लोकतंत्र का मतलब जनता का, जनता के लिये, जनता का राज : शिवराज सिंह

लोकतंत्र का मतलब जनता का, जनता के लिये, जनता का राज : शिवराज सिंह
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मप्र लोक सेवा गारंटी कानून के 10 वर्ष पूर्ण

भोपाल। रकार द्वारा नागरिकों को समय पर लोक सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से बनाए गए मप्र लोक सेवा गारंटी कानून के सोमवार को सफलतम 10 वर्ष पूर्ण हो गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसेवा एवं सुशासन के क्षेत्र में नवाचारों का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोक सेवाओं के प्रदाय में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये जिला निवाड़ी, ग्वालियर, झाबुआ कलेक्टर्स को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के मिंटो हॉल में कन्या पूजन कर "मध्यप्रदेश लोक सेवा एवं सुशासन के क्षेत्र में बढ़ते कदम" कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने लोक सेवा प्रदाय के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों का शुभारंभ रिमोट का बटन दबाकर किया। मुख्यमंत्री ने लोक सेवा प्रबंधन विभाग द्वारा तैयार ई-पत्रिका का विमोचन भी किया।

लोकतंत्र में तंत्र जनता के लिए -

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में तंत्र लोगों के लिये होता है, जनता के लिये होता है। लोकतंत्र का मतलब जनता का, जनता के लिये है, ये जनता का राज है। मैं जब ये बात कहता हूं कि मध्यप्रदेश मेरा मंदिर और उसमें रहने वाली जनता मेरी भगवान है और मैं उसका पुजारी हूं। ये जुमला नहीं है, ये अंतर्आत्मा के भाव है।उन्होंने कहा कि पिछले 9-10 महीनों में हम 100 से अधिक सेवाओं को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत लेकर आये हैं। सिटिजन इंटरफेस पर 14 नई सेवाओं को जोड़ा गया है। विभिन्न योजनाओं में नवाचार और तकनीकी को बढ़ावा देने के लिये एमपी इनोवेशन पोर्टल हमने विकसित किया है।

वन डे गवर्नेंस की शुरुआत -

मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाना पड़े, इसलिये समाधान एक दिन में शुरू किया गया। सुबह आवेदन दो और शाम तक सेवा मिल जाये। समाधान एक दिन में यानी वन डे गवर्नेंस के तहत अधिकतम सेवाएं फोन से व्हाट्सऐप से मिल जाये उसकी कोशिश हो। सुशासन हमारा लक्ष्य है। यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का भी एक अंग है।उन्होंने कहा कि इंदौर की नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल, कमिश्नर रहते हुये बेटे को जन्म देने के पहले तक वो लगातार ड्यूटी निभाती रहीं। मैंने उनसे कहा कि जरूरत पड़े तो आराम करना चाहिये। लेकिन लगातार काम करती रहीं और जन्म देने के बाद दसवें दिन फिर शहर की स्वच्छता देखने निकल पड़ीं। ऐसे उदाहरण प्रेरक हैं।


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