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मप्र की राजधानी में सरकार की नाक के नीचे चल रहा वर्षों से धर्मांतरण, किसी को नहीं लगी भनक
मप्र में चाइल्ड लाइन के लोग मिले धर्मांतरण कराने में संलिप्त, वर्षों से चल रहा है खेल
भोपाल। जिनके कंधों पर जब यह दायित्व हो कि उन्हें बच्चों के हित के लिए ही कार्य करना है, शासन की योजनाओं का भरपूर लाभ बच्चों को दिलवाना है और उन्हें समाज की मुख्यधारा में एक अच्छा जीवन देने का प्रयास करना है, यदि यही जिम्मेदार लोग अपने दायित्व से भाग खड़े हों और बच्चों के जीवन को न सिर्फ गलत रास्ते पर धकेलें बल्कि शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाने और धर्मपरिवर्तन जैसे अपराध में संलिप्त पाए जाएं तो फिर आशा की उम्मीद उन निगरानी संस्थाओं पर टिक जाती है, जोकि बच्चों एवं पूरे सिस्टम को चेताने और जगाने का काम करती हैं।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कल तक चाइल्ड हेल्प लाइन में काम करनेवाले लोग ईसाई मतान्तरण करवाते पाए गए हैं। इनके टार्गेट में वे अधिकांश हिन्दू बच्चे होते थे जोकि इन्हें कार्य करते वक्त कहीं भटकते या दुरावस्था में मिलते थे । ये उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने इन बच्चों को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने प्रस्तुत न करते हुए इन्हें ईसाई मिशनरी स्थानों में रखवा देते थे। जानकारी में आया है कि यह खेल राजधानी भोपाल में तब से चल रहा है जब से जेजे एक्ट (किशोर न्याय, बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम)अपने अस्तित्व में आया ।
सेवा के नाम पर ईसाई मतान्तरण, जेजे एक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाती पाई गई ये संस्था
दरअसल, इस पूरे मामले को इस तरह से अंजाम दिया जा रहा था कि यह लोगों की नजरों से बचा रहे और एक के बाद एक अच्छे जीवन की आस में अबोध बच्चों को ईसाई बनाया जाना जारी रहे । कोई पूछे तो उन्हें सेवा और श्रमिक बस्तियों के गरीब बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य से जोड़कर यह बताया जा सके कि फलां संस्था तो इनके सुनहरे भविष्य के लिए काम कर रही है। भोपाल में गुरुवार देर रात जब हड़कंप मच गया जब ''आंचल चिल्ड्रन होम्स'' में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग( एनसीपीसीआर) और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की टीम अचानक से पहुंच गई, वहां का हाल देखकर दोनों ही टीम भौंचक्का थीं।
उनके हक्का बक्का रह जाने का जो बड़ा कारण रहा वह था, उन तमाम लोगों का वहां पाया जाना एवं उनके कागजात की इस संस्था से जब्ती होना जो कल तक चाइल्ड लाइन फाउण्डेशन के तहत काम करते रहे और बच्चों के हित का पूरा दावा करते नहीं थकते थे। बाल आयोग ने जब इनसे कड़ाई से पूछा तो सामने आया कि बिना जेजे एक्ट के नियमों का पालन करनेवाली ये संस्था वर्षों से कन्वर्जन के खेल में लगी हुई है। अब तक न जाने कितने बच्चों को ये ईसाई भी बना चुकी होंगी।
केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करती रही है चाइल्ड लाइन फाउण्डेशन
उल्लेखनीय है कि इण्डियन चाइल्ड लाइन फाउण्डेशन देश भर की एनजीओ के सहयोग से संकट में फंसे बच्चों के लिए रिलीफ और रिस्पॉन्स का कार्य करती रही थी, जिसेकि पिछले साल ही भारत सरकार द्वारा चाइल्डलाइन 1098 का अधिग्रहण कर गृहमंत्रालय के इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर 112 के साथ एकीकृत करने का काम किया गया है। इसी संस्था के माध्यम से भोपाल में जिस एनजीओ को चाइल्ड लाइन संचालित करने का काम दिया गया था, उसके कर्मचारी जरूरत मंद बच्चों के बीच कार्य करते हुए उन्हें ईसाई मतान्तरण में कन्वर्ट करने के लिए चर्च के हाथों खेलते पाए गए हैं। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की छापामारी में इस एनजीओ के पास से सभी चाइल्ड लाइन संबंधी दस्तावेज़ मिले हैं।
इस तरह चलता था मतान्तरण का खेल, नहीं मिला किसी का पुलिस वैरिफिकेशन
आयोग को यहां पर ''आंचल चिल्ड्रन होम्स'' के अधीक्षक जोकि चाइल्ड लाइन के डारेक्टर भी थे, तथा इनके अन्य साथी निशा तिरकी, नमिता एवं अन्य भी पाए गए। जोकि धर्मांतरण के खेल में लगे हुए हैं। यह जरूरतमंद बच्चों की रैकी कर इन्हें इस ईसाई मिशनरी संस्था में भर्ती कराकर उनका मतान्तरण कराने का काम कर रहे थे। आयोग के इस छापे में संस्था बिना जेजे एक्ट में रजिस्ट्रड किए चलाई जाती हुई मिली। यहां कार्यरत कर्मचारियों में से किसी का भी पुलिस वैरिफिकेशन नहीं पाया गया तथा शासन के नियमों के विरुद्ध यहां पर मांस भी मिला है।
पांच राज्यों के बच्चे अवैध रूप से लाकर रखे गए ''आंचल चिल्ड्रन होम्स'' में
इसके साथ ही बतादें कि जब देर रात गुरुवार को परवलिया सड़क थाने में थाना प्रभारी द्वारा राष्ट्रीय बाल आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, राज्य बाल आयोग के अध्यक्ष द्रविन्द्र मोरे और आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा एवं ओंकार सिंह, भोपाल जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामगोपाल यादव के थाने में संस्थान के खिलाफ, अवैध रूप से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजराज, राजस्थान, झारखण्ड के देख रेख एवं संरक्षण वाले बालक-बालिका (सीएनसीपी) के पाए जानें समेत कई अव्यवस्थाएं मिलने के बाद भी जब एफआरआई दर्ज नहीं की जा रही थी, तब एनसीपीसीआर अध्यक्ष कानूनगो ने ट्वीटकर जानकारी सार्वजनिक की कि कैसे मध्यप्रदेश की पुलिस भी आरोपितों का समर्थन करती दिख रही है।
उन्होंने ट्वीट के जरिए बताया कि राष्ट्रीय और राज्य आयोग ने संयुक्त रूप से भोपाल में एक अवैध ईसाई अनाथालय पर छापा मारा, वहां अनाथ बच्चों सहित 40 से अधिक आदिवासी बच्चियों को रखा गया पाया गया, जिन्हें चर्च ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहा है! लेकिन सभी के साथ 3 घंटे से परवलिया सड़क थाने पर बैठे होने के बाद भी पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही।
बच्चियों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं मिली होम्स में
इसके बारे में डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि जेजे एक्ट बच्चों को किसी भी प्रकार से परिवार में पुनर्वास एवं समाज की मुख्य धारा में शामिल करने की वकालत करता है, इसी लक्ष्य की पूर्ति करने के लिए उसके नियम है। जिस ईसाई मिशनरी संस्था ''आंचल चिल्ड्रन होम्स'' में जाना हुआ वहां तीन-तीन साल से रह रहे बच्चों को जो कि अब छह साल एवं इससे अधिक की उम्र के हैं, को देखकर लगा कि कैसे उनके साथ अमानवीय व्यवहार यहां किया जा रहा है। बच्चियां रह रही हैं, लेकिन उसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था आयोग को नजर नहीं आई। कहीं केमरे नहीं, गार्डस् नहीं। कोई उन्हें देखनेवाला नहीं मिला।
जेजे एक्ट के प्रभावी होने तथा भोपाल में जब से चाइल्ड लाइन आई है, तभी से ये आंचल चिल्ड्रन होम्स की मदर एनजीओ संजीवनी रेलवे चाइल्ड लाइन का संचालन कर रही है। इसी के वर्कर आउटरिच के दौरान ऐसे जरूरत मंद परिवारों में अपनी पहुंच बनाते हैं, जिन्हें आर्थिक सहयोग की जरूरत है और ये बिना सीडब्ल्यूसी के सामने बच्चों को प्रस्तुत किए इस आंचल चिल्ड्रन होम्स में रखवा देते थे।
जिस धर्म के बच्चे उनका कोई पूजा स्थल नहीं, पढ़ाई जा रही थीं ताबोर वॉइस जैसी पत्रिकाएं एवं साहित्य
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान यह भी पाया गया कि चाइल्ड लाइन के वर्किंग समय में ही ये सभी वर्कर्स एन एनजीओ के लिए भी गरीब बस्तियों में कार्य करते रहे हैं, जिसकी कि जांच की जानी चाहिए। इसके लिए हम शासन को लिखेंगे। इसके साथ ही संस्था में जो बच्चे पाए गए अधिकांश वे हिन्दू एवं मुसलमान है लेकिन उनके लिए कोई पूजा स्थल नहीं, सभी से ईशू की ईसाई प्रार्थना ही कराई जाती हुई यहां पाई गई । बच्चों को ताबोर वॉइस जैसे ईसाई मत की ही पत्रिकाएं पढ़ाई जा रही थीं।
डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना है कि ऐसे सभी हॉस्टल में बंद किए जाने चाहिए जहां सीएनसीपी बच्चे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के रखे गए हैं। सरकार किसी न किसी नियमों के तहत निगरानी रखे। क्योंकि यह अव्यवस्था ही कही जाएगी कि अभी कोई भी इन छात्रावासों की अधिकारिक जिम्मेदारी नहीं लेता है, न स्कूली शिक्षा विभाग, न महिला बाल विकास विभाग न अन्य कोई, ऐसे में हॉस्टल संचालकों को अपनी मर्जी करने की छूट मिलती है, इस स्थिति में यदि बच्चे मानव तस्करी के शिकार हो जाते हैं तो उस कड़ी को पकड़ना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता है। ये संस्थान भी यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं कि बच्चा अपनी मर्जी से संस्था छोड़कर चला गया, उन्हें नहीं पता अब वह कहां है।
बच्चों का मतान्तरण संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन
इस संबंध में राज्य आयोग सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि मौके पर चाइल्ड लाइन फाण्डेशन के डारेक्टर, कॉआडिनेटर एवं अन्य कर्मचारी पाए गए । इससे साफ है कि यह संस्था सीधे तौर पर ईसाई धर्मांतरण करा रही है। इस पर पूर्व में भी इसी प्रकार से देश भर में आरोप लगते रहे हैं। इसकी जांच केंद्र एवं राज्य सरकार अवश्य अपने स्तर पर कराएं, ये चाइल्ड लाइन फाउण्डेशन एवं केंद्रीय सरकार के मध्य अनुबंध का उल्लंघन भी है। अन्य स्थानों की चाइल्ड हेल्प लाइन की जांच कर सत्यता सामने आना चाहिए।
ओंकार सिंह का कहना है कि भारत में छोटे बच्चों का मतान्तरण नहीं कराया जा सकता है, जबकि यहां तो बहुत से बच्चे जोकि धर्म से हिन्दू और मुसलमान है सिर्फ चर्च की ईसाई प्रार्थना करते हुए सामने पाए गए। जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इनका माइण्ड वॉश किया जाकर भविष्य का ईसाई इन्हें बनाया जा रहा था। यह संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन भी है। जिसमें कि दूसरे धर्मों की क्रिया कलापों में भाग लेने की अनुमति उनके अभिभावकों से लेना जरूरी है, जबकि यहां को कई बच्चे बिना माता-पिता के भी पाए गए हैं, जिन्हें अवैध तरीके से दूसरे राज्यों एवं जिलों से लाकर बिना शासन के संज्ञान में लाए यहां रखा गया पाया गया।फिलहाल केंद्र एवं राज्य बाल आयोग के प्रयासों से संस्थान के प्रमुख के खिलाफ महिला बाल विकास जिला अधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अब बच्चों के बयान लेने एवं उनके पुनर्वास का कार्य जारी है।