शिवराज सिंह बनाम राहुल गांधी के बीच होगा सत्ता का संग्राम

शिवराज सिंह बनाम राहुल गांधी के बीच होगा सत्ता का संग्राम
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कांग्रेस के पास चौहान के कद का नहीं है कोई नेता, 230 विधानसभा क्षेत्रों में हुंकार भरेंगे राहुल गांधी

भोपाल। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि यह चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व शिवराज सिंह की अगुवाई में लड़ा जायेगा। अगले माह से राहुल गांधी यहा प्रचार शुरू करेंगे और उनका प्रयास होगा कि वह सभी विधानसभा तक पहुचे। राहुल गांधी के प्रचार कमान थामने से यह भी साबित हो गया है कि प्रदेंश कांग्रेस में शिवराज सिंह के कद का कोई नेता नही है यही कारण है कि राहुल गांधी को सामने आना पड़ रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी सितंबर के पहले हते में चुनाव के लिए तैयार ओंकारेश्वर से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। उनका लक्ष्य सभी 230 विधानसभा सीटों तक पहुंचना होगा। इस दौरान चुनाव प्रचार की पूरी कमान उनके हाथो में होगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले भी चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश आते रहे है लेकिन उनका प्रचार तब कुछ चुनिंदा सीटो या क्षैत्रो तक सीमित रहता था यह पहली बार है कि वह बस यात्रा निकालकर प्रदेश की सभी विधानसभा क्षैत्रो तक पहुचने का प्रयास करेंगे। कांग्रेस सूत्रो का कहना है कि वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि प्रदेश कांग्रेस में कोई चेहरा नही जो उसकी बराबरी कर सके इसलिए राहुल गांधी को सामने लाना कांग्रेस की मजबूरी हो गई है। इसके अलावा राहुल गांधी के सामने आने पर ही कांग्रेस की गुटबाजी पर लगाम लग जायेगी क्योकि श्री गांधी के सामने दिग्गज नेता व उनके समर्थक मुंह नही खोल पायेंगे।बता दे कि प्रदेश में पिछले 15 सालों से भाजपा सत्ता में है। 2003 में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में एक दशक लंबे कांग्रेस शासन के अंत के बाद, पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा को मजबूत चुनौती दे पाने में नाकाम रही है। तब से भारत की सबसे पुरानी पार्टी राज्य में गुटबाजी और भितरघात से जूझ रही है।

तीन बार हो चुके हैं अभ्रदता के शिकार

वही कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति में भी बदलाव कर दिया है।कांग्रेस ने अपने नेताओं से कहा है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के प्रबुद्धजनों के घर जाएं, उनके साथ बैठकर चाय पीएं, चर्चा करें। कांगे्रस की विचारधारा से उन्हें अवगत कराएं। प्रदेश सरकार के कामकाज की जमीनी हकीकत पता करें। योजनाओं की विफलताओं के बारे में बताएं। किसी पर भी कांगे्रस ज्वाइन करने का दवाब न बनाया जाए। यदि वे पार्टी में शामिल होते हैं तो अच्छा है। उनसे यही कहा जाए कि वे सिर्फ सच का साथ दें। पार्टी को उमीद है कि जब समाज का हर वर्ग भाजपा सरकार से नाराज है तो ऐसे में वे कांग्रेस का ही साथ देंगे। इनमें से किसी एक सक्रिय व्यक्ति को मोहल्ला कमेटी की जिमेदारी सौंपी जाए।

उम्मीदवार हुए सक्रिय

प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस दोनों में उमीदवार का चयन सर्वे की लोकप्रियता के आधार पर होगा। ऐसे में हर नेता मीडिया, क्षेत्र में अपनी पहचान कायम करने क प्रयास कर रहा है। जनता के बीच घूमते वक्त ज्यादा संख्या में समर्थकों की भीड़ जुटाने का प्रयास हो रहा है, ताकि जन समर्थन दिखाई दे। सर्वे के वक्त ये फॉर्मूला उन्हें टिकट के करीब पहुंचाने में मदद पहुंचा सकता है। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों के भीतर हर विधानसभा में दावेदारों की कतार लगी है। कांग्रेस में जिन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक हैं, वहां उम्मीदवारी के लिए खुले तौर पर दावेदार खुद की उमीदवारी साबित करने में जुटे हैं। लोगों के बीच लगातार समस्याओं को लेकर आंदोलन, प्रदर्शन किया जा रहा है।

और शुरू कर दींचुनावी तैयारी

चुनावी साल में राजनीतिक दलों के साथ ही उमीदवारों की व्यक्तिगत तैयारी शुरू हो गई है। टिकट की उमीद लगाकर बैठे दावेदारों ने जनता के बीच जनसंपर्क तो महीनों पहले ही शुरू कर दिया था, अब उनके बीच बने रहने के लिए बाकायदा दतर भी खुलने लगे हैं। ये उमीदवारों का इलेक्शन वाररूम है, जहां से चुनावी रणनीति तय होगी। कई दावेदारों ने ऐसे वाररूम बना लिए हैं। वहीं कई क्षेत्रों में प्राइम लोकेशन की तलाश हो रही है। कम वक्त के लिए दुकानों-मकानों की तलाश तेजी से हो रही है। इधर, मकान मालिक भी उमीदवारों से एडवांस किराए के तौर पर मोटी रकम की डिमांड कर रहे हैं।

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