Devshayani Ekadashi 2024: कब पड़ रही देवशयनी एकादशी, इस दिन क्या करें क्या नहीं, जानें...

Devshayani Ekadashi 2024: कब पड़ रही देवशयनी एकादशी, इस दिन क्या करें क्या नहीं, जानें...
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसके अलावा इसे हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं।

Devshayani Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी का त्योहार भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। कहा जाता है कि इस दिन पूरे शुध्द मन से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनचाहा फल की प्राप्ति होती है। साल भर में कुल 24 एकादशी होती हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसके अलावा इसे हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं।

देवशयनी एकादशी के बाद भगवान चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसी अवधि को भगवान का शयनकाल कहा जाता है और इस दिन चातुर्मास लग जाता है। इन चार माह में सारे शुभ-मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है।

कब है देवशयनी एकादशी?

इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024 को रखा जाएगा। देवशयनी एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई 2024 रात 08:33 से शुरू होगा और इसका समापन 17 जुलाई 2024 रात 09:02 पर होगा। यही कारण है कि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी व्रत रखा जाएगा और इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू होगा।

देवशयनी एकादशी के दिन इन गलतियों से बचें

  • देवशयनी एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, अंडा, मांस, मछली जैसे तामसिक आहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस तिथि में दिन में भूलकर भी सोना नहीं चाहिए।
  • इस दिन किसी की चुगली या बुराई नहीं करना चाहिए। कोशिश करना चाहिए कि माता-पिता, शुरू या किसी भी व्यक्ति का दिल न दुखाएं।
  • याद रखें एकादशी के दिन चावल भी नहीं खाना चाहिए।
  • इस दिन मन, कर्म, वचन किसी भी प्रकार के पाप करने से बचने का प्रयास करना चाहिए।

देवशयनी एकादशी के दिन क्या करें?

  • देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।
  • इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करना शुभ होता है।
  • व्रत की सिध्दि हेतु घी का दीपक जलाकर आरती करना चाहिए, भगवान को प्रसन्न करने और मन की शांति के लिए विष्णु चलीसा, विष्णु स्त्रोत का पाठ करना शुभ होगा।
  • इस दिन गरीब और ज़रूरतमंद व्यक्तियों को दान देना भी शुभ होता है।
  • देवशयनी एकादशी का व्रत रखने वालों को भूमि पर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

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