प्रकृति की गोद में बसा अमरकंटक है पर्यटकों की पहली पसंद, जानिए क्या है इसकी खासियत...

प्रकृति की गोद में बसा अमरकंटक है पर्यटकों की पहली पसंद, जानिए क्या है इसकी खासियत...
पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए हमेशा से ही मध्यप्रदेश का अमरकंटक एक पसंदीदा स्थान रहा है।

पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए हमेशा से ही मध्यप्रदेश का अमरकंटक एक पसंदीदा स्थान रहा है। समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचे इस स्थान पर ही मध्य भारत के विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों का मेल होता है।

हिंदुओं के तीर्थस्थल अमरकंटक से पवित्र नर्मदा और सोन नदी की उत्पति होती है। नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की तरफ जबकि सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है इसे देखकर पर्यटकों का दिल भी खिल उठता है।

प्रकृति की सुंदरता की दृष्टि से अमरकंटक को खास वरदान मिला हुआ है। यहां के खूबसूरत झरने, पवित्र तालाब, ऊंची पहाड़ियां और शांत वातावरण सैलानियों को इस कदर मंत्रमुग्ध करते हैं कि वे दोबारा आए बिना खुद को नहीं रोक पाते हैं। अमरकंटक, आम्रकूट के नाम से भी प्रसिद्ध है।

क्या है मान्यता?

ऐसी मान्यता है कि अमरकंटक पर्वत का एक भाग है, जो पुराणों में वर्णित सप्तकुलपर्वतों में से एक है। यहां ऐसी अनेक प्राचीन मंदिर और मूर्तियां हैं जिनका संबंध महाभारत से बताया जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा जीवनदायिनी नदी रूप में यहां से बहती हैं। माता नर्मदा को समर्पित यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं, जिन्हें दुर्गा की प्रतिमूर्ति माना जाता है।

नर्मदा के दर्शन से ही मनुष्य हो जाता है पवित्र

नर्मदा के बारे में मत्स्यपुराण में एक श्लोक बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है जो इस प्रकार है-

त्रिभी: सास्वतं तोयं सप्ताहेन तुयामुनम्

सद्य: पुनीति गांगेयं दर्शनादेव नार्मदम्

इस श्लोक का अर्थ है- तीन दिन सरस्वती में, सात दिन यमुना में और एक दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य पवित्र हो जाता है, परंतु नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मनुष्य पवित्र हो जाता है। अगर आप इसका दर्शन करने के लिए जाते हैं तो इसके साथ ही आप नर्मदाकुंड मंदिर, कलचुरि काल मंदिर, सर्वोदय जैन मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं।

अमरकंटक के अलावा यहां भी कर सकते हैं विजिट

अमरकंटक से कुछ ही दूरी पर स्थित कपिलधारा का संबंध महान संत, ज्ञानी कपिल मुनि से है। धर्मग्रंथों के मुताबिक, कपिल मुनि यहां रहते थे। कहा जाता है कि कपिल मुनि ने सांख्यक दर्शन की रचना इसी स्थागन पर की थी। कपिलाधारा के निकट ही कपिलेश्वपर मंदिर भी बना हुआ है जहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कपिलधारा के आसपास कई गुफाएं हैं जहां संतों को ध्यान मुद्रा में देखा जा सकता है।

यहां से घने जंगल, पहाड़, खूबसूरत परिदृश्य और प्रकृति के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं। लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला कपिलधारा झरना पूरे देश में लोकप्रिय है। अन्य जगहों में आप धूनी पानी, दूधधारा, सोनमुडा, माई की बगिया और कबीर चबूतरा जैसी खूबसूरत जगहों का आनंद ले सकते हैं।

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