कोरोना को फैलने से रोकेगा यह जैल, आईआईटी बॉम्बे ने आविष्कार की दवा
नई दिल्ली। कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए आईआईटी, बॉम्बे ने ऐसा जैल बनाने की तकनीक विकसित की है जिसे नाक पर लगाकर कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। आईआईटी, बॉम्बे के बायो साइंस और बायो इंजीनियरिंग विभाग द्वारा तैयार किए गए इस जैल को विकसित करने के लिए केन्द्र सरकार ने मंजूरी दी है। इसके लिए केन्द्र सरकार से टीम को फंडिंग की जाएगी। आईआईटी बॉम्बे के मुताबिक यह एक ऐसा जेल होगा जिसे नाक पर लगाया जा सकता है।
आईआईटी, बॉम्बे की टीम का मानना है कि अधिकांश वायरस व कीटाणु नाक से ही प्रवेश करते हैं। इस जैल को नाक पर लगाने से वायरस निष्क्रिय हो जाएगा। इस तरीके से न केवल स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा होगी, बल्कि कोविड-19 के सामुदायिक फैलाव में भी कमी आ सकती है। चूंकि वायरस फेफड़ों में तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए वायरस को फेफड़ों तक जाने से रोकना ही इस जैल का काम है। ऐसा दावा है कि कोरोना वायरस जेल के संपर्क में आने के बाद निष्क्रिय हो जाएगा।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ पहली पंक्ति में रहकर लड़ाई में जुटे स्वास्थ्य कर्मी और अन्य लोगों को यह जेल संक्रमण से 200 प्रतिशत तक सुरक्षा देगा। नाक के जेल को अन्य सुरक्षात्मक उपायों के साथ मिलाकर विकसित किया जाएगा। इस जैल को विकसित करने में तकरीबन 9 महीने लगेंगे।