कोरोना के इस कालखंड में लोगों के जीवन में कई परिवर्तन आए : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार यानी आज सुबह 11 बजे अपना 69वां 'मन की बात' के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में कार्यक्रम में रविवार को कहा कि कोरोना काल में लोगों के जीवन में कई परिवर्तन आए हैं। लोगों ने परिवार के साथ रहना सीखा। इस काल में लोगों को सावधानी बरतने के साथ दो गज की दूरी बनाए रखनी चाहिए।
उन्होंने 'मन की बात' की शुरुआत कहानी सुनाने की विधा से की। उन्होंने कहा कि कहानियां लोगों के संवेदनशील पक्ष को सामने लेकर आती हैं। भारत में तरह-तरह की कहानी सुनाने की विधा है। उसमें कठपुतली की जीवंत परंपरा शामिल है। कई राज्यों में अलग अलग तरह की कहानी सुनाने की विधा है। आज कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है। इस मौके पर उन्होंने बेंगलुरू की स्टोरी टेलिंग सोसाइटी के सदस्यों से बात की और उनसे कहानी सुनी। उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग हर हफ्ते परिवार में एक कहानी सुनाएं। इस विधा से नई पीढ़ी को जोड़ कर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों से अवगत करा सकते हैं।
>> कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, मास्क अवश्य रखें, फेस कवर के बिना बाहर ना जाएं। हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं
>> मां का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।
>> इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने, अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया।
>> गाँधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो।
>> चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था । हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना।
>> आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये innovations जुड़ेंगे।
>> आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ।
>> तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, Sri Swami Samarth Farmer's producer company limited - ये किसानों का समूह है।
>> अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है।
>> मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहां कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है ।
>> भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक और वजह ये भी है, कि, उनका जन्म भी 15 अगस्त को हुआ था। सेदू जी ने दो घंटे का एक और कार्यक्रम अब प्रत्येक रविवार रात 9 बजे शुरू किया है, इसमें वे बॉलीवुड की एक पूरी फिल्म की कहानी फ्रेंच और बमबारा में सुनाते हैं।
>> माली, भारत से दूर, पश्चिम अफ्रिका का एक बड़ा और Land Locked देश है। सेदू देमबेले, माली के एक शहर, Kita के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक हैं, वे, बच्चों को English, Music और Painting, drawing पढ़ाते हैं, सिखाते हैं।
>> मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे । कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करें।
>> मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूंगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं!
>> हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, पॉप्यूलर करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी क्रेडिट हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए।
>> चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन भी हमारी संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित, प्रसारित, करने में जुटी है, वहीँ, कथालय और The Indian story telling network नाम की दो वेबसाइट भी इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रही हैं।
>> कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं।
>> हमारे यहां कथा की परंपरा रही है | ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है । इसमें 'कताकालक्षेवम्' भी शामिल रहा । हमारे यहां तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं।
>> हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहाँ, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके।
>> कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें।
>> कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें।
>> ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला स्टोरी टेलिंग। साथियो, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता।
>> आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।
>> कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है।
पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी, डीडी न्यूज, पीएमओ और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के यूट्यूब चैनलों पर भी लाइव स्ट्रीम के जरिए किया जाता है। अपने पिछले संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत में खिलौनों के लिए एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए देश में स्टार्टअप के लिए एक साथ आने का आह्वान किया था।