चोला बदलते कम्प्यूटर बाबा?
इंदौर। शिवराज सिंह सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले पांच संतों में से एक कम्प्यूटर बाबा ने चुनाव से पहले एन मौके पर चोला बदला है। उनका आरोप है, सरकार धर्म और संतों की उपेक्षा कर रही है। कम्प्यूटर बाबा बताएं ऐसे कितने संत हैं जो खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं? क्या इनकी संख्या उंगली पर गिनी जा सकती है? सरकार ने आखिर किस धर्म और किस संत की उपेक्षा की है? मुख्यमंत्री की नर्मदा यात्रा के दौरान भी कम्प्यूटर बाबा ने सरकार के विरोध में 54 जिलों में विरोध यात्रा की धमक दी थी। लेकिन मंत्री पद की पेशकश मिलते ही बाबा न केवल मौन हो गए बल्कि आत्मचिंतन ही बदल गया। एक संत को मंत्री पद की जरूरत क्यों आन पड़ी? इस सवाल पर संत समाज में कम्प्यूटर बाबा की जमकर खिचाई हुई थी। पता नहीं कम्प्यूटर बाबा दबाव की राजनीति क्यों कर रहे हैं? कौन है उनके पीछे जो उनको बार-बार फिसलने को मजबूर कर रहा है?
बाबा वैसे तो इंदौर और उसके आस-पास के क्षेत्र में दौड़-धूप करते रहते हैं लेकिन, चुनाव आते ही उन्होंने कुछ ज्यादा सक्रियता दिखाई है। भीड़ में लोगों को हंसाना फिर हंसी-हंसी में जनता को भावुक कर देना बाबा की कला में शुमार है। फिर अंत में चंदा के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना बाबा के लिए बाएं हाथ का काम है। मंच पर बाबा के बोलने की बारी आती है, श्रद्धालुजन ताली से स्वागत करने लग जाते हैं। उनके इसी फन को देख योगेंद्र महंत ने बाबा से नजदीकियां बढ़ाईं। बाबा-योगेंद्र महंत की जोड़ी ऐसी रंग लाई कि इंदौर में इस जोड़ी की चर्चा है। इस जोड़ी ने रफ्तार पकड़ी और सत्ता के गलियारे में हाथ आजमाते हुए राज्यमंत्री के ओहदे तक पहुंचे। इसके लिए बाबा दलील में कहते हैं यह तो संत समाज का सम्मान है।
जिन पांच संतों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने राज्यमंत्री बनाया था, उनमें कम्प्यूटर बाबा के अलावा योगेंद्र महंत भी थे। योगेंद्र महंत कम्प्यूटर बाबा के अनुगामी बताए जाते हैं। महंत के तार कांग्रेस से जुड़े बताए जा रहे हैं। धनबल के दम पर महंत ने इंदौर में संतों की एक बड़ी जमात भी इकट्ठा की है। राजनीतिक रसूख वाले योगेंद्र महंत इंदौर की विधानसभा क्रमांक -एक से कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगने की दावेदारी करते रहे हैं। समाज के वर्ग विशेष में पैठ बनाने के लिए महंत ने कम्प्यूटर बाबा को ढ़ाल बनाकर ही उन्हें आगे किया है। बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए महंत कई बार क्रमांक-एक में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाते रहे हैं। कांग्रेस विचार धारा से संबंध रखने वाले योगेंद्र महंत ने जब राज्यमंत्री पद लिया था तब कई तरह के सवाल उठे थे। आखिर महंत किस आधार पर भाजपा सरकार में मंत्री बन रहे हैं? इसके बाद योगेंद्र महंत निशाने पर रहे हैं। कम्प्यूटर बाबा का बार-बार बयान बदलना इसी शक को बढ़ा रहा है कि कहीं वे योगेंद्र महंत को टिकट दिलवाने के लिए ही तो सरकार को ब्लैकमेल तो नहीं कर रहे हैं? इसी की आड़ में वे लगातार अलग से गौ और नर्मदा मंत्रालय की मांग कर रहे हैं। कुछ ही महीने पहले कम्प्यूटर बाबा ने जब मंत्रिपद ग्रहण किया था तो विरोध के कारण उनकी हालत सांप-छछूंदर जैसी हो गई थी। मंत्रिपद न तो निगलते बन रहा था, न छोड़ते ही। इस सौदे पर प्रदेश के कई शहरों में इनके खिलाफ संतों ने रोष जाहिर भी किया था। इस पर योगेंद्र महंत की दलील थी कि वे सरकारी संसाधनों का उपयोग नर्मदा के बेहतरी के लिए करेंगे। लेकिन, समय बदलते ही महंत ने न केवल अपना चोला बदला बल्कि कम्प्यूटर बाबा को भी यू-टर्न लेने के लिए मजबूर किया। मां अहिल्याबाई की नगरी इंदौर में भक्तिभाव के चलते संतों का अच्छा खासा प्रभाव देखा जाता है। लोग श्रद्धावान हैं और आस्था के नाम पर संतों को अमूल्य चढ़ावा प्रदान करते हैं। जिससे कम्प्यूटर बाबा रसूख और ताकत में शुमार बन गए हैं। कम्प्यूटर बाबा की अगुआई में संत समाज भेड़ की चाल चलता है। इनके पास लक्जरी कारों से लेकर आलीशान महल और आश्रम हैं। उम्मीद है कि कम्प्यूटर बाबा के असली चेहरे को लोग जानेंगे। वे जिस तरह संत समाज को बदनाम कर रहे हैं उससे लगता तो यही है कि समाज को दिशा और मार्गदर्शन देने के बजाए वे दूसरे रास्ते भटक गए हैं।