"क्या लोगों की जान बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ केंद्र सरकार की है"

क्या लोगों की जान बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ केंद्र सरकार की है

नईदिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर अब धीमा पड़ने लगा है। दूसरी लहर के पीक पर पहुंचने के समय कई राज्यों में ऑक्सीजन और दवाइयों की किल्ल्त सामने आने लगी थी। ऐसे समय कई राज्यों ने आवशयक मेडीकल सुविधाओं के लिए इंतजाम करना शुरू किए,वहीँ दूसरी ओर कई राज्य महामारी से निपटने के प्रयास करने के स्थान पर केंद्र सरकार पर मदद ना करने का आरोप लगाते रहे और ऑक्सीजन और मेडिकल सुविधाओं की मांग कार राजनीति करते रहे।

दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने अपंने राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते रहे। ये सभी राज्य समय पर दवाइयां, ऑक्सीजन उपलब्ध ना कराने का सरकार पर आरोप लगा रहे थे। इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के साथ हुई एक बैठक का प्रसारण करा दिया था। ये बैठक में आपदा से निपटने के लिए सुझाव और अनुभवों के आदान -प्रदान के विषय पर हो रही थी। इस बैठक में केजरीवाल प्रोटोकॉल तोड़ते हुए सुझाव देने के स्थान पर टीवी पर केंद्र सरकार से ऑक्सीजन देने की गुहार कर अलग तरह की राजनीति करते नजर आए थे।

मृतकों के लिए घोषणा -

वहीँ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी प्रधानमंत्री पर कोरोना से जुड़ी समस्याओं को ना सुनने का आरोप लगाया था। इसके आलावा पंजाब और राजस्थान की सरकारें भी पत्र लिख केंद्र से मदद की गुहार करती रही। संकट की घड़ी में जनता के बचाव के लिए प्रयास ना करने के स्थान पर महामारी से मरने वालों के लिए योजना तैयार कर रहे थे। झारखंड सरकार ने कोरोना से मरने वालों को मुफ्त कफ़न देने की घोषणा की है, वही दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना से मरने वालों को मुफ्त लकड़ियां देने की घोषणा की है। इसी कड़ी में राजस्थान गहलोत सरकार कोरोना मृतकों की अस्थियां विसर्जन करा रही है।

जान बचाने की जिम्मेदारी -

यदि ये सरकारें आपदा से निपटने के लिए सही समय पर उपाय खोजती तो आज मृतकों के लिए ऐसी योजनाएं तैयार करने की स्थिति नहीं बनती। ये सरकारें संकट काल में पूरे समय केंद्र सरकार पर आरोप लगाती रही। वहीँ केंद्र सरकार प्रधानमंत्री के निर्देशों पर राज्यों को समय पर दवाइयां, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर पहुंचाने का कार्य करती रही, ताकि अधिक से अधिक लोगों के प्राण बचाएं जा सकें। ऐसे में सोशल मीडिया पर ये सवाल ये उठ रहा है की क्या लोगों की जान बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की ही है। क्या राज्य सरकारों का काम मरने वालों के लिए योजना तैयार करना है।

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