Isha Foundation: सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फॉउंडेशन मामले में पुलिस एक्शन पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सद्गुरु वासुदेव जग्गी (Sadhguru Vasudev Jaggi) के ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) मामले में पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले को स्वयं को स्थानांतरित कर दिया है। मद्रास हाई कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई की गई थी। जिसके बाद सद्गुरु वासुदेव जग्गी के आश्रम में 150 पुलिस अधिकारी जांच के लिए पहुंचे थे।
ईशा फाउंडेशन ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पुलिस को फाउंडेशन के खिलाफ सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। मद्रास हाई कोर्ट ने एक पिता द्वारा लगाई गई हेबियस कार्पस की सुनवाई के दौरान सद्गुरु वासुदेव जग्गी से कहा था कि, जब आपकी खुद की बेटी गृहस्थ जीवन में है तो दूसरे की बेटियों को सन्यास के लिए क्यों प्रेरित करते हैं।
दरअसल मद्रास हाई कोर्ट में एक पिता ने याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि, उनकी दो पढ़ी - लिखी बेटियों को ईशा फॉउंडेशन में ब्रेन वॉश कर रखा गया है। इसके बाद अदालत ने सुनवाई करते हुए पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी।
ईशा फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने आज तत्काल सुनवाई की मांग की थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था कि आप पुलिस या सेना को इस तरह की जगह में प्रवेश नहीं करने दे सकते।
सुनवाई के दौरान महिलाओं में से एक ऑनलाइन दिखाई देती है और कहती है कि. वह अपनी मर्जी से ईशा योग केंद्र में रह रही थी। महिला ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि दोनों बहनें अपनी मर्जी से आश्रम में हैं और उनके पिता की ओर से यह उत्पीड़न पिछले आठ वर्षों से जारी है।
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि वह दोनों महिलाओं से उनके कक्ष में ऑनलाइन बातचीत करेंगे। इसके बाद सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उसने दो महिलाओं से बातचीत की है और 2009 में जब वे आश्रम गई थीं, तब उनकी उम्र 27 और 24 वर्ष थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं ने कहा कि वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं।