Child Pornography: सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास हाईकोर्ट का फैसला, चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने और डाउनलोडिंग पर कही बड़ी बात
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास हाईकोर्ट का फैसला
Supreme Court Decision on Viewing and Downloading Child Pornography : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट के चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित फैसले को खारिज कर दिया है। मद्रास हाईकोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करने और देखने को POCSO अधिनियम, 2012 और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 के तहत अपराध से छूट दी थी। मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बाल पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना POCSO अधिनियम और IT कानून के तहत अपराध है। अदालत ने कहा कि उसने संसद को POCSO अधिनियम में संशोधन लाने का भी सुझाव दिया है, ताकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी की परिभाषा में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार और शोषण करने वाले कंटेट को शामिल किया जा सके।
मामले पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि, "हमने सुझाव दिया है कि एक अध्यादेश लाया जा सकता है। हमने सभी अदालतों से कहा है कि वे किसी भी आदेश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का उल्लेख न करें।"
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने कहा कि, "हाईकोर्ट ने अपने आदेश में गलती की है और इसलिए हम हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हैं और हम मामले को वापस सत्र न्यायालय को भेजते हैं।" सीजेआई ने कहा कि, 'यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और मैं इसके लिए अपने भाई (न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला) को धन्यवाद देता हूं।'
चाइल्ड पोर्न देखना या स्टोर करना कब अपराध है?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस सवाल का जवाब दिया कि,
- सिर्फ़ शेयर करने या प्रसारित करने के इरादे से इसे रखना।
- जब आप इसे डिलीट न करें या अधिकारियों को रिपोर्ट न करें।
- चाइल्ड पोर्न का वास्तविक प्रसारण, प्रदर्शन या शेयरिंग।
- किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए चाइल्ड पोर्न का स्टोरेज।