वर्क प्रेशर ने ली युवती की जान: मां ने कहा कंपनी के लापरवाह रवैये ने मेरी बेटी की जान ली...

मां ने कहा कंपनी के लापरवाह रवैये ने मेरी बेटी की जान ली...
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कॉरपोरेट क्षेत्र में लगभग हर युवा आज वर्क प्रेशर से गुजर रहा है, सोशल मीडिया पर लगातार कॉरपोरेट जॉब्स और कॉरपोरेट मजदूर को लेकर मीम्‍स शेयर किए जाते हैं लोग इन पर हसते हैं लेकिन इस हंसी के पीछे छिपा दर्द और सच्‍चाई सबको पता रहती है।

ये वही सच्‍चाई है जो बताती है कि जरूरत से ज्‍यादा वर्क प्रेशर किसी व्‍यक्ति की जान भी ले सकता है, जी हां महाराष्‍ट्र के पुणे से सामने आया एक ऐसा ही मामला जिसने कॉरपोरेट कल्‍चर पर बहुत बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। पुणे में अर्न्स्ट एंड यंग की 26 वर्षीय कर्मचारी की वर्क प्रेशर से मौत हो गई, युवती का नाम एना सेबेस्टियन पेरायिल बताया जा रहा है। 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट एना ने मार्च में कंपनी ज्‍वाइन की थी।

मां के पत्र ने दहलाया दिल

एना की मां अनीता सेबेस्टियन ने अपनी बेटी को खोने के बाद ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को एक पत्र लिखा और बताया कि कैसे ईवाई के चार महीने के लापरवाह रवैये ने उनकी बेटी की जान ले ली।

इतना ही नहीं जिस कंपनी के लिए काम करते करते एना ने जान दे दी, उस कंपनी से कोई भी एना के अंतिम संस्‍कार में शामिल नहीं हुआ।

एना की मां ने पत्र मेंं आगे बताया कि यह एना की पहली नौकरी थी और वह कंपनी में शामिल होने के लिए रोमांचित थी। उसकी माँ ने लिखा "मेरी बेटी योद्धा थी, उसने स्कूल और कॉलेज में अपनी सभी परीक्षाओं में टॉप किया और EY में अपना 100 प्रतिशत दिया, उसने अपने सभी टास्‍क को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ किया।"

अनीता ने आगे लिखा " कंपनी के वर्क कल्‍चर और वातावरण ने उसे शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत परेशान किया। इसके बाद एना को एंजाइटी और नींद की परेशानी हुई लेकिन बावजूद इसके वह काम करती रही, यह मानते हुए कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है।

अनीता ने बताया कि 'जब एना इस विशिष्ट टीम में शामिल हुई, तो उसे बताया गया कि कई कर्मचारियों ने अत्यधिक काम के बोझ के कारण इस्तीफा दे दिया है।' टीम मैनेजर ने उससे कहा, 'एना, तुम्हें हमारे टीम के बारे में हर किसी की राय बदलनी चाहिए।' अनीता ने अपने पत्र में उल्लेख किया, 'मेरे बच्चे को एहसास नहीं था कि वह अपने जीवन के साथ इसके लिए भुगतान करेगी।' पुणे में अपने दीक्षांत समारोह के समय उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। "शनिवार, 6 जुलाई को, मैं और मेरे पति दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए पुणे पहुँचे। चूँकि वह पिछले एक सप्ताह से देर रात (लगभग 1 बजे) अपने पीजी पहुँचने पर सीने में जकड़न की शिकायत कर रही थी, इसलिए हम उसे पुणे के अस्पताल ले गए। उसने हमें बताया कि उसे पर्याप्त नींद नहीं मिल रही थी और वह बहुत देर से खाना खा रही थी। उन्होंने एंटासिड निर्धारित किया, जिससे हमें आश्वस्त हुआ कि यह कोई गंभीर बात नहीं है। हालाँकि हम कोच्चि से आए थे, लेकिन उसने डॉक्टर को दिखाने के बाद काम पर जाने पर जोर दिया, उसने कहा कि बहुत काम करना है और उसे छुट्टी नहीं मिलेगी,"

धीरे धीरे एना की तबीयत और बिगड़ी और उसकी जान चली गई।एना ने अपने माता-पिता को बताया कि "काम का बोझ बहुत ज़्यादा है।

एना की मां का कहना है कि "वह बहुत थकी हुई होकर घर लौटती थीं, "कभी-कभी तो बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर गिर जाती थीं। वीकेंड पर भी काम करती थी"

उनके माता-पिता ने एना से नौकरी छोड़ने के लिए कहा था "लेकिन वह सीखना चाहती थी और नया अनुभव प्राप्त करना चाहती थी। हालाँकि, यह अत्यधिक दबाव उनके लिए भी बहुत ज़्यादा साबित हुआ।

मां का कंपनी से अनुरोध

अनीता ने कंपनी से एना की मौत की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया है। उन्होंने लिखा, 'नए लोगों पर इस तरह के कमर तोड़ने वाले काम का बोझ डालना, उन्हें दिन-रात काम करने के लिए मजबूर करना, यहां तक कि रविवार को भी, इसका कोई मतलब नहीं है...।'

एना की मृत्यु को ईवाई के लिए एक वेक-अप कॉल के रूप में काम करना चाहिए... मुझे उम्मीद है कि यह पत्र आप तक उस गंभीरता के साथ पहुंचेगा जिसके वह हकदार है।

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