आखिर क्या होता है ‘2 जून की रोटी’ का मतलब, अक्सर बोली जाती है कहावत

आखिर क्या होता है ‘2 जून की रोटी’ का मतलब, अक्सर बोली जाती है कहावत
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हर साल 2 तारीख को ट्रेंड होने लगता है तो वहीं पर सबके मन में ख्याल आता है कि, आखिर इसका क्या मतलब होता है। आज हम जानते है इस कहावत के बारे में कैसे हुई इसकी शुरूआत।

2 June Ki Roti: जून महीने के सामने आते ही नौतपा का अंत होने के साथ बारिश का इंतजार होना शुरू हो जाता है। इस महीने में थोड़ी गर्मी तो थोड़ी बारिश का मौसम रहता ही है क्या आपने कभी इस महीने के नाम पर ‘2 जून की रोटी’ के बारे में सुना है। जो हर साल 2 तारीख को ट्रेंड होने लगता है तो वहीं पर सबके मन में ख्याल आता है कि, आखिर इसका क्या मतलब होता है। आज हम जानते है इस कहावत के बारे में कैसे हुई इसकी शुरूआत।

एक प्रचलित कहावत है 2 जून की रोटी

इसे लेकर बात करें तो, ‘2 जून की रोटी’ आमतौर पर एक प्रचलित कहावत होती है जिसमें इसका मतलब 2 वक्त के खाने से होता है। अवधी भाषा में बात करें तो, ‘जून’ का मतलब ‘वक्त’ अर्थात, समय से होता है। इस कहावत का इस्तेमाल पुराने समय में बड़े-बुजुर्ग करते थे, जिसे वे दो वक्त यानी सुबह-शाम के खाने को लेकर कहते थे, इससे यह कहना होता था कि, इस महंगाई और गरीबी के दौर में 2 वक्त का खाना भी किसी को नसीब नहीं है। इसे लेकर लोग यह 2 जून की रोटी को लेकर यह भी कहते है कि, जून का महीना सबसे गर्म होता है, ऐसे में किसान अधिक मेहनत कर घर लौटता है और तब जाकर उसे रोटी मिलती है।

भारत में गरीबी से जूझ रहे लोग

भारत में भूखमरी का आलम तेज है जहां पर मौजूदा समय में महंगाई और गरीबी के दौर में हर कोई लोगों को एक रोटी भी नसीब नहीं होती है। इसके आकंड़ों की बात करें तो, भारत की एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा(BPL) से नीचे है जिनकी जिंदगी में पेट भरने की जद्दोजहद साफ देखी जा सकती है। आज के समय में इंसान रोटी के लिए ही बस दिन-रात मेहनत करता है जिसमें कई लोग पेट भरकर भी खाना नहीं खा पाते हैं। लेकिन लोगों को भूखमरी से बचाने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाती है जिसमें, अंत्योदय अन्न योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम स्वनिधि योजना, पीएम उज्जवल योजना व मनरेगा योजना जैसी कुछ प्रमुख योजनाएं हैं इनके जरिए लोगों को खाना मिल जाता है।

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