गठबंधन की चिंता छोड़ बसपा ने शुरू की चुनावी तैयारियां
भोपाल। प्रदेश में इस साल के अंत मेें होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस में अब तक कोई बात नहीं बन सकी है। दोनेा ही दल इस मामले में एक दूसरे पर दबाब बनाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इस बीच गठबंधन की चिंता छोडकऱ बसपा ने अपना चुनावी अभियान मप्र में शुरु करने का फैसला कर लिया है। यही नहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाल ही में कांगे्रस के गठबंधन के दावे पर सवाल खड़े करते हुए साफ कह दिया है कि प्रदेश में पार्टी के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अधिक सीटें मिलती हैं तो ही गठबंधन हो सकता है। अन्यथा बसपा सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। इससे कांगे्रस पर बसपा को Óज्यादा सीटें देने का दबाव बन सकता है। मायावती ने कांगे्रस नेताओं के उन बयानों पर भी आपत्ति दर्ज कराई है जिसमें बसपा से गठबंधन होने का दावा किया गया था। मायावती ने कहा कि सम्मानजनक और पर्याप्त सीटें मिलेंगी तभी कांग्रेस के साथ मप्र, राजस्थान और छग में गठबंधन होगा। इस बयान से मध्यप्रदेश बसपा के नेता खुश हैं। गठबंधन में ज्यादा सीटें मिलने से बसपा का वर्चस्व बढ़ेगा इधर कांगे्रस को डर है कि बसपा के लिए ज्यादा सीटें छोड़ी तो पार्टी में बगावत बढ़ सकती है।
चुनाव अभियान कल से
बसपा ने कांगे्रस से गठबंधन होता नही देख 26 जुलाई से चुनाव अभियान शुरू कर दिया है। सतना, छतरपुर, मुरैना और दतिया सहित बसपा के प्रभाव वाले अन्य जिलों में बसपा ने छोटी छोटी सभाए व रैली कर अपनी सक्रियता तेज कर दी है।
कांग्रेस के लिए इसलिए है गठबंधन जरूरी
पिछले 20 सालों से मध्य प्रदेश में बसपा का वोट शेयर करीब सात प्रतिशत के करीब बना हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 37 प्रतिशत, बसपा का सात प्रतिशत और भाजपा का 45 प्रतिशत था। ऐसे में अगर बसपा व कांग्रेस के वोट शेयर को जोड़ लिया जाए तो यह गठबंधन भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इसके अलावा साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने चार सीटें जीती थीं। 62 विधानसभा सीटें ऐसी थीं जहां बीएसपी को 10 हजार और 17 सीटों पर 30 हजार वोट मिले थे।