एकनाथ शिंदे ने ठुकराया उद्धव ठाकरे का ऑफर, कहा - भाजपा से गठबंधन पर ही करेंगे घर वापसी

एकनाथ शिंदे ने ठुकराया उद्धव ठाकरे का ऑफर, कहा - भाजपा से गठबंधन पर ही करेंगे घर वापसी
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शिवसेना के 25 विधायक पहुंचे गुजरात

मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे से चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बाद नाराज नेता एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में वापसी से साफ इंकार कर दिया है। इससे शिवसेना में अब चौथी बड़ी फूट की प्रबल संभावना बन गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को साफ शब्दों में कहा कि वे कांग्रेस-राकांपा के साथ संबंध तोड़ दें और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएं। इसी बीच मुख्यमंत्री आवास पर महाविकास आघाड़ी के नेताओं की बैठक में उपस्थित सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में विश्वास जताया है।

जानकारी के अनुसार सोमवार को विधानपरिषद का चुनाव होने के बाद शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे 17 शिवसेना विधायक तथा दो निर्दलीय विधायकों सहित गुजरात के सूरत पहुंच गए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनके साथ 35 विधायक हैं । इसके बाद शिवसेना विधायकों तथा पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई और एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल नेता पद से हटा दिया। इसके बाद एकनाथ की नाराजगी दूर करने के लिए शिवसेना ने सचिव मिलिंद नार्वेकर तथा रविंद्र फाटक को सूरत भेजा गया। एकनाथ शिंदे ने इन दोनों नेताओं से एक घंटे तक चर्चा की और कहा कि शिवसेना को कांग्रेस -राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ संबंध तोड़ दें। बताया जा रहा है कि इसके बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाए। इसी तरह की बात एकनाथ शिंदे ने उस समय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की। एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री से साफ कहा है कि भाजपा के साथ ही शिवसेना की सरकार बनने के बाद ही शिवसेना में लौट सकते हैं। एकनाथ शिंदे ने उन्हें विधायक नेता पद से हटाए जाने पर भी नाराजगी जताई। हालांकि शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि शिवसेना में इस तरह का प्रस्ताव नहीं चलता है। शिवसेना में पक्ष अध्यक्ष का आदेश ही अंतिम होता है। इसलिए एकनाथ शिंदे का शिवसेना वापसी का रास्ता बंद हो जाने की जोरदार चर्चा की जा रही है।

अब तक पड़ी फूट -

इससे पहले शिवसेना 1991 में छगन भुजबल ने 26 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ा था। इसके बाद 2005 में नारायण राणे ने 11 विधायकों के साथ शिवसेना पार्टी छोड़ दिया था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे ने वर्ष 2007 में शिवसेना छोड़ दिया था। जबकि आज फिर से शिवसेना में चौथी फूट की संभावना बन गई है।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में विश्वास -

इसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में महाविकास आघाड़ी के नेताओं की बैठक हुई । इस बैठक में उपस्थित सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में विश्वास जताया है। राजस्व मंत्री तथा कांग्रेस पार्टी के नेता बालासाहेब थोरात ने कहा कि एकनाथ शिंदे का मामला शिवसेना का अंतर्गत मामला है। महाविकास आघाड़ी के सभी नेता मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ हैं। इसलिए एकनाथ शिंदे की वजह से महाविकास आघाड़ी सरकार पर कोई असर नहीं होगा। इस तरह का प्रयास पिछले ढ़ाई साल में कई बार किया जा चुका है।

यह विधायक हुए बागी -

1. एकनाथ शिंदे -कौपरी, 2. अब्दुल सत्तार- सिल्लोड -औरंगाबाद, 3. शंभूराज देसाई - सतारा, 4. संदीपन भुमारे - पैठन-औरंगाबाद, 5. उदयसाह राजपूत - कन्नड़-औरंगाबाद, 6. भरत गोगावले - महाद - रायगढ़, 7. नितिन देशमुख- अकोला, 8. अनिल बाबर - खानापुर - अटपडी - सांगली, 9. विश्वनाथ भोइर - लियन वेस्ट, 10. संजय गायकवाड़ - बुलढाणा, 11. संजय रामुलकर - मेहकर, 12. महेश सिंधे - कोरेगांव - सतारा, 13. शाहजी पाटिल - संगोला - सोलापुर, 14. प्रकाश अबितकर - राधापुरी - कोल्हापुर, 15. संजय राठौड़ - डिग्रास - यवतमाल, 16. ज्ञानराज चौगुले - उमरगास - उस्मानाबाद, 17. तानाजी सावंत - परोदा - उस्मानाबाद, 18. संजय शिरसत - औरंगाबाद पश्चिम, 19. रमेश बोर्नेर।

सरकार पर खतरा -

2019 के चुनाव के नतीजे आने पर शिवसेना ने शिंदे को विधायक दल का नेता बनाया था। वह बाल ठाकरे के समय से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्हें हाल ही में महाराष्ट्र में राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में शिवसेना द्वारा दरकिनार कर दिया गया था। तब वे आहत हैं। महाराष्ट्र में अगर 13 विधायकों ने बगावत कर दी तो सरकार गिर जाएगी। उद्धव ठाकरे को अभी राज्य में 153 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों की जरूरत है, क्योंकि अभी एक सीट खाली है। अगर शिवसेना में फूट पड़ती है तो कांग्रेस के कुछ विधायक दलबदल कर सकते हैं।

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