण संभवतः रानी बेगम रुकैया ने कराया था, जो गुजरात के सुल्तान की बेटी थीं।

वक्फ बोर्ड ने 2013 में इन्हे घोषित किया था अपनी संपत्ति :

मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा, साल 2013 में इन स्मारकों को आदेश जारी अपनी संपत्ति घोषित की थी। केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के इस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था।

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