गोहद भाजपा का गढ़, कांग्रेस में हावी है गुटबाजी

गोहद भाजपा का गढ़, कांग्रेस में हावी है गुटबाजी
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गोहद विधानसभा क्षेत्र आरक्षित सीट पर अन्य जातियों के पास विधायक चुनने की चाबी

अनिल शर्मा/भिण्ड। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कौन करेगा, यह यहां का ठाकुर, गुर्जर, ब्राह्मण, वैश्य समाज तय करता है, जिन उम्मीदवारों की इन अन्य जातियों पर अच्छी पकड़ है, उन्हें ही सफलता मिली है। 2008 के चुनाव में अटेर से गोहद चुनाव लडऩे गए माखनलाल जाटव की जीत का भी यही राज था। स्व. माखनलाल जाटव को डॉ. गोविंद सिंह के समर्थन के साथ लालसिंह आर्य के विरोध का पूरा फायदा मिला था। यहां भाजपा का ही एक धड़ा लालसिंह आर्य को हराने में लग गया, जिसके फलस्वरूप माखन को विधायकी मिली, लेकिन 2013 में लालसिंह आर्य को कांग्रेस की गुटबाजी एवं अंतरकलह का पूरा लाभ मिला और वह करीब 20 हजार से विजयी हुए।

वर्तमान में यदि इस विधानसभा सीट पर गौर करें तो भाजपा के अलावा किसी भी दल के पास मजबूत प्रत्याशी नहीं है। एक और बात यह कि संगठन की दृष्टि से भी भाजपा ही मजबूत है। कांग्रेस यहां कई धड़ों में बंटी है,। यहां सिंधिया व दिग्विजय गुट में सदैव छत्तीस का आंकड़ा रहता है, तो उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा होने से गुटों में एकता नहीं है। अब तक कांग्रेस पार्टी स्थानीय स्तर पर किसी सर्वमान्य उम्मीदवार को तय नहीं कर पाई है, जो सिर्फ कांग्रेसी हो और सभी गुट उसका समर्थन करें। इस विधानसभा सीट पर बसपा ज्यादा प्रभावशाली नहीं है, लेकिन पार्टी का निश्चित बोट बैंक जरूर है, जो आज से नहीं 1957 के चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालने पर प्रमाणित होता है। बेशक कम्युनिस्ट पार्टी का कोई विधायक यहां से नहीं चुना गया हो, लेकिन उसके उम्मीदवार के बोट सम्मानजनक आते रहे हैं, जो किसी भी उम्मीदवार की जीत को हार में और हार को जीत में बदलने की ताकत रखते हैं।

जनसंघ के समय से भाजपा का दबदबा कायम

1967 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई गोहद विधानसभा क्षेत्र पर जनसंघ के समय से ही कब्जा रहा है, जो दबदबा भाजपा गठन के बाद भी बरकरार है। 1980 से अब तक हुए आठ चुनावों में भाजपा पांच बार काबिज रही है। वर्तमान में लालसिंह आर्य हैं, जो प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। मूलत: भिण्ड निवासी लालसिंह आर्य को संगठन ने गोहद चुनाव लडऩे भेजा था, जो पूरी तरह क्षेत्र के लिए समर्पित होकर वहीं के होकर रह गए हैं। जबकि अन्य कई उम्मीदवार भी बाहर से चुनाव लडऩे गए, लेकिन वे गोहद को पूरी तरह अपना नहीं पाए। यही कारण है कि लालसिंह आर्य को यहां की जनता का तीन बार आशीर्वाद मिला है।

भाजपा का अंतर्विरोध सदैव रहा घातक

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह विधानसभा क्षेत्र बैसे तो जनसंघ व भाजपा का गढ़ है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी समीकरण बिगाड़ती रही है। कांग्रेस या बसपा को तभी सफलता मिली है, जब भाजपा में अंतर्विरोध के स्वर उभरे हैं। चाहे श्रीराम जाटव की हार लालटेन जलाने से हुई हो या फिर लालसिंह को माखन से मिली पटकनी। दोनों में ही भाजपा की हार का कारण अंतर्विरोध बना है। अनिल शर्मा

भिण्ड। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कौन करेगा, यह यहां का ठाकुर, गुर्जर, ब्राह्मण, वैश्य समाज तय करता है, जिन उम्मीदवारों की इन अन्य जातियों पर अच्छी पकड़ है, उन्हें ही सफलता मिली है। 2008 के चुनाव में अटेर से गोहद चुनाव लडऩे गए माखनलाल जाटव की जीत का भी यही राज था। स्व. माखनलाल जाटव को डॉ. गोविंद सिंह के समर्थन के साथ लालसिंह आर्य के विरोध का पूरा फायदा मिला था। यहां भाजपा का ही एक धड़ा लालसिंह आर्य को हराने में लग गया, जिसके फलस्वरूप माखन को विधायकी मिली, लेकिन 2013 में लालसिंह आर्य को कांग्रेस की गुटबाजी एवं अंतरकलह का पूरा लाभ मिला और वह करीब 20 हजार से विजयी हुए।

नेताओं की राय

गोहद क्षेत्र के विकास के लिए सदैव तत्पर हूं। सर्वाधिक विकास कार्य गोहद में हुए हैं। खारे पानी की समस्या के निदान की पहल हुई है। कुछ गांव में मीठा पानी पहुंचने लगा है, कुछ में काम प्रगति पर है। गोहद की पेयजल योजना 133 करोड़ 57 लाख की स्वीकृत हुई है, जिसका मुख्यमंत्री ने शिलान्यास भी कर दिया है। औद्योगिक क्षेत्र में 50 प्रतिशत भू अर्जन परिवारों को रोजगार मिला है। क्षेत्र के नौजवानों को रोजगार मिलना चाहिए, इसमें हमने भी काफी तादात में लोगों को लगवाया है। लेकिन यदि कांग्रेस जब औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हुई थी तभी यह शर्त रखवा देती कि स्थानीय लोगों को रोजगार निश्चित मिलेगा तो शायद आज क्षेत्र के लोग बेरोजगार नहीं होते। भाजपा शासनकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, पहुंचमार्ग निर्माण में बेहतर काम हुआ है। गोहद का अस्पताल सबसे अच्छा है। यहां लोगों को समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं।

लालसिंह आर्य, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री

गोहद की प्रमुख चार समस्याओं का निदान करने में सरकार विफल रही है। खारे पानी की समस्या व पेयजल, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं व आवारा पशुओं से निजात दिलाने में विफल रही है। जिला पंचायत सदस्य होने के नाते मेरे द्वारा यह मुद्दा जिला योजना समिति में उठाया गया, लेकिन सरकार भाजपा की है, इसलिए सफलता नहीं मिली। आगामी 2018 के चुनाव में इन समस्याओं के अलावा बेरोजगारी मुद्दा होगा। गोहद में औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर में स्थित है, लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। कांग्रेस के शासनकाल में क्षेत्र में बड़े-बड़े उद्योग खोले गए जो भाजपा शासनकाल में समाप्त हो रहे हैं। सरकार रोजगार के क्षेत्र में कोई काम नहीं कर रही है। जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है।

मेवाराम जाटव, निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस

मतदान केंद्र 274

कुल मतदाता 2,14,191

पुरुष मतदाता 1,19,401

महिला मतदाता 94,790

संभावित प्रत्याशी

भाजपा- लालसिंह आर्य।

कांग्रेस- रणवीर जाटव, मेवाराम जाटव, सुनील शेजवार, रामनारायण हिण्डोलिया, राजकुमार देशलहरा, केशकली, रेखा बसेडिय़ा।

2013 चुनाव परिणाम

लालसिंह आर्य भाजपा 51,711

मेवाराम जाटव कांग्रेस 31,897

फूलसिंह बरैया बहुजप संघर्ष दल 14,637

जीत का अंतर 19,814

अभी तक चुने गए विधायक

वर्ष विजयी प्रत्याशी पार्टी

1957 सुशीला देवी कांग्रेस 1962 रामचरण लाल प्रसोपा

1967 (अजा सुरक्षित) कन्हैयालाल जनसंघ

1972 भूरेलाल भारतीय जनसंघ

1977 भूरेलाल जनता पार्टी

1980 श्रीराम जाटव भाजपा

1985 चतुर्भुज भदकारिया कांग्रेस

1990 श्रीराम जाटव भाजपा

1993 चतुरीलाल बरहादिया बसपा

1998 लालसिंह आर्य भाजपा

2003 लालसिंह आर्य भाजपा

2008 माखनलाल जाटव कांग्रेस

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