सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई से किया इंकार
नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा मामले में दायर याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने दायर याचिका पर दलीलों को सुनने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को सरकार के समक्ष प्रतिनिधित्व दर्ज करने की अनुमति दी है। चीफ जस्टिस ने कहा की "हमें यकीन है कि सरकार इस बारे में पूछताछ कर रही है और कार्रवाई कर रही है। हमने प्रेस में सुना जहां प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून अपना कार्य करेगा हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। आप सरकार से संपर्क कर सकते हैं।"
याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी ने दलील दी कि 26 जनवरी को "दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी, दोनों पक्षों पर दोष लगे थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर पूछताछ कर रही है। एक अन्य याचिकाकर्ता वकील शिखा दीक्षित ने खंडपीठ को बताया कि पुलिस की पिटाई की गई थी और 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा हुई थी। बेंच ने जवाब दिया कि वह इस मुद्दे पर गौर नहीं कर सकती।
याचिकाओं में की गई ये मांग -
शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा दायर एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें मीडिया को निर्देश दिया गया था कि वह बिना किसी सबूत के किसानों को "आतंकवादी" घोषित न करें। ति वारी द्वारा दायर याचिका में एक जांच आयोग गठित करने के अलावा, 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के लिए हिंसा और अपमान के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई। स्वाति गोयल शर्मा और संजीव नेवार द्वारा दायर एक अन्य याचिका में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा ट्रैक्टर रैली हिंसा की जांच के लिए प्रार्थना की गई थी।