मप्र में हार-जीत का गणित पेचीदा

मप्र में हार-जीत का गणित पेचीदा
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निर्णायक साबित होंगे युवा

चुनाव डेस्कमध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा वर्ष 2003 से लगातार जीत का परचम लहरा रही है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 44.88 प्रतिशत मत और 165 सीटें मिली थीं। कांग्रेस के खाते में 36.38 प्रतिशत मत और महज 58 सीटें आई थीं, जबकि मतों की दृष्टि से देखें तो कुल 4.66 करोड़ मतों में से कांग्रेस को 1 करोड़ 23 लाख 15 हजार 253 मत मिले थे। इसके मुकाबले भाजपा को 1 करोड़ 51 लाख 91 हजार 335 मत प्राप्त हुए थे, लेकिन कहा जा रहा है कि राज्य में युवा जिधर जाएंगे, उसी पार्टी का भाग्य बदल जाएगा, इसलिए सभी दलों की निगाह युवा मतदाताओं पर है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में करीब 1 करोड़, 37 लाख, 83 हजार 383 ऐसे युवा मतदाता हैं, जिनकी आयु 20 से 29 साल के बीच की है। इनमें से 18 से 19 साल की आयुवर्ग वाले युवाओं की संख्या करीब 23 लाख है। चुनाव आयोग के अनुसार वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 5.66 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में मुख्यत: केवल दो राजनीतिक दल हैं, जिनके मतों का प्रतिशत दहाई अंक का है। कांग्रेस और भाजपा के बाद तीसरे नम्बर की पार्टी बसपा है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा को कुल 21 लाख 28 हजार 333 मत मिले थे। बसपा ने चार सीटें जीतने में सफलता पाई थी। कांग्रेस और भाजपा दोनों का अनुमान है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी तीसरे राजनीतिक दल को कोई खास सफलता हाथ नहीं लगने वाली है। बसपा को इस विधानसभा चुनाव में भी छह से सात प्रतिशत मत और तीन से पांच सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहने की उम्मीद है, लेकिन सपा, बसपा, गोंगपा सहित अन्य छोटे दल कांगे्रस की चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं।

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