महिलाओं को रात में काम करने से रोक नहीं सकते: महिला डॉक्टरों के लिए पश्चिम बंगाल की नो-नाइट शिफ्ट नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

महिला डॉक्टरों के लिए पश्चिम बंगाल की नो-नाइट शिफ्ट नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

महिला डॉक्टरों के लिए पश्चिम बंगाल की नो-नाइट शिफ्ट नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

RG Kar Medical College and Hospital Rape-Murder : नई दिल्ली। महिलाओं को नाइट शिफ्ट करने से रोका नहीं जा सकता। यह बात सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल की नाइट शिफ्ट नीति पर नाराजगी जताते हुए कही है। अदालत द्वारा आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और मर्डर मामले में सुनवाई की जा रही थी। इसी दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की उस अधिसूचना पर सवाल उठाया है, जिसमें महिलाओं को नाइट शिफ्ट करने से मना किया गया है और कहा गया है कि महिला डॉक्टर 12 घंटे से अधिक काम नहीं कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से इस पर गौर करने को कहा है। पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह अस्थायी है और वे एक और अधिसूचना लाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को दिया सुझाव :

नाइट शिफ्ट नीति पर नाराजगी जताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को सुझाव दिया है कि, वह अस्पतालों में शौचालय की सुविधा और सीसीटीवी तथा बायोमेट्रिक एक्सेस की उचित व्यवस्था करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और वरिष्ठ तथा जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से परामर्श करे।

अदालत के सामने सरकार ने मानी गलती :

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, महिला डॉक्टरों के रात में काम न करने की शर्त उनके करियर को प्रभावित करेगी, सभी डॉक्टरों के लिए ड्यूटी के घंटे उचित होने चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि पश्चिम बंगाल इस शर्त को हटा देगा। इस तरह सुप्रीम कोर्ट के सामने पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी गलती मान ली।

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