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सरकार आर्थिक समिति के सुझावों पर अमल कर अर्थ-व्यवस्था को करेगी गतिमान
भोपाल। देश में कोरोना महामारी को रोकने के लिये प्रधानमंत्री द्वारा 23 मार्च से लॉकडाउन को घोषित किया गया है। इस लॉकडाउन की पहली अवधी 14 अप्रैल को पूर्ण हो रही थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद इसकी अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। देश के साथ प्रदेश में लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के अवरूद्ध होने से अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने आज इससे निपटने के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस चर्चा में कहा कि कोरोना संकट के वर्तमान दौर में लॉकडाउन के कारण हमारी अर्थ-व्यवस्था को सुधारने एवं पुन: गतिमान करने के लिए हमने अनुभवी अर्थ-शास्त्रियों की समिति बनाकर बहुमूल्य सुझाव प्राप्त किये हैं। इन सुझावों पर अमल कर अर्थ-व्यवस्था को पुन: सुदृढ़ करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया की अर्थव्यवस्था को लेकर समिति की पहली रिपोर्ट आज आ गई है। दूसरी रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है।इस बैठक के दौरान हुई चर्चा में सीएम चौहान ने कहा कि अर्थ-व्यवस्था को सुधारने एवं दोबारा से सुदृढ़ करने के लिए समिति के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार खर्चों में कटौती की जाएगी। उन्होंने बताया की इसके साथ ही भारत शासन से आर्थिक मदद प्राप्त करने के पूरे प्रयास किए जाएंगे।
प्रदेश में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अर्थशास्त्रियों ने विभिन्न उपाय बतायें है। जिसमें कृषि, सीएसआर गतिविधि एवं गरीबों को रोजगार देने की बात कहीं है।
एक लाख करोड़ रूपए के ग्रांट की आवश्यकता-
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अर्थशास्त्री प्रोफेसर रथिन राय ने कृषि, पशुपालन तथा निर्माण गतिविधियों को प्रारंभ करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न कार्य कराये जाने के लिए लगभग एक लाख करोड़ रूपए की भारत सरकार से ग्रांट की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के कारण प्रदेश के राजस्व में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
सी.एस.आर. गतिविधियों की आवश्यकता-
अर्थशास्त्री सुमित बोस ने कहाकि मध्यप्रदेश की अर्थ-व्यवस्था सुधारने के लिए सी.एस.आर. गतिविधियों की भी आवश्यकता होगी। यदि भारत सरकार से ग्रांट नहीं मिलती है, तो बाजार से राशि लेनी होगी। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन का वितरण आवश्यक बताया। उन्होंने बताया कि अर्थ-व्यवस्था सुधारने में राज्य सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज तथा भारत सरकार द्वारा जारी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज महत्वपूर्ण है।
शहरी गरीबों को रोजगार देना आवश्यक-
अर्थशास्त्री ए.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि शहरी गरीबों को रोजगार देने की आवश्यकता होगी। छोटे व्यवसायियों को अपना व्यापार खड़ा करने के लिए राज्य शासन से अनुदान की भी आवश्यकता होगी। ग्रामीण मजदूरों को उनके ग्राम में ही रोजगार देना होगा। उन्होंने बताया कि इस बार लगभग 26 हजार करोड़ रूपए के राजस्व की हानि संभावित है। अर्थशास्त्री प्रो. गणेश कुमार ने बताया कि छोटे व्यवसायों को संरक्षण देने की आवश्यकता होगी। बैंकों से पैसा लेने के लिए उन्हें सबस्टेन्शियल गारंटी देना होगी।
मुख्यमंत्री ने बताया की कोरोना संकट के दौरान गरीबों के लिए सरकार ने जहाँ आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। वहीँ किसानों को लाभ देने के लिए गेहूं उपार्जन, कार्य किया जा रहा है। इस के साथ ही मनरेगा आदि कार्य सरकार द्वारा किये जा रहें है।
आर्थिक पैकेज -
प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए घोषित लॉकडाउन के दौरान लोगों को लाभ देने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है। जिसके तहत 46 लाख विभिन्न पेंशनधारियों को दो माह की पेंशन का अग्रिम भुगतान, 8 लाख 50 हजार मजदूरों को एक हजार रूपए की सहायता, राज्य शासन के विभिन्न विभागों के कोविड-19 की ड्यूटी में लगे कर्मियों को 50 लाख रूपए का बीमा कवर आदि प्रमुख हैं।
गेहूँ उपार्जन कार्य-
सीएम ने बताया की कोरोना संकट के चलते देश में किसानों के गेहूँ को समर्थन मूल्य पर क्रय किए जाने का उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। इससे अर्थ-व्यवस्था को गति मिलेगी। उन्होंने बताया की प्रदेश में अब तक 20 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन कर लिया है। उन्होंने बताया की सरकार ने एक करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन का लक्ष्य है। इसके अंतर्गत अभी तक लगभग चार लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई है।
मनरेगा के कार्य प्रारंभ-
मुख्यमंत्री ने बताया की प्रदेश में मजदूरों को रोजगार देने के लिए संक्रमण मुक्त ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के कार्य प्रारंभ करवा दिए गए हैं। कल तक लगभग पाँच लाख व्यक्तियों को इसके अंतर्गत रोजगार दिया गया है। इसी के साथ, सरकार सड़क जैसे अधोसंरचना के कार्य भी प्रारंभ करवा रही है। इसके लिए सरकार को अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी।