पंजाब और महाराष्ट्र के अस्पतालों में सुविधा ना होने से खराब हुए वेंटिलेंटर, जांच में खुलासा
नईदिल्ली/वेबडेस्क। देश में जारी कोरोना संकट के बीच सभी राज्यों द्वारा केंद्र से ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और अन्य मेडिकल उपकरणों की मांग की थी। जिसे केंद्र सरकार ने पूरा किया। पीएम केयर फंड से पंजाब और महाराष्ट्र को उपलब्ध कराए गए वेर्टिलेटर कके खराब होने की दोनों राज्यों ने शिकायत की। इस मामले की केंद्र द्वारा की गई जांच में सामने आया की राज्यों द्वारा इन वेंटिलेटर्स का ठीक से रखरखाव ना करने के कारण खराब हुए है।
केंद्र ने राज्यों द्वारा की गई शिकायत की जांच के बाद राज्यों को वेंटिलेटर्स के सुचारु संचालन करने के लिए कई निर्देश दिए है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने राज्यों को भौगोलिक स्थिति के अनुसार मशीनों की सेटिंग्स को फिर से जांचने, पाइपलाइनों में O2 दबाव की जांच करने और विद्युत सेटिंग्स को ठीक करने के लिए कहा है। इसके अलावा फ्लो सेंसर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे प्रमुख उपभोग्य सामग्रियों को नियमित रूप से बदलने के लिए कहा गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारीयों का कहना है की कई राज्य ऐसा नहीं कर रहे हैं, जिसकेकारण वेंटिलेटर खराब हो रहें है और उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
केंद्र ने लिखा पत्र -
गौरतलब है की पंजाब के चिकित्सा अधिकारियों ने दावा किया था की केंद्र से मिले 320 वेंटिलेटर में से 237 खराब है। जोकि अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला में काम नहीं कर रहे थे।इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, राजेश भूषण ने गत 13 मई को एक पत्र लिखकर राज्यों को जवाब दिया गया। उन्होंने पत्र में लिखा की आपकी शिकायत के बाद की गई जांच में सामने आया की ज्यों के कई अस्पतालों में वेंटिलेटर स्थापना के लिए साइट तैयार नहीं हैं। इसमें पाइप से ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रणाली की कमी या पाइप सिस्टम में इष्टतम ऑक्सीजन दबाव की कमी या यहां तक कि उचित विद्युत फिटिंग की कमी शामिल है। ये पत्र सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजा गया था।
48 हजार वेंटिलेटर दिए -
केंद्र ने कहा है कि अप्रैल 2020 में 60,000 वेंटिलेटर ऑर्डर के लिए रखे गए थे और 49,960 से अधिक राज्यों को आवंटित किए गए थे, जिसमें दूसरी लहर के दौरान 12,000 भेजे गए थे। इसमें से करीब 50,000 PM-CARES फंड के तहत भेजे गए। लगभग 4,854 वेंटिलेटर अप्रयुक्त पड़े हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को 30,000 वेंटिलेटर, एग्वा हेल्थकेयर ने 10,000, आंध्र मेड-टेक जोन 13,500 और ज्योति सीएनसी 5,000 बनाने का काम सौंपा था।
सेंसर में बदलाव नहीं किया गया -
समाचार पत्र टाइम्स ऑफ़ इण्डिया ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के सीएमडी एम वी गौतम से इस संबंध में चर्चा की। जिसमें उन्होंने बताया की मरीज के आईसीयू से जुड़े फ्लो सेंसर हैं और फिर ऑक्सीजन सेंसर हैं। जब हमारी टीम फरीदकोट गई तो हमने देखा कि उपभोग्य सामग्रियों को बदला नहीं गया था। हर बार जब कोई नया मरीज आईसीयू में आता है तो फ्लो सेंसर को बदलना अनिवार्य होता है। दूसरा, कुछ वेंटिलेटर स्थापना के दौरान फरीदकोट के अक्षांश-देशांतर के साथ कैलिब्रेट नहीं किए गए थे। जब भी कोई वेंटिलेटर स्थान बदलता है, तो उस स्थान के अनुसार ऑक्सीजन का दबाव बदलना चाहिए। तीसरा, ऑक्सीजन सेंसर की शेल्फ लाइफ होती है। यदि आप इसे एक दर्जन रोगियों के साथ 100% ऑक्सीजन के साथ उपयोग करते हैं, तो यह खराब हो जाएगा, यह काम नहीं करेगा। ऑक्सीजन सेंसर को बदला जाना चाहिए, जो फरीदकोट में नहीं हुआ।