'कोई रैंबो नहीं हैं, नायकू जैसों को चुनकर मारेंगे' : CDS बिपिन रावत
नई दिल्ली एक आतंकवादी की छवि को उसके जीवन से बढ़कर दिखाना, उस झूठे प्रचार की तरह है जिसमें उसे रैम्बो की तरह बताया जाता है। हमें उनसे दूर रहना है और उसकी गलत बातों सबसे सामने उजागर करना है। हम उसकी रैम्बो वाली इमेज नहीं बनाएंगे। हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज़ नाइकू की हत्या पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार (7 मई) को यह बात कही।
जम्मू कश्मीर में पुलवामा जिले के बेगपोरा गांव में बुधवार (6 मई) को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन का शीर्ष कमांडर रियाज नायकू मारा गया। कश्मीर का मोस्ट वांटेड आतंकी और हिजबुल चीफ नायकू को मंगलवार (5 मई) को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के उसके पैतृक बेगपोरा गांव में घेर लिया गया था। हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर नायकू और उसके सहयोगी को बुधवार (6 मई) तड़के मार गिराया गया, जबकि एक अन्य आतंकवादी को इस मुठभेड़ स्थल से दूर पुलवामा जिले के ख्रेव इलाके के शरशाली गांव में एक अलग ऑपरेशन में मारा गया।
सुरक्षा बलों को नायकू की आठ वर्षों से तलाश थी। वह अपने ही गांव में घिरने के बाद सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया। अवंतिपुरा में पुलिस रिकॉर्ड में उसका नाम पहली बार छह जून 2012 को रोजनामचे में तब दर्ज हुआ जब वह बेघपुरा गांव के अपने मकान से अचानक गायब हो गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नायकू के खिलाफ 11 मामले दर्ज थे और उस पर 12 लाख रुपए का इनाम था। वह ज्यादातर अकेला ही रहता था और आतंकवादी संगठन के अंदर किसी पर भरोसा नहीं करता था।
आतंकवाद की राह पर चलने से पहले गणित का अध्यापक था। किसान के बेटा नायकू ने पुलवामा के सरकारी डिग्री कॉलेज से स्नातक किया था और एक निजी स्कूल में पढ़ाता था। सुरक्षा बलों ने उसे 2010 में एक प्रदर्शन के दौरान पकड़ा था और 2012 में उसे रिहा कर दिया था। उन्होंने बताया कि रिहा होने के तीन सप्ताह बाद मई 2012 में वह घर से चला गया और फिर नहीं लौटा। शोपियां में 2016 में एक आतंकवादी के जनाजे में वह राइफल लिए दिखाई दिया। इसके बाद से वह दक्षिण कश्मीर से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने लगा।
पुलिस ने नायकू के पिता को हिरासत में लिया, तो सितंबर 2018 में उसने पुलिस अधिकारियों के 11 रिश्तेदारों को बंधक बना लिया। इसके बाद पुलिस अधिकारियों को उसके पिता को रिहा करना पड़ा और बदले में अपने रिशतेदारों की सुरक्षित रिहाई कराई। नायकू अकसर पाकिस्तानी प्रोपेगंडा को बढ़ावा देता था। उसने अनेक वीडियो और ऑडियो जारी कर पुलिसकर्मियों को आतंकवाद विरोधी अभियानों से दूर रहने की चेतावनी दी थी।