MP News: रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से पहले गरमाया विंध्यप्रदेश का मुद्दा, 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सत्याग्रह
रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से पहले गरमाया विंध्यप्रदेश का मुद्दा
MP News : मध्यप्रदेश। रीवा में होने वाले रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से पहले विंध्यप्रदेश का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। विंध्य विकास एकता परिषद नाम के संगठन ने 9 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन और सत्याग्रह का आवाहन किया है। अम्बेडकर पार्क में आज ही इस प्रदर्शन का आयोजन किया जाना है। बताया जा रहा है कि, राजधानी भोपाल में आयोजित इस प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में विंध्यवासी जुटेंगे।
जानकारी के अनुसार, विंध्यवासी अपनी मांगों को लेकर सत्याग्रह करेंगे। डॉ. मोहन यादव की सरकार विंध्य के रीवा में 23 अक्टूबर रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव करने जा रही है। कॉन्क्लेव से पहले विंध्यवासियों ने 9 सूत्रीय मांग उठाई है। 20 अक्टूबर को ही पीएम रीवा एयरपोर्ट का लोकार्पण कर रहे हैं और 20 अक्टूबर को ही इस प्रदर्शन का आयोजन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की योजना है।
विंध्य विकास एकता परिषद ने बयान जारी करते हुए कहा है कि, "आप सभी को ज्ञात है कि 1 नवम्बर 1956 को चार प्रदेश, विन्ध्य प्रदेश, भोपाल राज्य, मध्य भारत, और मध्य प्रान्त राज्य (सेन्ट्रल प्राविंसेस एण्ड मरार) को बिलय कर नया मध्यप्रदेश राज्य बनाया गया। एक तरफ विन्ध्य प्रदेश की घोर उपेक्षा की गई जबकि 13 मार्च 1948 को सबसे पहले विन्ध्य प्रदेश बना दूसरी लेकिन शेय चौनों प्रान्तों में 1956 से ही औद्यौगिक क्रांति गुरु की गई कही PSU गेल, कही सेल, (स्टील प्लांट) आर्डिनेंस फैक्ट्रियां, नोट प्रेस (शासकीय) आदि एशिया के बढ़े कारखाने बनाए गए, इंडिस्ट्रियल कौरीडोर का जाल मिठाया गया, ग्वालियर, देवास, उज्जैन, इन्दौर, खंडवा, मंडीदीप, गोबिन्दपुरा, बुरहानपुर, पीथमपुर आदि, राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय खेल स्टेडियम बनाए गए हाईकोर्ट हाईकोर्ट बेन्द, रेल, मस, सिचाई जींद के संसाधन बड़े पैमाने पर देकर सम्बल बनाया गया।
विलय का एक मात्र प्रांत विन्ध्य प्रदेश की घोर उपेक्षा और अनदेखी की गई उसे आधुनिक विकास औद्योगिक क्रांति से दूर रखा गया वहां न स्वास्थ्य सुविधाएं है न ही रेल, रोजगार मूलक बड़े औद्योनिक काल कारखाने नही, न इंडिस्ट्रियल केरीडोर, न बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, न आई. टी. पार्क, प्रचुर मात्रा में खनिज सम्पदा के बावजूद रोजगार मूलक कारखाने नहीं ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र, प्रदेश सरकार विन्ध्य को भारत के नक़्शे में गिनती ही नहीं है। विन्ध्य प्रदेश न विस्थापित है और न ही शरणार्थी उसका विधिवत विलय नए मध्यप्रदेश में हुआ। सफेद शेर की धरती, धामों में धाम चित्रकूट, 51 शक्ति पीठों में एक माँ शारदा मैहर, माँ नर्मदा सोन नदी का उद्गम स्थान अमरकंटक फिर भी विकास में अजूता, बेरोजगारी का आलम यह कि हर बड़े शहरों के होटलों, पेट्रोल पम्पो, टेन्ट हाउस में कप प्लेट भोते शिक्षित युबा मिल जाएगा। जनप्रतिनिधि सत्ता के भार तले दबे हैं जनता टुकुर-टुकुर देख रही है।"
ये हैं प्रदर्शन का आयोजन करने वालों की प्रमुख मांग :
विन्ध्य के प्रत्येक जिले में 500-1000 एकड़ जमीन में औद्योगिकीकरण के लिए जमीन विकसित कर इंडिस्ट्रियल केरीडोर बना कर रोजगार मूलक बड़े, मझौले औद्योगिक इकाई अबिलम्ब खोले जाए मंडीदीप, पौधमपुर की तरह विन्ध्य में विकास के लिए इंडिस्ट्रियल कॉरिडोर बनाये जायें।
रीवांचल के समान एक और नियमित ट्रेन प्रतिदिन चलाई बाय जिसमें 13 स्लीपर के कोच हो।
पूरे विन्ध्य में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम नहीं है जिससे प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाते अतः स्टेडियम बनवाए जाए।
विन्ध्य प्रदेश की पूर्व राजधानी में ही स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है तो अन्य जगह की कल्पना बेमानी है इसलिए एम्स जैसे हास्पिटल खोले जाय, या अपोलो स्कार्ट, मेदाता से अनुबंध किया जाए कब तक नागपुर या इलाहाबाद भागते रहेंगे।
सतना-मैहर में बरगी बांध के पानी से खेतों में सिचाई का प्रावधान था। नहर पहुंच मार्ग पहले लिखा था वह भी दम तोड़ रही है आज तक सतना-मैहर असिंचित है खेतो को पानी उपलब्ध कराया जाये जब तक नहर नहीं पहुंचती तब तक वोरिंग के खर्च का भुगतान किया जाय तथा मोटर का बिजली बिल माफ किया जाए।
धार्मिक स्थलो चित्रकूट, माँ शारदा, मैहर, अमरकंटक अन्य धार्मिक, पर्यटन स्थल है वहां महाकाल की वर्ज पर लोक केरीडोर एवं संग्रहालय बनाया जाय।