UP CAG Report : कैग रिपोर्ट में सामने आया वन विभाग का बड़ा घोटाला, जेसीबी के नाम पर बाइक से पौधे ढोए

UP CAG Report : कैग रिपोर्ट में सामने आया वन विभाग का बड़ा घोटाला, जेसीबी के नाम पर बाइक से पौधे ढोए
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UP CAG Report : कैग रिपोर्ट में सामने आया वन विभाग का बड़ा घोटाला

UP CAG Report : सरकार की सख्ती के बावजूद जमीनी स्तर पर अधिकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में ढ़ील दे रहे हैं।

UP CAG Report : लखनऊ, उत्तरप्रदेश। विधानसभा में उत्तरप्रदेश के लिए CAG की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में पौधरोपण से लेकर बिजली कनेक्शन पर खुलासा और स्थानीय निकायों को अधिकार दिए जाने के लिए अनुशंसा की गई। इस रिपोर्ट में किए गए खुलासे बताते हैं कि, सरकार की सख्ती के बावजूद जमीनी स्तर पर अधिकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में ढ़ील दे रहे हैं। आइए जानते हैं कैग रिपोर्ट के प्रमुख खुलासे।

वाउचर जेसीबी और ट्रैक्टर के लेकिन बाइक-स्कूटर' से पौधे ढोए :

वन विभाग में पौधारोपण को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। इसका खुलासा CAG रिपोर्ट में किया गया है। वन विभाग ने पौधरोपण के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर की जगह स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा से पौधों को ढुलाई करवाई। इनसे ही पौधों के लिए गड्ढे खोदे गए और जमीन समतल की गई, जबकि वाउचर जेसीबी और ट्रैक्टर के लगाए गए।

जांच में पता चला कि, जिन वाहन नंबरों को जेसीबी और ट्रैक्टर का बताया गया, वे स्कूटर, बाइक और ई-रिक्शा के हैं। यह खुलासा विधानमंडल के दोनों सदनों में रखी गई CAG रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में पौधरोपण पर भारी खर्च करने के बावजूद फॉरेस्ट कवर कम होने की बात भी सामने आई है।

CAG रिपोर्ट में 2015-16 से 2021- 22 तक के काम का ऑडिट किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार ग्राम्य विकास विभाग ने बिना कार्ययोजना के ही पौधरोपण किया. 22 जिलों की जांच की गई तो इसमें पाया गया कि 20 जिलों में कार्य योजना तैयार नहीं की. वहीं, प्रदेश के 14 वन प्रभागों ने मृत पौधों के एवज में जो पौधे लगाए, उनको अगले साल के लक्ष्य में शामिल करके अपनी उपलब्धि को बढ़ा दिया गया...

ये खामियां भी नहीं हो सकती नजरअंदाज :

  • रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि, 19% से 39% पौधरोपण का बजट मार्च में खर्च दिखाया गया, जबकि पौधरोपण का सही समय जुलाई और अगस्त होता है।
  • ग्रामीण विकास विभाग के लगाए पौधों का सर्वाइवल रेट 28.45% मात्र रहा, जबकि छह साल में 88.77 करोड़ रुपये रखरखाव पर खर्च किए गए।
  • कैंपा योजना के लिए छह साल में 1,179 करोड़ राशि मिली लेकिन खर्च ही नहीं की गई।
  • 16 प्रभागों की 149 नर्सरियों में 1.25 करोड़ पौधे क्षमता से अधिक उगाए गए।

बिजली कनेक्शन पर क्या बोली रिपोर्ट :

कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, उत्तरप्रदेश में 12.34 लाख बिजली उपभोक्ता बिना मीटर के हैं। CAG ने पाया है कि, यूपी अब भी 12.34 लाख बिजली उपभोक्ता बिना मीटर के है। CAG ने पाया कि, साल 2015-16 में यह संख्या 70.60 लाख थी। 2018 तक सरकार को यह संख्या शून्य करनी थी, लेकिन बिजली कंपनियां कामयाब नहीं हो पाई हैं।

फॉल्टी मीटरों में कमी :

CAG ने यह जरूर पाया है कि कंपनियां फॉल्टी मीटरों में कमी लाने में कामयाब रही हैं। रिपोर्ट में साफ कहा है कि, बिजली कंपनियां जिस उद्देश्य के लिए गठित की गई थी, उसमें वह सफल नहीं रही हैं। न तो उनकी वित्तीय स्थिति दुरुस्त है और न ही काम ठीक से कर पा रही है।

निकायों को तय अधिकार नहीं :

CAG ने 74वें संविधान संशोधन की मौजूदा स्थिति पर अपनी रिपोर्ट रखी। CAG ने पाया कि, 74वें संविधान संशोधन के तहत शहरी निकायों को जो अधिकार मिलने चाहिए थे वे नहीं मिले। CAG ने सिफारिश की है कि, संविधान संशोधन के तहत शहरी निकायों को जो अधिकार दिए जाने थे, सरकार को उस पर विचार करना चाहिए। CAG ने 2017 के चुनाव की स्थिति का परीक्षण करते हुए पाया कि, परिसीमन और आरक्षण की स्थिति में काफी विलंब किया गया और इसकी वजह से चुनाव पांच महीने के विलंब से हुए। CAG ने शहरी निकायों में मैनपावर की कमी भी दर्ज की है। उसने सुझाव दिया है कि, निकायों को अपने स्तर पर भर्ती का अधिकार दिया जा सकता है।

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