Lucknow Building Collapse: लखनऊ में गिरी बिल्डिंग की जांच में हुए कई खुलासे, अवैध निर्माण और कमजोर कॉलम, स्ट्रक्चर में भी गड़बड़ी

लखनऊ में गिरी बिल्डिंग की जांच में हुए कई खुलासे, अवैध निर्माण और कमजोर कॉलम, स्ट्रक्चर में भी गड़बड़ी

Lucknow Building Collapse 

Lucknow Building Collapse : उत्तरप्रदेश। लखनऊ के ट्रांसपोर्ट में बिल्डिंग गिरने के मामले की जांच अभी जारी है लेकिन इसी बीच कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं जिससे हर कोई हैरान है। जो बिल्डिंग मात्र 4 साल पहले बानी थी उसका ऐसे गिर जाना बड़ी लापरवाही की और इशारा करता है। इस बिल्डिंग के गिरने से 8 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। मामले की जाँच के आदेश देकर बिल्डिंग के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

ट्रांसपोर्ट नगर में गिरी बिल्डिंग की जांच में कई खुलासे हुए हैं। जानकारी के अनुसार दो फ्लोर का नक्शा पास किया गया था लेकिन नियमों और कानून ताक पर रखकर तीसरी मंजिल बना दी गई। यही हैं जहां 7 मीटर तक ऊंची बिल्डिंग बनाने की अनुमति थी वहां पर 11 मीटर ऊंची बिल्डिंग बना दी गई।

स्ट्रक्चरल डिजाइन में गड़बड़ी और घटिया निर्माण :

बिल्डिंद के ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर का नक्शा प्राधिकरण से पास हुआ था लेकिन इसके बाद अवैध निर्माण कर तीसरा फ्लोर बना दिया गया। PWD इंजीनियरों की जांच में बिल्डिंग के कॉलम भी कमजोर मिले। अधिकारियों का कहना है कि, लोड के हिसाब से बिल्डिंग के कॉलम बेहद कमजोर थे। स्ट्रक्चरल डिजाइन में गड़बड़ी और घटिया निर्माण की बात भी सामने आई है।

हादसे में इन लोगों की हुई थी मौत :

हरमिलाप टावर (बिल्डिंग का नाम) गिरने से 8 लोगों की मौत हुई थी। इनमें रजेश गुप्ता (48), पंकज तिवारी (40), अरूण सोनकर (28), राकेश लखन पाल (67), जसप्रीत सिंह साहनी (41), राज किशोर (27), रूद्र यादव (24), जगरूप सिंह (35) शामिल थे। मृतकों के परिजनों ने न्याय के लिए शव को रोड पर रखकर प्रदर्शन भी किया था।

पुलिस ने बताया था कि, बिल्डिंग मलिक के ऊपर FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा लोगों का कहना था कि, "राकेश सिंघल (बिल्डिंग मलिक) को पहले भी बिल्डिंग की मरम्मत के लिए अवगत कराया गया था पर उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। जल्द से जल्द मकान किराए पर उठ जाए इसलिए उन्होंने इस पर घटिया सामग्री लगाई थी। जिसके चलते इस बिल्डिंग का या हाल हुआ है।"

प्रारंभिक जांच में भी यही तथ्य सामने आए हैं लेकिन बड़ा सवाल है कि, कैसे दो मंजिल की परमिशन लेकर तीसरी मंजिल बना ली गई। राजधानी लखनऊ में यह हल है तो अन्य जगह कैसी स्थिति होगी। यह भी जांच का विषय होना चाहिए कि, लखनऊ समेत बड़े शहरों में ऐसी कितनी बिल्डिंग है जो नियमों के विरुद्ध बनाई गई हैं।

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