Keshav Prasad Maurya Biography: चाय की दुकान से नहीं हो पाता था गुजारा, फिर बेचने लगे अखबार, अमित शाह ने बदल दी इस नेता की जिंदगी

Keshav Prasad Maurya Biography: चाय की दुकान से नहीं हो पाता था गुजारा, फिर बेचने लगे अखबार, अमित शाह ने बदल दी इस नेता की जिंदगी
Keshav Prasad Maurya Biography in hindi: केशव प्रसाद मौर्य 2017 के पहले उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालते थे। मगर उनका सियासी सफ़र ठीक वैसा ही है जैसा कि एक संघर्ष झेल रहे व्यक्ति का होता है।

Keshav Prasad Maurya Biography in hindi: लखनऊ। आदमी की किस्मत का कोई भरोसा नहीं कब कहां किसकी किस्मत चमक जाए और कौन फर्श से अर्श पर चला जा। ऐसा ही एक नाम यूपी की राजनीति में भी जिसे 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले बहुत कम ही लोग थे जो जानते थे। लेकिन ये नाम आज कल यूपी ही नहीं बल्कि देश की राजनीति की खबरों में काफ़ी तेज़ी से सुर्खियां बटोर रहा है।

कभी बेची थी चाय आज हैं प्रदेश के उप मुख्यमंत्री

केशव प्रसाद मौर्य 2017 के पहले उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालते थे। मगर उनका सियासी सफ़र ठीक वैसा ही है जैसा कि एक संघर्ष झेल रहे व्यक्ति का होता है। केशव प्रसाद मौर्य एक बार किसी साक्षात्कार में अपने संघर्ष के दिनों की कहानी को बयां कर रहे थे तो उन्होंने कहा था कि वे बचपन में अपने पिता की दुकान पर चाय बेचा करते थे। उसके बाद उनके जीवन में एक ऐसा भी दौर आया जब घर का खर्च चाय की दुकान से पूरा नहीं हो पाता था।

मगर फिर एक दिन उन्होंने सब्जी की दुकान खोल ली और फिर अखबार बांटना भी शुरू कर दिया, यूपी के कौशांबी जिले के एक छोटे से गांव सिराथू में जन्में केशव प्रसाद मौर्य की जीवन की असली कहानी शुरू हुई रामजन्म भूमि के आंदोलन के बाद से। इस आंदलोन के दौरान वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े ये वो दौर था जब मौर्या के जीवन की कहानी पेसेंजर ट्रेन से सीधा बुलेट ट्रेन की पटरी पर दौड़ने वाली थी। केशव प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रूके संघ के साथ जुड़ने के बाद उनका जुड़ाव विश्व हिंदू परिषद से हुआ और यहीं उनकी मुलाकात हुई वीएचपी के प्रमुख अशोक सिंघल से ।

राजनीतिक जुड़ाव

अगर देखा जाए तो किसी ने अगर केशव प्रसाद मौर्या को बनाया है तो सबसे पहला नाम वीएचपी के प्रमुख अशोक सिंघल का आएगा। क्योंकि उनके ही कहने पर केशव ने राजनीति में अपने कदम डाला, उनको जानने वालों का यहां तक कहना है कि उनकी काबिलियत को परखने के बाद ही कई आंदोलनों का नेतृत्व केशव प्रसाद मौर्य को सौंप दिया गया और पूर्वांचल का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद (आज का प्रयाग राज) में अशोक सिंघल के कहने के बाद में वह सक्रिय राजनीति में आ गए। फिर आया वो दौर जिसमें केशव प्रसाद मौर्य पूरी तरीके सक्रिय राजनीति में कूद गए। 2004 में उन्हें इलाहाबाद पश्चिम से चुनाव लड़वाया गया। यहां से दो बार चुनाव लड़ने के बाद भी वह नहीं जीत सके। साल 2012 में सिराथू से चुनाव जीतकर वह विधानसभा पहुंचे।

साल 2016- 2017

ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश की आबो हवा बदलने वाली थी। ये वो दौर था जब प्रदेश, जाति, धर्म, अराजकता, हिंदू- मुस्लिम , दंगे से उपर उठने वाला था फिर अमित शाह के कहने के बाद केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी गई और पिछड़ों के चेहरे के रूप में उभरते मौर्य को साल 2016 में यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। साल 2017 के चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत हुई और पार्टी सरकार बनाने में सफल हुई। यही वजह थी कि इसके बाद उन्हें बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के चुनाव में पार्टी ने कई अहम जिम्मेदारी दी।

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