2 अक्टूबर से शुरू होगा कांग्रेस का लोक संपर्क अभियान
भोपाल/स्वदेश वेब डेस्क। केंद्र में पिछले 4 साल से और मप्र में 15 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही है। ऐसे में पार्टी चंदा जुटाकर चुनाव लडने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पार्टी 2 अक्टूबर से लोक संपर्क अभियान शुरू करने जा रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले कई महीनों से कह रही है कि पार्टी के पास फंड की कमी है। विधानसभा चुनाव में 2 माह और लोकसभा चुनावों में 6-7 महीने का वक्त है। लिहाजा चुनाव लडनें के लिए कांग्रेस फंड का इंतजाम करने में जुट गई है।
कैसे जमा होगा धन
लोक संपर्क अभियान के जरिए कांग्रेस का मकसद 45 दिनों में 500 करोड़ रुपए जुटाना है। इसमें सबसे पहले पार्टी के सांसद और विधायक अपनी एक महीने की सैलरी देंगे। इसके अलावा देशभर के 10 लाख बूथों में से हर बूथ पर 5000 रुपए जमा किए जाएंगे। कांग्रेस की सभी शाखाएं मसलन युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और अन्य इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगी। यह जिम्मेदारी लेने के बाद अहमद पटेल राज्य अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से मिल रहे हैं।
पार्टी कार्यालयों को संचालित
करने के लिए पैसा नहीं
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व को कई राज्यों में पार्टी कार्यालयों को संचालित करने के लिये पैसा तक रोकना पड़ गया। कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी के सदस्यों से खर्चों में कटौती के साथ ही पार्टी के प्रति योगदान करने के लिये कहा। अब नौबत ये है कि कांग्रेस को धीरे-धीरे देश भर में पार्टी दफ्तरों और कार्यकतार्ओं को लेकर तमाम खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। कहीं पर कार्यालय बंद करने पड़े तो कहीं पर पार्टी पदाधिकारियों को दिये गए वाहन भी वापस कर लिये गए। यहां तक कि पार्टी महासचिव और सांसदों को दिया जाने वाला ईंधन भत्ता तक रोकना पड़ा। हाल ही में पार्टी के पदाधिकारियों को हवाई यात्रा की बजाए ट्रेन यात्रा का भी निर्देश जारी हुआ है। खर्चों में कटौती की कवायद से कांग्रेस को लेकर पार्टी कार्यकतार्ओं में संदेश भी उत्साहजनक नहीं गए। इसी साल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं।
सत्ता से बाहर होते ही गहरा जाता है वित्तीय संकट
कांग्रेस जब भी सत्ता से बाहर हुई है तो उसके सामने वित्तीय संकट गहराया है। 1977 में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के भीतर आर्थिक संकट बढ़ा था लेकिन इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी से कांग्रेस उबर गई थी। इसके बाद एनडीए के सत्ता में रहने से भी कांग्रेस की आर्थिक सेहत पर असर पड़ा था।