सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछे कई सवाल, कहा - सोशल मीडिया पर ना दबाएं लोगों की आवाज
नईदिल्ली। देश में जारी कोरोना महामारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की गई। कोर्ट ने आपदा के सामने आ रही ऑक्सीजन और बेड की कमी पर चिंता व्यक्त की। साथ ही सोशल मीडिया पर उठ रहीं शिकायतों का भी मुद्दा उठाया। इसके साथ ही कोर्ट ने टीकाकरण अभियान को लेकर भी कई सवाल पूछे और सरकार को निर्देश दिए। स्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष बेंच ने कहा कि सिर्फ राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों की ही जांच होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दिल्ली सरकार के साथ सहयोगात्मक रुख अपनाने के लिए कहा। कोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर मचे हड़कंप पर सवाल किया। जिसके जवाब में केंद्र ने कहा की वहां ऑक्सीजन की सप्लाई की गई लेकिन उनके पास इतनी क्षमता ही नहीं है। महामारी के दौरान निरंतर सेवाएं दे रहे डॉक्टर - नर्स को लेकर कहा की वे बहुत बुरी स्थिति में है। सरकारी हो या निजी अस्पताल सभी को लगातार प्रोत्साहन की आवश्यकता है। कोर्ट ने अंतिम वर्ष में अध्ययनरत 2 लाख नर्सिंग छात्रों और 25 हजार मेडिकल छात्रों की मदद लेने पर भी विचार करने को कहा।
आवाज दबा नहीं सकते -
कोर्ट ने कहा सोशल मीडिया पर जो सवाल उठाए जा रहें है, उन्हें दबाया ना जाए। इन्फॉर्मेशन को आने से नहीं रोकना चाहिए, हमें लोगों की आवाज सुननी चाहिए।' कोर्ट ने कहा की बिना ऑक्सीजन के छटपटा रही जनता को हम सुनना चाहते हैं।'जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा की जो लोग सोशल मीडिया के माध्यम से हालात बता रहें है, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती।
वैक्सीनेशन पर उठाए सवाल -
कोर्ट ने वैक्सीनेशन का मुद्दा उठाते हुए केंद्र से कहा की ये केंद्र के नियंत्रण में होना चाहिए, सरकार राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन के अभियान पर विचार करे।साथ ही केंद्र से सवाल किया की केंद्र 100 फीसदी वैक्सीन क्यों नहीं खरीद सकती। कोर्ट ने कहा वैक्सीन के विकास में सरकार का भी पैसा लगा है। इसलिए, यह सार्वजनिक संसाधन है। वैक्सीन बेचने के लिए निर्माता कंपनियों को क्यों छूट दी गई है। किस राज्य को कितनी वैक्सीन मिलेगी, ये निर्णय कंपियों पर नहीं छोड़ सकते।