तब 85 फीसदी मतदाता थे निरक्षर
चुनाव डेस्क। मध्यप्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में इन दिनों चुनावी बुखार चढ़ा हुआ है। लोग अपने विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधियों का आकलन कर रहे हैं। नवम्बर और दिसम्बर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना हैं और आगामी वर्ष में मतदाता 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव में हिस्सा लेंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि पहली लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए थे, तब हालात क्या थे?
एक लड़की, जो लड़कों के स्कूल में पढ़कर बनी देश की पहली महिला विधायक
जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा था, तब देश के हालात ठीक नहीं थे। पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू के सामने कई समस्याएं थीं। देश में भुखमरी थी, लोग निरक्षर थे, फूट डालो राज करो की नीति ने भी काफी कमाल दिखाया था। ऐसे में देश में पहले लोकसभा चुनाव के बारे में सोचना एक नामुमकिन सपने की तरह था। आजादी के चार साल बाद यानि 25 अक्टूबर 1951 को पहला लोकसभा विधनसभाओं का चुनाव होना था। लोकसभा की 497 और राज्य विधानसभाओं की 3283 सीटों के लिए भारत के 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 मतदाताओं को मतदान करना था। जनता इस चुनाव की एहमियत समझ पाएगी? इस पर तत्कालीन राजनेताओं को शंका था, लेकिन नवस्वतंत्र देश के लोकतंत्रीकरण के लिए पूरा देश एकत्रित हुआ और भारत को विश्व के घोषित लोकतांत्रिक देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया। यह पहला लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 तक यानी करीब चार महीने तक चला। देश के इस रोमांचित चुनाव में 85 फीसदी मतदाता निरक्षर थे। इसके बावजदू उन्होंने अंग्रेजों के इस कथन को झुठला दिया कि यह देश लोकतंत्र को न तो पचा पाएगा और न ही इसे संभाल कर रख पाएगा। इसके बाद से ही दुनिया में हमारे भारत का लोकतंत्र सबसे मजबूत माना जाता है।
स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है। सभी राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट देने से परहेज करते हैं। हालांकि हमारे देश में महिलाओं ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राज्यसभा में उप सभापति जैसे पदों की भी शोभा बढ़ाई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पहली महिला विधायक कौन थी? आज हम आपको उस महिला के बारे में बताने जा रहे हैं। देश की पहली महिला विधायक डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी थीं। सन् 1886 में उनका जन्म तमिलनाडु के पुढुकोटाई में हुआ था। महिला अधिकारों के लिए ताउम्र संघर्ष करने वाली वे पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने लड़कों के स्कूल में अपनी प्राथमिक पढ़ाई की थी। लंदन में मुथुलक्ष्मी जब उच्च शिक्षा हासिल कर रही थीं। उसी समय विमिंस इंडियन एसोसिएशन नाम के संगठन, जिसकी स्थापना उन्होंने खुद 1918 में की थी, उसके आग्रह पर डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी भारत लौट आईं। यहां आने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने मद्रास लेजिस्टलेटिव काउंसिल का चुनाव लड़ा और इसे जीतकर उपाध्यक्ष बनीं। इसी के साथ डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी सन् 1927 में देश की पहली महिला विधायक बनी थीं। विधायक बनने के बाद डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने समाज सुधार के कई काम किए। उन्होंने लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ाने में मदद की।