कइयों का खेल बिगाड़ देगा नोटा
भोपाल। विधानसभा चुनाव में इस बार भी नोटा कइयों के जीत-हार का समीकरण बिगाड़ देगा यह तय है, क्योंकि सवर्ण आंदोलन के चलते नोटा समर्थक लोगों के और भी बढऩे की संभावना है। पिछले चुनाव में इसी नोटा ने कांग्रेस के 14 और भाजपा के 12 प्रत्याशियों को विधानसभा पहुंचने से रोक दिया था।
दरअसल, चुनावी रण में हर विधानसभा क्षेत्र में थोक के भाव में प्रत्याशी मैदान में उतरते हैं, जिनमें से सिर्फ एक ही प्रत्याशी को विधानसभा में पहुंचने का मौका मिलता है, लेकिन कई बार इस हार-जीत का अंतर इतना कम होता है, जिसे भुलाना प्रत्याशियों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है, कई बार ऐसी हार-जीत या दो प्रत्याशियों को एक समान वोट मिलना। साल 2015 में इस हार जीत में एक और अध्याय जुड़ा, जिसे नोटा नाम से जाना जाता है, जो मतदाओं को कोई भी प्रत्याशी पंसद नहीं आने पर नोटा का बटन दबाने का विकल्प देता है।
2013 में 1.85 प्रतिशत ने किया था नोटा का प्रयोग
साल 2013 में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और दिल्ली विधानसभा चुनाव में कुल 1.85 फीसदी मतदाओं ने नोआ का इस्तेमाल किया था, जबकि इससे अगले साल 2014 में आठ राज्यों के विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा गिरकर 0.95 फीसदी रह गया। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में 1.1 फीसदी लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था। सन 2015 में दिल्ली विस चुनाव में सबसे कम 0.40 प्रतिशत मतदाओं ने नोटा का विकल्प चुना, जबकि बिहार में सर्वाधिक 2.49 प्रतिशत वोटरों ने इसे अपनाया।
मप्र मेें नोटा के कारण चुनाव हार गए थे भाजपा के 12, कांग्रेस के 14 प्रत्याशी
-शिवराज सरकार के 4 मंत्रियों को नोटा की वजह से चुनाव में हार मिली।
-सबसे कम अंतर से हार का सयामना करना पड़ा था सुरखी के कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद ङ्क्षसह राजपूत को, जिन्हें भाजपा की पारुल साहू ने 141 वोटो से मात दी थी, जबकि यहां नोटा को मिले थे 2043 वोट।
-हटा से कांग्रेस के हरिशंकर चौधरी भाजपा की उमा देवी खटीक से 2852 वोटों से हारे थे, जबकि यहां नोटा को मिले थे 2951 वोट।
-गुन्नौर से कांग्रेस के शिवदयाल 1337 वोटों से पराजित हुए थे, नोटों को मिले थे 2991 वोट।
-सीधी से कांग्रेस के कमलेश्वर द्विवेदी 2360 वोटों से चुनाव हार गए थे, जबकि नोटा को 2761 वोट मिले थे।
-बड़वारा से कांग्रेस के विजय राघवेंद्र सिंह 3287 वोटों से हारे थे, जबकि नोटा को मिले थे 4390 वोट।
-जबलपुर पूर्व से कांग्रेस के लखन घनघोरिया 1155 वोटों से हारे थे, नोटा को मिले थे 2761 वोट।
-बरघाट सीट से कांग्रेस के अर्जुन सिंह महज 269 वोट से हारे थे, नोटा को यहां 3895 वोट मिल थे।
-शाजापुर के कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री हूकुम ङ्क्षसह कराड़ा 1938वोटों से चुनाव हार गए थे, नोटा को मिले थे 2470 वोट।
-सोनकच्छ से कांग्रेस के अुर्जन वर्मा को 1880 वोटों से हार का सामाना करना पड़ा था, नोटा को मिले थे 2617 वोट।
-पानसेमल से कांग्रेस की चंद्रभागा किराड़े 7382 वोट से हारी थी, जबकि नोटा को मिले थे 9288 वोट।
-सरदारपुरा से कांग्रेस प्रताप ग्रेवाल 529 वोटों से हारे थे, नोटा को मिले थे 2911 वोट।
मनावर से कांग्रेस की निरंजन दावर लोनी 1639 वोटों से चुनाव हार गए, जबकि यहां नोटा को मिले 2497 वोट।
-सैलाना से कांगेस हर्षग्विजय गहलोत 2079 वोट से हारे, जबकि नोटा को 4588 मिले थे।
-मप्र के मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा भी सिरोंज से 1584 वोटों से चुनाव हार गए, यहां नोटा को मिले थे 2224 वोट।
-ग्वालियर पूर्व से मुन्नीलाल गोयल 1147 वोटों से हारे थे, जबकि नोटो को मिले 2112 वोट।
-जतारा से भाजपा प्रत्याशी हरीशंकर खटीक 233 वोट से हारे थे, जबकि नोटो को मिले थे 1755 वोट।
-मनगवा से भाजपा की पन्नाबाई प्रजापति महज 275 वोट से विधायक बनने से चुक गई, नोटा को यहां 2215 वोट मिले थे।
-कोतमा से भाजपा के राजेश सोनी 1546 वोट से हारे थे, नोटा को मिले थे 1704 वोट।
-विजयराघगढ़ से भाजपा को पद्मा शुक्ला 929 वोटों से हारी थी, नोटा को मिले थे 4112 वोट।
-जबलपुर पश्चिम से भाजपा के हरेंद्रजीत सिंह बब्बू 923 वोट से हारे थे, जबकि नोटा को मिले थे 3693 वोट।
-अमरवाड़ा से भाजपा के उत्तर ठाकुर को 4063 वोटो से हारे, नोटा को मिले थे 8232 वोट।
-पाढुर्ना के टीकाराम कोचारी 1478 वोटों से हारे थे, नोटा को यहां 4251 वोट मिल थे।
-इछावर से भाजपा के करण वर्मा 744 वोट से हारे थे, जबकि यहां नोटो को मिले थे 1989 वोट
-सीहोर से भाजपा की ऊषा रमेश सक्सेना 1626 वोट से हारी थी, नोटा को मिले थे 2379 वोट।
-भीकनगांव से भाजपा की नंदा ब्राह्याने 2399 वोट से हारी थी, नोटा को मिल थे 3719 वोट।