- Home
- /
- देश
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- भोपाल
नए परिवहन आयुक्त के सामने बदनामी के कलंक को धोने की चुनौती
विशेष संवाददाता, भोपाल/ मध्यप्रदेश का परिवहन आयुक्त कार्यालय अपनी कार्यप्रणाली को लेकर न केवल प्रदेश में अपितु देश में सर्वाधिक बदनाम है यह एक कटु सत्य है। परिवहन आयुक्त का यूं तो मुख्यालय ग्वालियर में है पर विगत वर्षों में पदस्थ रहे परिवहन आयुक्त ग्वालियर मुख्यालय में बहुत कम ही बैठे और राजधानी से ही विभाग का संचालन करते हैं। इसके चलते परिवहन निरीक्षकों से लेकर प्रमुख शाखाओं में बाबुओं की पदस्थापना, वाहनों को परमिट दिए जाने से लेकर वाहन चालकों को अनुज्ञा पत्र बनाए जाने को लेकर भारी अनियमितताओं की खबरें प्रदेश के लिए बदनाम दाग की तरह है।
परिवहन विभाग नवागत परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन के नेतृत्व में इस बार अपनी छवि सुधारेगा, प्रदेशवासियों को ऐसी आशा है। इस आशा और विश्वास का आधार सिर्फ भापुसे के वरिष्ठ अधिकारी श्री जैन की स्वच्छ और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की छवि ही नहीं, उनकी इस पद पर पदस्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 'महल' के मुखिया राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की ईमानदार राजनेता की छवि और भारतीय जनता पार्टी के सुचिता के साथ सरकार चलाने के दावे भी बनेंगे।
उल्लेखनीय है कि वी. मधुकुमार के मुख्यालय में पदस्थ किए जाने के बाद मप्र परिवहन आयुक्त के पद पर मप्र भवन दिल्ली में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मुकेश कुमार जैन को पदस्थ किया गया है। श्री जैन की छवि एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की रही है। उनकी सेवा का लम्बा समय भी राष्ट्रीय राजधानी में बीता है। वे पूर्व में श्री सिंधिया के केन्द्रीय मंत्री रहते उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) भी रहे हैं। प्रदेश में श्री सिंधिया के समर्थक विधायकों के त्यागपत्र से ही सत्ता परिवर्तन होकर वर्तमान सरकार का गठन हो सका है और वर्तमान में सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक गोविंद सिंह राजपूत परिवहन मंत्री हैं। ऐसे में मधुकुमार को हटाए जाने के बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि परिवहन आयुक्त के पद पर नियुक्ति 'महल' अर्थात श्री सिंधिया की पसंद से होगी। श्री जैन की तीन दिन बाद हुई पदस्थापना ने इस अनुमान को सही साबित भी किया। प्रदेशवासियों को अब नए परिवहन आयुक्त से आशा है कि परिवहन चैक पोस्टों पर अवैध वसूली और प्रदेशभर के परिवहन कार्यालयों में बिना रिश्वतखोरी के फाइल नहीं चलने जैसी प्रथा पर विराम लग लग सकेगा और विभाग में व्यप्त भारी भ्रष्टाचार पर लगाम कसकर विभाग की छवि में निखार आ सकेगा।