Parrot In Cage - CBI: CM अरविंद केजरीवाल को जमानत देते समय अदालत को पिंजरे में बंद तोता क्यों याद आया?

CM अरविंद केजरीवाल को जमानत देते समय अदालत को पिंजरे में बंद तोता क्यों याद आया?
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CM अरविंद केजरीवाल को जमानत देते समय अदालत को पिंजरे में बंद तोता क्यों याद आया

Parrot In Cage - CBI : नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लम्बा समय तिहाड़ जेल में बिताने के बाद अब घर वापसी की तैयारी में है। "जिसका मुझे था इन्तजार, लो वो घड़ी आ गई..." यह गाना गुनगुनाते हुए कई 'आप' पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर मिठाइयां बांटते दिखाई दे रहे लेकिन अदालत की एक टिप्पणी ऐसी है जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। अदालत ने सीएम केजरीवाल को रिहा करने का आदेश सुनाते हुए सीबीआई की गिरफ्तारी पर सवाल तो उठाए ही, साथ ही पिंजरे में बंद तोते को भी याद किया। पिंजरे के इस तोते का मसला क्या है और सीबीआई का इससे क्या कनेक्शन है यह जानने के लिए इस पूरी खबर को अंत तक पढ़ें।

दरअसल, दिल्ली की नई शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को पहले प्रवर्तन निदेशालय और फिर सीबीआई ने बारी - बारी से गिरफ्तार किया था। दोनों ही जांच एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही है। शराब घोटाले मामले में जहां सीबीआई को पूरी जांच का जिम्मा एलजी द्वारा सौंपा गया था वहीं ईडी इस पूरे घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही थी।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहले ईडी और फिर सीबीआई गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका लगाई थी। ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी लेकिन उसके बाद सीबीआई अधिकारियों ने तिहाड़ जेल में ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद दोबारा मामला अदालत में गया और अब फाइनली सुप्रीम कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी है लेकिन उन्हें आरोपों से बरी नहीं किया है।

जवाबों से ज़्यादा सवाल :

सीबीआई मामले में केजरीवाल को जमानत देने के फैसले पर सहमति जताते हुए जस्टिस उज्जवल भुइयां ने कहा, "सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी से जवाबों से ज़्यादा सवाल उठते हैं। सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करने की ज़रूरत महसूस नहीं की, हालाँकि उनसे मार्च 2023 में पूछताछ की गई थी और गिरफ्तारी तब हुई जब उनकी ईडी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई। सीबीआई अचानक सक्रिय हो गई और उसने केजरीवाल की हिरासत मांगी और इस तरह 22 महीने से ज़्यादा समय तक गिरफ्तारी की ज़रूरत नहीं पड़ी। सीबीआई द्वारा की गई इस तरह की कार्रवाई से गिरफ्तारी के समय पर गंभीर सवाल उठते हैं और सीबीआई द्वारा की गई इस तरह की गिरफ्तारी सिर्फ़ ईडी मामले में दी गई जमानत को विफल करने के लिए की गई थी।

पिंजरे में बंद तोता :

जस्टिस उज्जवल भुइयां ने आगे कहा कि, "सीबीआई को इस धारणा को दूर करना चाहिए कि वह केंद्र सरकार का "पिंजरे में बंद तोता" है। सीबीआई को बोर्ड से ऊपर देखा जाना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी अनियंत्रित तरीके से न हो। एक देश में, धारणा मायने रखती है और सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' होने की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह एक पिंजरे में बंद तोता नहीं है।"

अदातल ने किस केस में सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था ?

दरअसल, 9 मई 2013 को कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट ने प्रोग्रेस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद अदालत ने कहा था कि, "सीबीआई पिंजरे में बंद वो तोता है जो सिर्फ अपने मालिक की बोली बोलता है।" अब सालों बाद अदालत ने दोबारा सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की याद दिलाई है। अदालत ने सीएम केजरीवाल की सीबीआई गिरफ्तारी की टाइमिंग पर भी कई सवाल खड़े किये हैं।

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