Captain Anshuman Singh: युगों-युगों तक याद रखी जाएगी शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह के शौर्य और वीरता की कहानी...

Captain Anshuman Singh: युगों-युगों तक याद रखी जाएगी शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह के शौर्य और वीरता की कहानी...
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भारत की माटी में एक से एक जांबाज सिपाही पैदा हुए है, जिनकी बहादुरी के किस्‍से युगों - युगों तक सुनाए जाएंगे, बहादुरों की इस लिस्‍ट में ऐसा ही एक नाम है देवारिया के अंशुमान सिंह का जिन्‍हें हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके साहसिक कार्यों के लिए कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया है।

भारत की माटी में एक से एक जांबाज सिपाही पैदा हुए है, जिनकी बहादुरी के किस्‍से युगों - युगों तक सुनाए जाएंगे, बहादुरों की इस लिस्‍ट में ऐसा ही एक नाम है देवारिया के अंशुमान सिंह का जिन्‍हें हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके साहसिक कार्यों के लिए कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया है।

पुरस्कार समारोह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह की पत्नी राष्ट्रपति जी से पुरस्कार प्राप्त कर रही हैं।

इस छोटी क्लिप में स्मृति सिंह और कैप्टन सिंह की माँ समारोह में राष्ट्रपति के सामने खड़ी हैं। आँखों में आँसू लिए, सिंह की पत्नी दिवंगत पति की बहादुरी के लिए प्रशंसा किए जाने पर अपने हाथ जोड़ते दिखाई दे रही हैं।

सियाचिन में सैनिकों को आग से बचाते हुए शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह का नाम इतिहास के पन्‍नों में हमेशा - हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है।

19 जुलाई 2023 के दिन देवरिया के कैप्टन अंशुमान सिंह ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर में देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया।

साल 2023, जुलाई मेंं कैप्‍टन अंशुमान सिंह सियाचिन ग्‍लेश्यिर में पंजाब बटालियन के 403 फील्‍ड अस्‍पताल मेंं तैनात थे। 19,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुर्गम इलाके में तैनात अंशुमान सिंह रेजिमेंटल चिकित्‍सा अधिकारी के रूप में अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे थे। उन पर रेजिमेंट के सभी सैनिकों की चिकित्‍सा देखभाल करने की जिम्‍मेदारी थी।

19 जुलाई को शहीद हुए थे कैप्‍टन अंशुमान

कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत का मामला एक अद्वितीय वीरता और समर्पण की मिसाल है। 19 जुलाई 2023 को, सियाचिन ग्लेशियर पर 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिविर में वे तैनात थे। उस दिन, कैप्टन अंशुमान सिंह और उनके साथी सैनिक अपने शिविर में थे जब बंकर के पास गोला बारूद भंडार में अचानक आग लग गई। यह आग बहुत तेजी से फैली और स्थिति बेहद विकट हो गई। शिविर में मौजूद सैनिकों की जान पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया।

कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना, तुरंत कार्यवाही की। उन्होंने चार सैनिकों को आग से बाहर निकालने का साहसिक प्रयास किया। अपने अदम्य साहस और कुशलता के बल पर उन्होंने चारों सैनिकों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि, इस प्रक्रिया में वह खुद आग की लपटों से घिर गए और अपनी जान नहीं बचा सके।

कैप्टन अंशुमान सिंह की इस वीरता और बलिदान ने पूरे राष्ट्र को गर्वित किया। कैप्टन अंशुमान सिंह का बलिदान हमें यह सिखाता है कि सच्ची वीरता और देशभक्ति का मतलब है दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह न करना। उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और वह हमारे लिए हमेशा प्रेरणा बने रहेंगे।

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