एयर इंडिया की 68 साल बाद हुई घर वापसी, रतन टाटा ने ट्वीट कर कहा - वेलकम बैक
नई दिल्ली। आखिरकार 68 साल बाद एयर इंडिया टाटा संस की हो गई। सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया को बेचने में कामयाब हो गई। टाटा समूह ने एयर इंडिया के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। एयर इंडिया पर मंत्रियों के लिए गठित समूह ने ये फैसला लिया है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।
दीपम सचिव ने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि टाटा समूह की इकाई टैलेस प्राइवेट लिमिटेड 18 हजार करोड़ रुपये के साथ एयर इंडिया में भारत सरकार की इक्विटी शेयर होल्डिंग की बिक्री के लिए सफल बिडर रही। उन्होंने बताया कि यह सौदा इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। पांडे ने कहा कि एयर इंडिया के लिए टाटा समूह और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
रतन टाटा ने जाहिर की ख़ुशी -
Welcome back, Air India 🛬🏠 pic.twitter.com/euIREDIzkV
— Ratan N. Tata (@RNTata2000) October 8, 2021
टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने एयर इंडिया की घर वापसी पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा एक वक्त ऐसा था जब जेआरडी टाटा की अगुवाई में एयर इंडिया ने दुनिया की बेहतरीन एयरलाइंस की सूची मैं जगह बनाई थी। टाटा के पास एक बार फिर मौका है कि विमानन कंपनी को वही रुतबा दोबारा वापस दिलाए। हम भरसक प्रयास करेंगे।' उन्होंने आगे लिखा, 'अगर आज जेआरडी टाटा हमारे बीच होते तो वे बेहद खुश होते।'
टाटा ने 1932 में शुरू की थी एयर इंडिया -
उल्लेखनीय है कि टाटा समूह ने एयर इंडिया को 1932 में शुरू किया था। टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे। जेआरडी टाटा खुद पायलट थे। उस वक्त इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। साल 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। एयर इंडिया के विनिवेश के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सिविल एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।