श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवादित परिसर के सर्वे पर लगी अंतरिम रोक रहेगी जारी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर SC में सुनवाई टली
Sri Krishna Janmabhoomi Case : उत्तरप्रदेश। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नवंबर महीने के लिए टली। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, फिलहाल विवादित परिसर के सर्वे पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी। SC ने यह भी कहा कि इलाहबाद हाई कोर्ट ने सभी मुकदमों को सुनवाई योग्य ठहराया है। उस आदेश के अध्ययन के बाद ही आगे सुनवाई होगी। मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुननी होंगी।
बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) द्वारा मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि (Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह विवाद (Shahi Idgah) मामले की सुनवाई की गई थी। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने हिंदू पक्ष के दावे को सुनवाई योग्य माना था और कहा था कि सुनवाई जारी रहेगी।
कृष्ण जन्मभूमि मामले में सीपीसी आदेश 7 नियम 11 में हिंदुओं के मुकदमे को खारिज करने के लिए मुसलमानों के आवेदन को अदालत ने खारिज कर दिया था। अदालत ने माना था कि, वक्फ अधिनियम श्री कृष्ण जन्मभूमि पर लागू नहीं होता है।
मुस्लिम पक्ष द्वारा हाई कोर्ट में याचिकाओं की पोषणीयता (Maintainability) को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की सिविलवाद की पोषणीयता वाली याचिकाएं मंजूर कीं हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्म भूमि केस में अब ट्रायल चलेगा। जानकारी के अनुसार इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
अधिवक्ता रीना एन सिंह की याचिका पर आया निर्णय :
बता दें कि, भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदुओं की पक्षकार और अदालत के सामने कई नए तथ्य प्रस्तुत करने वाली सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह की याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए पोषणीय माना था। रीना एन सिंह ने 'स्वदेश' को बताया था कि, इस मामले पर 6 महीने से अधिक समय तक सुनवाई चली और नए-नए तथ्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए। शुरुआत में मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि, मेरे पास मुकदमा लड़ने के लिए पैसे नहीं है। बाद में जोरदार और लंबी बहस के बाद आख़िरकार कोर्ट ने उसे पोषणीय मानने का फैसला दिया है।
ज्ञात हो कि इसी मामले में बहस के दौरान रीना एन सिंह ने वक्फ बोर्ड को जमीन कब्जाने वाली एक संस्था बताया था, जिसका मुस्लिम पक्ष ने जोरदार प्रतिवाद किया था। कुल 18 वादों की सुनवाई के बाद इस मामले की पोषणीयता पर फैसला आया।