एक अनार, सौ बीमार
सीधी। विधानसभा चुनाव में किसे टिकट मिलगा किसे नही यह अभी तय नही हो पाया है लेकिन उसके पहले ही भाजपा एवं कांग्रेस से दावेदारों द्वारा अफवाहों का दौर शुरू कर दिया गया है जिले के चार विधानसभा सीटों में कांग्रेस से जहां चुरहट एवं सिहावल में लगभग प्रत्याशी तय है, वहीं सीधी एवं धौहनी विधानसभा क्षेत्र में असमंजस्य की स्थिति के बावजूद भी कई नेता अपने आपको प्रत्याशी मानने में पीछे नही है। यहीं हालात भाजपा में भी देखी जा रही है। जहां कि जिले की चारों विधानसभा सीटों में दावेदारों की संख्या कम नही है। यहां कई नेता अपने आपकों टिकट मिलना तय मानकर चुनाव अभियान में जुटते देखे जा रहे है। वहीं कई दावेदार टिकट को लेकर भोपाल दिल्ली में डेरा जमाऐ हुए है।
चुनाव में भले ही विजय हासिल करने मे नाकाम हो जाते हो लेकिन टिकट को लेकर प्रत्याशियों को काफी पापड़ बेलना पड़ रहे हंै। इन सवके बावजूद जिस तरह के दावेदार इन दिनों देखे जा रहो है, उससे ऐसा लगता है कि उन्हें यदि टिकट मिलेगा तो वे जीत ही जाएंगे। प्रभावी नेताओं की बात छोड़ दे तो कुछ ऐसे दावेदार भी है जिनका दमखम विधानसभा क्षेत्र में क्या ग्राम पंचायत मे सरपंच बनने की भी नही है लेकिन वे भी भाजपा एवं कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर के अपने आपको प्रबल बताने की कोशिशों मे लगे हुए है। सीधी जिले के विधानसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक दावेदार कांग्रेस से सीधी धौहनी एवं भाजपा से चुरहट सिहावल सीधी विधानसभा क्षेत्र में ही देखे जा रहे है। धौहनी मे भाजपा के दावेदारों की संख्या न के बरावर है।
इधर महिलाएं भी मांग रहीं टिकट
महिलाओं को आरक्षण देने का वादा करने को लेकर महिला नेत्री भी टिकट की मंशा जताये हुए हैं। इस बार भाजपा एवं कांग्रेस से महिला नेत्री भी चुनाव के टिकट में वरिष्ठो से सम्पर्क में लगी हुईं हैं। जिसमे सिहावल चुरहट से भाजपा की सक्रिय महिलाएं प्रत्याशी बनने को बेताब हैं।
इंतजार में निर्दलीय प्रत्याशी
भाजपा एवं कांग्रेस द्वारा जब तक जिले की विधानसभा सींटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नही की जाती है तब तक किस विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कौन मैदान में होगा, अभी यह तय नही हो पा रहा है लेकिन जैसे ही दोनों पार्टियों द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा की गई जाहिर है कि निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में आ सकते है। यह निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते या न जीते लेकिन राजनैतिक पार्टियों का खेल जरूर बिगाड़ देते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में ही यहां से लगभग एक दर्जन से अधिक निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा था।