Bahraich News: बहराइच में सुजौली के गुप्ता पुरवा गाँव को लील गयीं घाघरा नदी की लहरें
बहराइच में सुजौली के गुप्ता पुरवा गाँव को लील गयीं घाघरा नदी की लहरें
स्वदेश समाचार, बहराइच। नेपाल के पहाड़ों के साथ बहराइच में तीन दिनों से रुक - रुक कर हो रही भारी वर्षा के चलते एक बार फिर घाघरा नदी विकराल हो गई है। नदी की कटान तेज होने से सुजौली के गुप्ता पुरवा गाँव को घाघरा नदी की लहरें लील गयीं। जिसके चलते गांव का अस्तित्व खत्म हो गया है। कटान से बेघर ग्रामीण सरयू नहर के किनारे, पंचायत भवन और सरकारी स्कूल में शरण ले रहे हैं साथ ही लोग अपनी गन्ने की फसल को काटकर बचाने का भी प्रयास कर रहे हैं। घाघरा नदी में समाहित होते विशालकाय पेड़ की तस्वीर सामने आई है जिससे घाघरा की लहरों की विकरालता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नेपाल के पहाड़ों के साथ जिले में हो रही भारी वर्षा के चलते घाघरा नदी एक बार फिर उफान पर है इसके साथ ही नदी की कटान भी तेज हो गई है। नदी की लहरों ने तेज कटान करते हुए बहराइच के तहसील मिहिपुरवा अंतर्गत थाना सुजौली के ग्राम पंचायत बड़खड़िया के गुप्ता पुरवा गाँव को भोर में लील लिया है। गाँव अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो चुका है।
गाँव के लोग अब अपनी बची हुई गन्ने की फसल को बचाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। ग्राम प्रधान जय प्रकाश ने बताया कि गाँव के लगभग सभी घर नदी में समाहित हो चुके है, सिर्फ कुछ लोगों का खेत ही बचा हुआ। गांव को खत्म कर अब नदी के लहरे खेतों को भी लील रही है।
कटान इतनी तेजी से हो रही है कि गाँव में लगे कई विशालाकाय पेड़ नदी में समाहित हो चुके है। गाँव में लगा नीम का पेड़ नदी में समाहित होते हुए एक तस्वीर कैमरे में कैद हुयी है। जिससे नदी की कटान का अंदाजा लगाया जा सकता है। कटान से बेघर हुए ग्रामीण सरयू नहर के किनारे व पंचायत भवन और सरकारी स्कूल में शरण ले रहे हैं।
अभी तक कटान प्रभावितों को किसी भी प्रकार की राहत सहायता नहीं मिल सकी है। उप जिलाधिकारी मिहीपुरवा ने बताया कि कटान की सूचना मिली है राजस्व टीम को मौके पर भेजा गया है। कटान के चलते अफरा तफरी का माहौल है। ग्रामीण अपने को बेबस पा रहे हैं। सबसे बुरा हाल बच्चों, मवेशियों और महिलाओं का है।
कटान से प्रभावित हुई है 600 की आबादी :
गुप्तापुरवा गांव के घाघरा नदी में समाहित होने के चलते गांव की लगभग 600 की आबादी प्रभावित हुई है। गांव में 45 मकान थे सभी मकानों को नदी की लहरों ने खत्म कर दिया है। नदी में घर बार डूबने के बाद अब ग्रामीण पूरी तरह बेबस हैं। सभी के दो जून की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं।