कैग की रिपोर्ट में खुलासा: मप्र के 13 जिलों में हुआ आपदा राहत फंड की बंदरबांट…

मप्र के 13 जिलों में हुआ आपदा राहत फंड की बंदरबांट…
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भोपाल: कैग की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में वर्ष 2018 से 2022 के बीच प्राकृतिक आपदाओं के नाम पर प्रदेश सरकार ने राज्य के लिए 10060 करोड़ रुपए की राशि जारी की। इस राशि में से 23.81 करोड़ रुपए 13 जिलों में अधिकारी-कर्मचारियों ने चहेतों के खातों में डलवा दी।

किसानों को राहत राशि वितरण में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा शिवपुरी जिले में सामने आया है। कैग ने राज्य शासन से संबंधितों से राशि वसूलने को कहा है।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार 8 जिले आगर-मालवा, दमोह, देवास, रायसेन, सतना,सीहोर, शिवपुरी और विदिशा में सूखा एवं कीट प्रकोप प्रभावित 6.91 लाख किसानों को 563.72 करोड़ की राहत 6 से 28 महीने देरी से वितरित की गई।

कैग ने पाया कि जिन जिलों में राहत राशि में फर्जीवाड़ा सामने आया है, वहां राहत वितरण में निगरानी तंत्र ही नहीं है। यही वजह कि राहत राशि वितरण में देरी एवं अनाधिकृत लोगों को लाभ दिया गया। कैग ने वित्त विभाग के ग्लोबल बजट प्रणाली एवं आईएफएमआईएस में खामी बताते हुए शासकीय धन में गबन रोकने में असक्षम बताया।

किस जिले में कितना फर्जीवाड़

सिवनी: जिले की केवलारी तहसील में 11.64 करोड़ रुपए डूबने, बिजली गिरने, सर्पदंश जैसे प्रकरणों में अनाधिकृत रूप से बांट दी गई। अधिकारियों ने स्वीकृत आदेशों पर पूर्ण हस्ताक्षरों की जगह संक्षिप्त हस्ताक्षर किए।

श्योपुर: 30 जुलाई 2021 से 3 अगस्त 2021 के बीच बाढ़ प्रभावितों को राहत देने में ई-भुगतान प्रणाली से 216 अवैध व्यक्तियों के खातों में 3.36 करोड़ का भुगतान किया। ज्यादातर अपात्र हितग्राही अधिकारी एवं कर्मचारियों के नाते-रिश्तेदार थे। आरोपियों पर एफआईआर, फिर भी नौकरी कर रहे।

सीहोर: जिले की सीहोर, इछावर, रेहटी और आष्टा तहसील में कर्मचारियों ने 1.17 करोड़ का भुगतान 45 अपात्र खातों में किया गया। एफआईआर कराई, लेकिन फिर भी नौकरी कर रहे।

शिवपुरी: सूखा राहत का 2.77 करोड़ रुपए पटवारी समेत अन्य कर्मचारियों ने 164 अपात्र लोगों के खातों में डाला। जिसमें ज्यादा अपात्र हितग्राही कर्मचारियों के रिश्तेदार निकले।

देवास: 61 अपात्र लोगों के खातों में कीट प्रकोप,ओला एवं अतिवृष्टि की 1.26 करोड़ की राहत राशि भेजी गई।

छतरपुर: 20 अपात्र लोगों के खातों में 42 लाख का भुगतान किया गया। जिसमें से 34 लाख वसूल किए जा चुके हैं।

खंडवा: खालवा तहसील में 4 खातों में 11.62 लाख का फर्जी भुगतान किया। फर्जीवाड़ा करने वाले कर्मचारी नौकरी में हैं, लेकिन विभागीय जांच जारी है।

मंदसौर: मल्हारगढ़ एवं सीतामऊ तहसील के 30 अनाधिकृत लोगों के खातों में 69.49 लाख रुपए का फर्जी भुगतान किया गया।

रायसेन: बेगमगंज, गैरतगंज, सुल्तानपुर एवं उदयपुरा तहसील में अतिबारिश, ओला राहत के 84 लाख रुपए 40 फर्जी खातों में डाले गए।

दमोह: सूखा, कीट प्रकोप प्रभावित किसानों को मिलने वाली 31 लाख की राहत राशि 27 फर्जी लोगों के खातों में डाली गई।

सतना: प्राकृतिक आपदा सूखा राहत के 13 लाख रुपए सरकारी कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों के 13 बैंक खातों में ट्रांसफर करवाए।

आगर-मालवा: 17 अपात्र लोगों के खातों में 25.30 लाख रुपए का भुगतान किराया गया।

विदिशा: विदिशा, गुलाबगंज, कुरवाई तहसील में 47 लाख रुपए की सूखा राहत की राशि 41 फर्जी लोगों के खातों में पहुंचाई गई थी।

कैग ने ये फर्जीवाड़े भी पकड़े

3 जिलों में 2.73 करोड़ का फर्जीवाड़ा

प्रदेश के 3 जिले शिवपुरी, विदिशा और देवास में सूखा और अतिवृष्टि राहत का पैसा वितरण में 2.73 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया। शिवपुरी में 41 लोगों ेके खातों में 50 लाख। दउेवास में 17 खातों में 35.46 लाख और विदिशा में 149 लोगों के खातों में 1.55 करोड़ का फर्जी भुगतान किया गया।

विदिशा-दमोह में दोगुना भुगतान

कैग रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि विदिशा एवं दमोह में प्राकृतिक आपदा के 732 हितग्राहियों को 51.86 लाख का अतिरिक्त (दोगुना) भुगतान किया।

शिवपुरी में बिना सक्षम मंजूरी के 5.86 करोड़ बांटे

शिवपुरी जिले की खनियाधाना और कोलारस तहसील में सूखा राहत का 5.86 करोड़ का भुगतान बिना सक्षम अधिकारी की मंजूरी के वितरित कर दिया। जो कि नियुमों का उल्लंघन है। शिवपुरी में ही वर्ष 2018 से 2020 के बीच 201.91 करोड़ में से 10 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही नहीं दिया गया।

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को जमीन आवंटन में 65 करोड़ की हानि

कैग ने भोपाल की हुजु़र तहसील में अजीम प्रेमजी फाउंडेशर को 20.234 हेक्टेयर जमीन आवंटन पर भी आपत्ति ली है। कैगे अनुसार जमीन आवंटन के प्रस्ताव में तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक ने भूमि आवंटन में कीमत निर्धारण के सही तथ्यों को छिपाया । जिससे शासन को 65.05 करोड़ की राजस्व हानि हुई है। साथ ही प्रमुख सचिव ने भी कैबिनेट नोट प्रस्तुत नहीं किया। कैग ने उल्लेख किया है कि भूमि आवंटन का निर्णय कैबिनेट ने लिया है, लेकिन कैबिनेट का निर्णय अधिनियम के प्रावधानों से परे नहीं जा सकता है।

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