जेपी सेंटर में भ्रष्टाचार का आरोप: 'मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ है, क्या मेरे हक़ में फैसला देगा... पढ़ें स्वदेश की विशेष रपट
अतुल मोहन सिंह, लखनऊ। 'मेरा क़ातिल ही मेरा मुन्सिफ़ है, क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा। इश्क़ का ज़हर पी लिया ‘फ़ाकिर’, अब मसीहा भी क्या दवा देगा।' सुदर्शन फ़ाकिर की यह शेर लखनऊ के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) पर एकदम मौजू है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जेपी की जयंती पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया। आरोप है कि योगी सरकार जेपी सेंटर को बेचना चाहती है।
सपा शासनकाल में इस सेंटर को 860 करोड़ रुपये से बनाया गया था, हालांकि जांच और सियासत के चलते अब जेपी सेंटर खंडहर में तब्दील हो चुका है। परिसर में झाड़ियां उग आई हैं। जेपी सेंटर में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। गबन की गेंद भाजपा-सपा दोनों ही एक-दूसरे के पाले में यदा-कदा डालते रहते हैं। जेपी जयंती पर शुक्रवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एक बार फिर यह आरोप उछाला, 'सुनने में आ रहा है 70 करोड़ से भी ज्यादा का पेमेंट हुआ है उसके बाद भी जेपी सेंटर नहीं खुला, इसका मतलब यह है कि कुछ न कुछ यह लोग छुपाना चाहते हैं।' भाजपा तो 2012 से ही सपा मुखिया पर 860 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाती ही रही है।
आइए, एक बार फिर लौटते हैं फ़ाकिर के शेर पर... जिस जेपी सेंटर के भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा 12 बरस (2012-2024) से सपा पर हमलावर है, उस कंपनी के कर्ता-धर्ता संजय सेठ अब भाजपा के माननीय हैं। वह भाजपा के समर्थन से दूसरी बार भी उच्च सदन (राज्यसभा) में सुशोभित हैं। संजय सेठ 2019 से भाजपा के पदाधिकारी हैं। इसके पहले वह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबियों में गिने जाते रहे हैं। बाद में अखिलेश के भी सिपहसालार रहे। सपा के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। सपा ने उन्हें 2016 में राज्यसभा भेजा था। 2019 में बीजेपी का दामन थामने के पहले सेठ ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बीजेपी ने संजय सेठ की खाली हुई सीट पर उनको ही वापस राज्यसभा भेजा। वह 2016 से 2022 तक राज्यसभा सदस्य रहे। 2022 में कार्यकाल खत्म होने के बाद संजय सेठ को भाजपा ने दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा। 2024 के चुनाव में भाजपा ने उन पर दांव खेला। उन्हें आठवें प्रत्याशी के रूप उतारा गया। सेठ सपा के सात विधायकों के क्रॉस वोट से दोबारा तीसरी बार उच्च सदन पहुंचने में कामयाब हो गए।
कैग की रिपोर्ट में हुआ था बड़ा खुलासा : जेपी सेंटर को बनाने में किसी तरह का भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ, इसे लेकर कैग ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में बड़े चौकाने वाले दावे किए गए थे। कहा गया था कि बिना टेंडर के ही कई काम करवाए गए थे। इस सेंटर के लिए सिर्फ़ एसी सिस्टम देखने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के कई अधिकारी चीन घूमने चले गए थे। जिनमें दो आईएएस अफसर भी शामिल थे। 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद जेपीएनआईसी के निर्माण पर रोक लगा दी गई। मामला हाईकोर्ट भी गया पर रोक अभी जारी रही। अखिलेश सरकार ने इसे बनाने का ठेका शालीमार कंपनी को दिया था, जिसके चेयरमैन संजय सेठ अब भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं। तब वे समाजवादी पार्टी के कोषाध्यक्ष थे। संजय सेठ को अखिलेश का करीबी नेता माना जाता था ,वह समाजवादी पार्टी में भी राज्यसभा सांसद रहे हैं।
शालीमार ने किया था निर्माण : सपा शासनकाल में साल 2012 में इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र का निर्माण शुरू हुआ था, साल 2017 तक इस पर 860 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे। रियल एस्टेट कंपनी शालीमार ने इसका निर्माण किया। 17 मंजिल की इस इमारत में पार्किंग, जेपी नारायण से जुड़ा एक म्यूजियम, बैडमिंटन कोर्ट, लॉन टेनिस खेलने की व्यवस्था है। यहां ऑल वेदर स्वीमिंग पूल भी बनाया गया है। 100 कमरों का गेस्ट हाउस भी तैयार किया गया है। खास बात यह है कि 17वीं मंजिल पर एक हेलीपैड है।
योगी सरकार में रुका निर्माण कार्य : 2017 तक जेपी सेंटर का 80 फीसदी काम पूरा हो गया था। योगी सरकार बनने पर इसका निर्माण रुक गया। निर्माण कार्य में गड़बड़ी मिलने पर योगी सरकार ने जांच बैठा दी। जांच के चलते इसका पूरा निर्माण नहीं हो सका। अब यहां महंगी टाइल्स के बीच झाड़ियां उग आई हैं। नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है। शाम होते ही यहां नशेड़ी जमा होने लगते हैं। सपा का आरोप है कि जेपी सेंटर के अंदर जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा है, साथ ही कुछ ऐसी चीजें हैं जिसे लोग आसानी से समाजवाद को समझ सकते हैं, योगी सरकार इसे निजी कंपनी के हाथों बेचना चाहती है।
तीन बार हो चुकी है मामले की जांच : तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2016 में जेपीएनआईसी का उद्घाटन किया, पर यह महत्वाकांक्षी परियोजना सफेद हाथी बनकर रह गया। अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल जेपीएनआईसी काफी विवादों में रहा है। उस समय विपक्ष में रही मौजूदा सत्ताधारी बीजेपी ने इस परियोजना पर पानी की तरह पैसा बहाने का आरोप लगाया था। 2017 में योगी सरकार आने के बाद पिछली सरकार की जिन परियोजनाओं को रोककर जांच कराई गई थी। उसमें जेपीएनआईसी भी शामिल है। वहीं, जेपीएनआईसी की बढ़ी लागत की तीन बार जांच हो चुकी है। दो बार शासन स्तर से जांच हुई तो एक बार राइट्स ने जांच की। जांच कमेटी ने इसमें तत्कालीन लखनऊ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष, चीफ इंजीनियर और फाइनेंस कंट्रोलर सहित कई अफसरों को दोषी माना है, हालांकि जांच अब भी चल रही है।
कई बार बढ़ा बजट, फिर भी काम ठप : बताया जा रहा है कि जेपीएनआईसी को मौजूदा हालत में ही खोलने की तैयारी चल रही है। शासन के निर्देश पर एलडीए को प्रस्ताव बनाने के लिए कहा जा चुका है। 2017 में जांच शुरू हुई थी तब ये यहां काम ठप पड़ा है। इसकी वजह से यहां लगे उपकरण खराब हो गए हैं। झाड़ियां उग आई है, फॉल्स सीलिंग भी टूट गई है। कन्वेंशन सेंटर, पार्किंग, म्यूजियम ब्लॉक और स्विमिंग पुल बर्बाद हो गया है।
निर्माण शुरू होने से पहले जेपीएनआईसी की अनुमानित लागत 265.58 करोड़ रुपये तय की गई थी। साल 2014 में 350 करोड़, साल 2015 में 142 करोड़ रुपये और साल 2016 में 107 करोड़ रुपये और बढ़ाकर इसकी लागत 864.99 करोड़ रुपये कर दी गई थी। इसके बाद साल 2023 में एलडीए ने शासन से 60.43 करोड़ रुपये मांगे थे।
लग्जरी होटल, जिम, स्पा, सैलून, रेस्तरां शामिल : जेपीएनआईसी 18.6 एकड़ में फैला है और इसमें अनेक सुविधाएं हैं, जिनमें कन्वेंशन हॉल, 107 कमरों वाला एक लग्जरी होटल, एक जिम, स्पा, सैलून, रेस्तरां, 2,000 सीटों वाला कन्वेंशन हॉल, एक ओलंपिक साइज का स्विमिंग पूल, 591 गाड़ियों के लिए एक सात मंजिला कार पार्क और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के जीवन और विचारधारा को समर्पित एक संग्रहालय शामिल हैं।
मुलायम बनवाना चाहते थे जेपी के नाम पर स्मारक : पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर लखनऊ में स्मारक (सेंटर) बनवाया जाए। इसके लिए सभी तरह की तैयारी पूरी कर ली गई थी, पर इससे पहले कि इस सेंटर का काम शुरू हो पाता मुलायम सिंह की सरकार चली गई। मायावती की नई सरकार आने की वजह से ये सपना अधूरा रह गया। हालांकि, जब 2012 में प्रदेश में अखिलेश की सरकार आई तो उन्होंने पिता मुलायम सिंह यादव के सपने को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लखनऊ में लोहिया पार्क के एक हिस्से में इसे बनाने का फैसला किया। यह पार्क लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी का था, इसलिए इस सेंटर को बनाने की जिम्मेदारी भी उसे ही दी गई।
पांच सितारा होटल भी बनवाना चाहते थे अखिलेश : मुलायम की इच्छा पूरी करने के लिए बेटे अखिलेश ने जेपी सेंटर बनाने की जिम्मेदारी उठाई तो उन्होंने इसके अंदर पांच सितारा होटल, स्विमिंग पुल, क्लब, म्यूजिमय, रेस्टोरेंट और स्पोर्ट्स सेंटर भी बनवाने का फैसला किया। इसके लिए उस दौरान बजट रखा गया 178 करोड़ रुपये का। साथ ही ये भी तय किया गया कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा। बाद में इसका बजट 178 करोड़ रुपये से बढ़कर 864 करोड़ रुपये का हो गया।