सिंधिया परिवार के आगे बौने दल जिस पर रखा हाथ वही बना विधायक
उमेश भारद्वाज/शिवपुरी। भगवान शिव के नाम से प्रख्यात शिवपुरी नगर अगले साल शताब्दी वर्ष में प्रवेश करेगा। कभी सियापुरी तो कभी सीपरी के नाम से बनते बिगढ़़ते रहे इस नगर ने अभी तक कई उतार चढ़ाव देखे हैं। स्वतंत्र भारत के पूर्व से लेकर आज दिनांक तक सिंधिया परिवार के कब्जे में रहने वाले विधानसभा क्षेत्र शिवपुरी में इस परिवार के आगे राष्ट्रीय दल भाजपा, कांग्रेस गौड़ नजर आता हैं। चुनावी मैदान में जिस प्रत्याशी पर हाथ रखा उसे जिताकर विधानसभा की चौखट पर पहुंचाने का कार्य किया है। उनका यह क्रम आज भी बरकरार बना हुआ है।
दो दशक पूर्व तक शांत, स्वच्छ, चहुंओर हरियाली से परिपूर्णत: के साथ-साथ प्रकृति जन्य, रोजगार के पर्याप्त संसाधान पत्थर, रेत एवं जड़ी-बूटी के देश-विदेशों में फैले बड़े व्यापार से यहां के लोग आर्थिक रूप से संपन्न थे। लेकिन विकास की अंधी दौड़ ने शांत, स्वच्छ और रोजगार प्राप्त यह क्षेत्र वर्वादी के गर्त में समाता चला गया। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर यहां के लोगों को रोजगार देने वाली खदानें छीन ली गई। जिसके कारण हजारों लोग बेरोजगार हो गए। नागरिकों की प्यास बुझाने वाले शहर के हृदय स्थलों पर बने एक दर्जन से अधिक छोटे-बड़े तालाबों पर भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर वहां बड़े-बड़े भवनों का निर्माण कर दिया गया। स्वतंत्र भारत के बाद विधानसभा क्षेत्र शिवपुरी में एक भी उद्योग स्थापित नहीं हो सका। कभी भाजपा, कभी कांग्रेस के प्रत्याशियों को सिंधिया परिवार अपने-अपने हिसाब से चुनाव जीता ता रहा। चुनाव जीतने के बाद इन दोनों दलों के विधायकों ने शहर के विकास के लिए कोई उल्लेखनीय योजना लाने का प्रयास नहीं किया। हालांकि इस क्षेत्र को मिनी हैदराबाद, बाम्बे, और इंदौर जैसी स्मार्ट सिटी का दर्जा देने के लिए सिंधिया परिवार से चुने गए। भाजपा-कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों ने अपने विशेष प्रयास किए हैं। इन्हीं प्रयासों के दम पर वह अरबों रूपए की लागत से निर्मित होने वाली सिंध जल परियोजना, सीवेज प्रोजेक्ट, राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, एनटीपीसी कॉलेज, 300 विस्तर का हॉस्पिटल, पायलेट प्रोजेक्ट के तहत तालाबों का निर्माण, नई सड़कों के निर्माण, पर्यटन केन्द्रों का जीर्णोद्धार, मंदिरों का जीर्णोद्धार, शहर के पार्कों के सौन्दर्यीकरण सहित अन्य जरूरतों के हिसाब से योजना लेकर आए, परन्तु इसे नागरिकों का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इनमें से एक भी योजना अपनी पूर्णत: प्राप्त नहीं कर सकी। नतीजा यहां के लोग आज भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं। मूलभूत समस्याओं से जूझते हुए नागरिकों का दोनों ही प्रमुख राष्ट्रीय दलों से मोहभंग हो गया है, लेकिन विकल्प न होने के कारण इन दोनों ही दलों में से किसी एक उम्मीदवार को चुनना उनकी मजबूरी हैं।
प्रमुख समस्याएं
शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में प्रकृतिजन्य पत्थर, रेत खदान के साथ-साथ प्रचूर मात्रा में जड़ी-बूटी उपलब्ध होने के बाद भी यह क्षेत्र कई समस्याओं से जुझ रहा हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख समस्या पेयजल एवं सिंचाई के साथ-साथ रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य व उद्योग न होने से हैं।
चुनावी समीकरण
शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक समाज ब्राह्मण, राठौर, कुशवाह, वैश्य, गुर्जर, लोधी, वनवासी, यादव, धाकड़, मुस्लिम, रावत, जाटव प्रमुख हैं इसके अलावा अन्य छोटे-छोटे दो दर्जन से अधिक समाज हैं।
2013 चुनाव परिणाम
यशोधराराजे ङ्क्षसधिया भाजपा 76,330
वीरेन्द्र रघुवंशी कांग्रेस 65,185
जीत का अंतर 11,145
अभी तक चुने गए विधायक
दो बार कांग्रेस के तुलाराम सगर, कांग्रेस के नरहरी प्रसाद शर्मा, जनसंघ से सुशील बहादुर अष्ठाना, भाजपा के महावीर प्रसाद जैन, कांग्रेस के गणेश गौतम दो बार, सुशील बहादुर अष्ठाना स्वतंत्र पार्टी, भाजपा के देवेन्द्र जैन, भाजपा से लगातार यशोधरा राजे सिंधिया, कांग्रेस के वीरेन्द्र रघुवंशी, भाजपा के माखन लाल राठौर, 2013 में यशोधरा राजे सिंधिया विधायक चुनी गई।