पोरसा से जाता है विधानसभा का रास्ता जिसने साधा वही बना विधायक
घनश्याम डंडौतिया/मुरैना। यह विधानसभा अंबाह एवं पोरसा तहसील को मिलाकर बनी है। अंबाह विधानसभा दो क्षेत्रों में बंटी हुई है। बेशक अंबाह तहसील, पोरसा से बड़ी है, लेकिन विधानसभा में दबदबा हमेशा पोरसा क्षेत्र का ही रहता है। देखा जाए तो पोरसा क्षेत्र का ही प्रत्याशी विधानसभा में जीतता आया है। विकास की दृष्टि से देखा जाए तो यह दोनों ही तहसील काफी पिछड़ी हुई हैं। यहां उतने विकासात्मक कार्य नहीं हुए जितने होने चाहिए। वैसे तो इस क्षेत्र की कई समस्याएं हैं, लेकिन उनमें सबसे अधिक समस्या बेरोजगारी की है। इसके अलावा यहां की ध्वस्त कानून व्यवस्था भी एक बड़ा मसला है। खराब कानून व्यवस्था का ही नतीजा है कि यहां के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है। इसके अलावा पोरसा क्षेत्र से भी कई व्यापारियों ने बाहर का रुख किया है।
दो तहसीलों में बंटा है विस क्षेत्र, रोजगार न होने से पलायन कर रहे क्षेत्रवासी
दरअसल करीब दो दशक से यह क्षेत्र अपराधियों की शरण स्थली बना हुआ है। इस वजह से व्यापारियों से हफ्ता बसूली, मारपीट, खरीदे गए सामान के पैसे न देना मामूली बात है। इन सब कारणों की वजह से पिछले विधानसभा चुनावों में क्षेत्र की जनता ने प्रदेश में काबिज सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मतदान भी किया था। उधर चंबल पुल पर उदैस घाट पर पुल निर्माण का मुद्दा भी लंबे समय से चल रहा है। हालांकि अब यहां पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है और नि:संदेह इसका लाभ भाजपा को मिलने वाला है। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं सांसद अनूप मिश्रा के विशेष प्रयासों के चलते न केवल उसैद घाट पुल का निर्माण प्रारंभ हो सका बल्कि अंबाह-उसैद मार्ग भी लगभग बनकर तैयार हो चुका है। इस मार्ग एवं पुल निर्माण से अंबाह व पोरसा में विकास के नए आयाम बनेंगे। यहां राजनैतिक दृष्टि से देखा जाए तो कांग्रेस की सबसे दयनीय स्थिति है। 1985 से कांग्रेस यहां पर विधायक नहीं बना पाई है। वर्तमान में यहां बसपा के विधायक हैं और वह दूसरी बार भी जीतने का दावा कर रहे हैं। हालांकि यह माना जा रहा है कि इस बार यहां भाजपा वापसी भी कर सकती है। उधर अंबाह विधानसभा मुरैना की एक मात्र आरक्षित सीट है। इसलिए सभी दलों के दलित नेताओं की निगाह यहां बनी रहती है। भाजपा एवं कांग्रेस से टिकिट की चाह रखने वाले दलित नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। यहां तक कि मुरैना के भी करीब आधा दर्जन दलित नेता अंबाह विधानसभा से अपनी दावेदारी भाजपा एवं कांग्रेस में जता रहे हैं।
जातीय समीकरण
क्षत्रिय 45 हजार
सखबार 45 हजार
ब्राह्मण 25 हजार
वैश्य 12 हजार
मुसलमान 10 हजार
राठौर 08 हजार
जाटव 07 हजार
कुशवाह 07 हजार
वघेल 06 हजार
गुर्जर 05 हजार
कोरी 03 हजार
नाई 04 हजार
धोबी 04 हजार
कुम्हार 05 हजार
अन्य 33 हजार
नेताओं की राय
हमने विधानसभा चुनाव लड़ते समय कोई वायदा नहीं किया था और न ही बसपा कोई वायदा करती है। हम सिर्फ काम पर विश्वास करते हैं। जैसी जहां जरूरत होती है वैसा काम करते हैं। सभी वर्गों के लिए काम किया। इसके अलावा क्षेत्र की जनता को जब भी जरूरत पड़ी हमेशा हाजिर रहा। सड़कें विहीन गांवों में काम किया। उन्हें कभी शासन-प्रशासन से विकास के लिए सहयोग नहीं मिला। यहां भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है, आम जनता इससे त्रस्त है। इस सरकार के खिलाफ कर्मचारी, किसान, आम जनता सभी सहित सभी वर्ग हैं।
सत्यप्रकाश सखबार
बसपा विधायक, अंबाह
वर्तमान विधायक ने क्षेत्र विकास के लिए कुछ भी नहीं किया है। वह विकास के मामले में शून्य रहे। जनता इसका दण्ड कुछ महीनों बाद ही दे देगी। मैं जब इस क्षेत्र से विधायक था, तब यहां विकास के कई कार्य कराए। स्टॉप डेम एवं विद्युत सब स्टेशन बनवाए। जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई एवं बिजली समस्या का काफी हद तक हल हुआ। इसके अलावा 124 प्रधानमंत्री सड़कें बनवाईं। गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछवाया। पोरसा स्थित अटेर रोड पर अंबेडकर भवन बनवाया। मैंने अपने कार्यकाल में काफी विकास कार्य किया था।
बंशीलाल
पूर्व विधायक, भाजपा
कुल मतदाता 2,10,955
पुरुष मतदाता 1,15,769
महिला मतदाता 95,181
संभावित प्रत्याशी
भाजपा - अशोक अर्गल, संध्या राय, बंशीलाल, कमलेश सुमन, अभिनव छारी।
कांग्रेस - विजय छारी, अमर सिंह।
बसपा - सत्यप्रकाश सखबार।
2013 चुनाव परिणाम
सत्यप्रकाश सखबार बसपा 49,574
बंशीलाल भाजपा 38,286
अमर सिंह कांग्रेस 20,130
अभी तक चुने गए विधायक
वर्ष नाम दल
1957 रामनिवास कांग्रेस
1962 जगदीश सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1963 महेन्द्र सिहं बाबूजी कांग्रेस
1967 रतीराम निर्दलीय
1972 राजाराम सिंह कांग्रेस
1977 चौखेलाल जनता पार्टी
1980 कम्मोदीलाल जाटव कांग्रेस
1985 रामनारायण सखबार कांग्रेस
1990 किशोरा सखबार जनता दल
1993 बंशीलाल भाजपा
1998 बंशीलाल भाजपा
2003 बंशीलाल भाजपा
2008 कमलेश जाटव भाजपा
2013 सत्यप्रकाश सखबार बसपा