विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2024 पर विशेष: आत्महत्या की रोकथाम के लिए पहला कदम है जागरूकता…
लखनऊ| हर साल लाखों लोग मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत चुनौतियों के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर होते हैं। आत्महत्या को लेकर जागरूकता बढाने को लेकर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 10 सितंबर, 2024 को विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
यह आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस बार इस दिवस की थीम है ‘नैरेटिव बदलें" जोकि एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि आत्महत्या के बारे में हमारी सोच बदलने की जरूरत है। इस थीम का उद्देश्य आत्महत्या से जुड़े मिथकों को तोड़ना, जागरूकता बढ़ाना और समर्थन के लिए एक ऐसा माहौल का तैयार करना है जिससे आत्महत्याओं को रोका जा सके। इस सम्बन्ध में राज्य कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थय कार्यक्रम कि तरफ से सभी जिलों को इस दिवसपर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए पत्र जारी किया गया है |
उत्तर प्रदेश में 8,176 आत्महत्याएँ हुई दर्ज
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक्सीडेंटल डेथ एवं सुसाइड रिपोर्ट 2022 के अनुसार देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की दर 3.5 है | राज्य में 2022 में कुल 8,176 आत्महत्याएँ दर्ज कीं गयी, जिसमें 5225 संख्या पुरुषों की रही, वही 2951 आत्महत्या महिलाओं द्वारा कीं गयी | जिसमें से 1631 आत्महत्या गृहिणियों की रही, 5162 शादीशुदा जोड़ो की, 1521 बेरोजगार व्यक्ति और 1060 छात्रों कि रही । यह दिखाता है कि सामाजिक और मानसिक दबाव, पारिवारिक समस्याएं और वित्तीय तनाव आत्महत्याओं के पीछे मुख्य कारण हैं।
इन पांच राज्यों से आत्महत्या के मामलों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी
आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र की संख्या 22,746 है वही तमिलनाडु में 19,834, मध्य प्रदेश में 15,386, कर्नाटक में 13,606, बंगाल में 12669 में आत्महत्या के मामलों की संख्या रही। देश में होने वाली कुल आत्महत्या के मामलों में 49.3 प्रतिशत आंकड़े सिर्फ इन पाँच राज्यों से है |
विशेषज्ञ की सुने -
केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी बताते है कि लोग आत्महत्या का प्रयास आवेश में आकर करते है जैसे पारिवारिक झगड़े के बाद, लडाई, ब्रेकअप आदि अगर व्यक्ति कुछ पलों के लिए उस बात से भटक जाए तो ऐसा नहीं करेगा इसलिए सामान्यता सभी को यह सलाह ही जाती है कोई व्यक्ति यदि परेशान है तो उसकी बात सिर्फ सुन ली जाये | उसे यह जताएं कि हम उसकी परिस्तिथि को समझ रहे है | यह तरीका उस व्यक्ति के तनाव को कम करने में सहायक हैं | हमेशा परेशान व्यक्ति को अपनी राय देना ठीक नहीं है|
डॉ. त्रिपाठी बताते है कि आत्महत्या से जुड़ें मुद्दों में सामाजिक दबाव और पारिवारिक कारण सबसे महत्वपूर्ण हैं और इसमें लगभग 30 प्रतिशत अतिरिक्त योगदान मानसिक बीमारियों का है जैसे डिप्रेशन, एंग्जायटी, सायकोटिक डिसऑर्डर, नशे के सम्बंधित बीमारियाँ जोकि आत्महत्या से सम्बंधित व्यवहार को बढ़ावा देती है | ऐसे में मानसिक बीमारियों की पहचान और सही समय पर इलाज़ करवाना भी सुसाइड के केसेस को पर्याप्त ढंग से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है |