- Home
- /
- देश
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- भोपाल
मोदी सरकार के "मिशन वात्सल्य" को नौकरशाहों ने लगाया ब्रेक!
भोपाल/वेब डेस्क। समाज के बेसहारा, अनाथ, बच्चों के संरक्षण औऱ पुनर्वास के लिए मोदी सरकार के 'मिशन वात्सलय' पर मप्र के नौकरशाहों ने ब्रेक लगा दिया है। पूर्व में संचालित एकीकृत बाल संरक्षण योजना ( आईसीपीएस ) को नए प्रावधान के साथ भारत सरकार ने एक अप्रैल 2022 से देश भर में लागू कर दिया था। साथ ही केंद्र ने बजट भी जारी कर दिया था, लेकिन मप्र महिला बाल विकास के अफसर इसे एक साल बाद भी लागू नहीं कर पाए है। खास बात यह है कि मिशन वात्सल्य को लागू करने में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी गुमराह कर दिया है।वित्त विभाग के अधिकारियों ने भी बगैर तथ्यों को जांचे,परखे इस संवेदनशील मामले में मप्र के करीब 10 हजार अनाथ,बेसहारा बच्चों के हक पर ताला लगा दिया। दूसरी तरफ गैर भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान पिछले साल ही इसके लागू कर चुके हैं।
मिशन वात्सलय के तहत जिला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण समितियों ,किशोर न्याय बोर्ड, बाल देखरेख संस्थाओं, दत्तक ग्रहण एजेंसियों के लिए नए नाम्र्स एवं वित्तीय प्रावधान लागू किये गए है। मिशन वात्सलय केंद्र और राज्य की 60: 40 वितीय भागीदारी पर आधारित योजना है। यानी इसका 60 फीसदी अनुदान मप्र को केंद्र ने अप्रैल 2022 से जारी कर दिया, लेकिन मप्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर बीते वित्तीय साल में राज्य हिस्से का 40 फीसदी अनुदान नहीं दे पाए थे। अब संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों ने मिशन वात्यल्य को एक साल बाद यानी 1 अप्रैल 2023 से लागू करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा है। जिसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। ऐसे में पिछले साल अप्रैल 2022 मेें केंद्र से मिली 60 प्रतिशत की राशि अनाथ, बेसहारा बच्चों के नाम पर खर्च करने के वजाए कहां खर्च की गई। इस पर भी सवाल उठते हैं। इस संबंध में आयुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग एवं प्रमुख से संपर्क नहीं हो सका।
साल भर से नहीं मिली सहायता
महिला बाल विकास के अधिकारियों की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल भर से आईसीपीएस योजना के तहत कार्यरत 600 कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिला है। प्रदेश में किशोर न्याय बोर्ड,सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को 7 महीने से मानदेय नहीं दिया गया है। बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत 5000 से अधिक अनाथ, बेसहारा बच्चों के भोजन, कपड़े एवं अन्य सुविधाओं के लिए भी केंद्र सरकार ने बजट प्रतिमास दो हजार से बढ़कर 3 हजार किया है, लेकिन मप्र में यह लाभ भी बच्चों को नही दिया गया है।
वित्त विभाग ने लौटाई फाइल
आईसीपीएस (मिशन वात्सलय) के कर्मचारियों के वेतन एवं सम्पूर्ण योजना के घटक जैसे बाल देखरेख संस्थान,सीडब्ल्यूसी,जेजेबी,दत्तक ग्रहण,फोस्टर केयर के मद में केंद्र से बढ़े मानदेय/बजट देने की फाइल को वित्त विभाग ने इस टीप के साथ विभाग को पिछले महीने लौटा दिया है कि भूत लक्षी प्रभाव से यानी 1 अप्रैल 2022 से इसे दिया जाना संभव नही है। सवाल यह कि जब केंद्र ने साल भर पहले इसे लागू कर दिया तो महिला बाल विकास साल भर तक चुप क्यों बैठा रहा। इसके पीछे वित्त विभाग का तर्क है कि भारत सरकार ने मिशन वात्सल्य के तहत जिलों की संख्या कम करने को कहा था। वित्त विभाग 1 अप्रैल 2023 से मिशन वात्सलय लागू करने की बात कह रहा है, लेकिन अप्रेल 2022 से जारी बजट का क्या होगा इसका कोई जबाब विभाग के पास नही।
ज्ञानेश्वर पाटिल, सचिव, वित्त विभाग मप्र शासन ने कहा की -
केंद्र ने कुछ सेंटरों को बंद करने के लिए कहा था। कुछ के मानदेय में बढ़ोत्तरी करनी थी। विभाग ने 1 अप्रैल 2022 से दिए जाने का प्रस्ताव भेजा था। भारत सरकार के निर्देश अनुसार कुछ कमी थी। इसलिए भूत लक्षी प्रभाव से बढ़ा मानदेय देने का प्रस्ताव लौटा दिया था।
देश भर में मिशन वात्सल्य 1 अप्रैल 2022 से लागू हो गया है छत्तीसगढ़,दिल्ली,पँजाबी,हरियाणा,केरल,राजस्थान समेत अन्य राज्यों ने मिशन वात्सल्य नई गाइडलाइंस के अनुरूप क्रियान्वयन भी जारी है। तथ्य यह है कि मिशन वात्सल्य में हर जिले में बाल देखरेख संस्थान खोले जाने का प्रावधान है किसी भी प्रकार के सेंटर कम करने की जगह इनकी संख्या बढ़ाने को कहा गया लेकिन वित्त विभाग के सचिव श्री पाटिल कौन से सेंटर्स कम करने का तर्क दे रहे है यह समझ से परे हैं।
- केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य की बढ़ी राशि के साथ अपना केन्द्रांश 4696.86 लाख मप्र सरकार को मार्च से पहले ही जारी कर दिया राज्य के हिस्से की राशि 3131.23 लाख को मिलाकर यह राशि 7828.10 लाख होती है जो पिछले साल से महज 17 करोड 70 लाख ही अधिक है।
- स्वदेश के पास वित्त विभाग की वह नोटशीट मौजूद है जिसमें वित्त विभाग के अधिकारियों ने टीप क्रमांक दो पर बिना तथ्यों की पड़ताल किये इस बढ़ी हुई राशि 17.70 करोड को संविदा कर्मचारियों के वेतन पर होने का दावा कर फाइल वित्त मंत्री से अनुमोदित करा कर महिला बाल विकास को वापिस कर दी जबकि तथ्य यह है कि यह बढ़ी हुई राशि पूरे मिशन वात्सल्य के क्रियान्वयन की है।
- वित्त विभाग की इस अदूरदर्शिता के चलते प्रदेश के 7500 ऐसे अनाथ बेसहारा बच्चे जिन्हें मिलने वाली 2000 की फोस्टर केयर स्पांसरशिप की राशि 4000 मासिक मिलनी थी अब नही मिल पाएगी।
- वित्त विभाग ने प्रस्तावों का परीक्षण ही नही किया और मंत्री ने भी बाबूशाही की रँगी फाइल पर दस्तखत कर दिए नतीजतन 50 से अधिक संस्थाओं में निवासरत अनाथ बेसहारा बच्चों को नई दरों से भोजन,वस्त्र आदि की सुविधा नही मिल पाएगी।खास बात यह है कि इन सभी मामलों में वित्त पोषण केंद्र से होना था।
सबसे बड़ा सवाल?
केंद्र सरकार ने तो बच्चों के कल्याण के लिए अपनी तरफ से राशि मप्र सरकार को उपलब्ध करा दी लेकिन एक वित्तिय वर्ष की यह बढ़ी हुई राशि आखिर अब किस मद में खर्च की जाएगी?क्योंकि वित्त मंत्री ने प्रस्ताव 1 अप्रैल 2022 के स्थान पर 1 अप्रैल 2023 से लागू करने के आदेश दे दिए है।
चुप्पी साधे बैठे है महिला बाल विकास के आला अफसर
मुख्यमंत्री एक तरफ हर संभव कोशिश करते है कि प्रदेश में बच्चों के कल्याण में कोई कसर नही रहे।सबसे पहले कोरोना में अनाथ बच्चों का पुनर्वास हो या मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना हर मोर्चे पर मुख्यमंत्री ने अनाथ,गरीब बेसहारा बच्चों के लिए दरियादिली दिखाई और नियमो को शिथिल किया लेकिन महिला बाल विकास के अफसर इस मामले में वित्त विभाग के आगे मुह सील कर बैठ गए है।