फांसी की मांग सुन घबराया यासीन मलिक, बोला- 7 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया, अटलजी ने मुझे हार्वर्ड भेजा
नईदिल्ली। कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आज दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने टेरर फंडिंग के आरोप में उम्रकैद की सजा सुना दी। सजा पर सुनवाई के दौरान मलिक कोर्ट में काफी गंभीर मुद्रा में दिखा। बहस के दौरान NIA द्वारा फांसी की सजा की मांग किए जाने पर उसके माथे पर चिंता की लकीरें और घबराहट नजर आने लगी।
मलिक के वकील फरहान ने सुनवाई के बाद मीडिया को बताया की कोर्ट ने फांसी की मांग के बाद यासीन को अपनी सफाई में बोलने के लिए मौका दिया। तब घबराएं यासीन ने खुद को संभालते हुए जज से कहा की, " वर्ष 1994 में हथियार छोड़ने के बाद से मैं कश्मीर में अहिंसा की राजनीति कर रहा हूँ। मैं इन 28 सालों में किसी भी हिंसात्मक घटना में शामिल नहीं हुआ। यदि इंडियन इंटेलिजेंस अगर ऐसा बता दे मैं इन सालों में किसी आतंकी गतिविधि में शामिल रहा हूँ तो मुझे सजा मंजूर हैं। "
अटल बिहारी वाजपेयी ने हार्वर्ड भेजा -
मलिक ने आगे कहा की मैने गुजराल से लेकर मनमोहन सिंह तक सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। अटल बिहारी वाजपेयी ने ही मुझे पासपोर्ट दिया था। इसके बाद मैं हार्वर्ड गया। मैं हार्वर्ड में भी भारत की तरफ से गया था। वहां मैंने लेक्चर दिया। अगर हिंसा करना ही मेरा काम होता तो मैं हार्वर्ड क्यों जाता? मेरी हमेशा से कोशिश रही कि मैं देश के प्रधानमंत्रियों के साथ मिलकर हालात को सही कर सकूं। मैं महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल रहा हूं।'
मैं कुछ नहीं बोलूंगा -
यासीन ने आगे कहा की मैं सजा पर कुछ नहीं बोलूंगा। जब भी मुझे गिरफ्तार किया गया मैंने गिरफ्तारी दी है। अब कोर्ट को जो सजा देनी है दे दे, मैं कुछ नहीं बोलूंगा।