मुख्यमंत्री ने स्व-सहायता समूह के सदस्यों को वितरित किए 300 करोड़ रुपये के ऋण

मुख्यमंत्री ने स्व-सहायता समूह के सदस्यों को वितरित किए 300 करोड़ रुपये के ऋण
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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि काम करने की तड़प हो तो बहनें चमत्कार कर सकती हैं। माता, बहन, बेटियाँ अभाव और गरीबी में रहने तथा ताने सुनने के लिए पैदा नहीं हुई हैं। महिलाओं को जो सम्मान मिलना चाहिए वह अभी तक नहीं मिला है। बेटा-बेटियों में भेद किया जाता है। माँ, बहन, बेटी के सशक्तिकरण के लिए काम करना मेरे जीवन का मिशन है, यह मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने जो योजनाएँ बनाईं, उनका उद्देश्य ग्राम स्तर तक महिला सशक्तिकरण रहा।

मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में ग्रामीण राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गठित स्व-सहायता समूह के सदस्यों को बैंक ऋण वितरित करने कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्व-सहायता समूह के सदस्यों को 300 करोड़ रुपये के बैंक ऋण सिंगल क्लिक से वितरित किए। उन्होंने पंचायत स्तर पर समूह के सदस्यों से वर्चुअल संवाद भी किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सारगर्भित प्रशिक्षण सामग्री से परिपूर्ण आजीविका कैलेंडर का विमोचन भी किया। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल तथा प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव उपस्थित थे। दीप जलाने और मध्यप्रदेश गान के साथ आरंभ हुए कार्यक्रम में देवास जिले में बने पोषण आहार संयंत्र पर केंद्रित फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम से सभी जिले और पंचायतें वर्चुअली जुड़ीं।

सीएम शिवराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना आरंभ करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि महिलाओं के जन्म से लेकर जीवन पर्यंत उनके सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से व्यवस्था की गई है। प्रदेश में संबल योजना भी क्रियान्वित है। गर्भवती माताओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में, बेटी के जन्म होने पर लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटी स्कूल जाए तो नि:शुल्क पुस्तकें और स्कूल यूनिफार्म, बेटी दूसरे गाँव में पढऩे जाए तो नि:शुल्क सायकिल, बेटी बारहवीं कक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो तो गाँव की बेटी योजना का लाभ, बेटी कॉलेज जाए तो प्रतिभा किरण योजना के लाभ की व्यवस्था है। साथ ही बेटियों का घर ठीक से बस जाए इसकेलिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 40 लाख से अधिक बेटियाँ लाड़ली लक्ष्मी बनी हैं। राज्य सरकार लाड़ली लक्ष्मी-दो योजना शीघ्र ही क्रियान्वित करने वाली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार महिलाओं के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण सबसे पहले मध्यप्रदेश में दिया गया। महिलाओं के लिए संविदा शाला शिक्षक के 50 प्रतिशत पद पर तथा पुलिस की नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। महिलाओं ने भी आत्म-विश्वास के साथ काम कर नया इतिहास रचा है, यह बड़ा सामाजिक परिवर्तन है। इंदौर पाँच बार स्वच्छता में प्रथम आया है, वहाँ की मेयर एक महिला है। महिला सरपंच भी अनुकरणीय कार्य कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि आर्थिक सशक्तीकरण आत्म-सम्मान और आत्म- विश्वास के लिए जरूरी है। महिलाएँ आर्थिक रूप से सशक्त हों, बहनों की आमदनी बढ़े, यह महिलाओं के संपूर्ण सशक्तीकरण के लिए आवश्यक है। आजीविका मिशन में जुड़ी प्रत्येक महिला की न्यूनतम दस हजार रूपए प्रतिमाह आय हो, इस दिशा में राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है। बैंकों से सहज और सरल रूप से महिलाओं को ऋण प्राप्त हो, इस उद्देश्य से प्रतिमाह बैंकों के साथ सघन बैठकें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाएँ रुपये-पैसे के डिजिटल लेन-देन के तरीकों को अपनाएँ। आजीविका मिशन की अवधारणा के 13 सूत्र को आत्म-सात करते हुए महिलाएँ पूरे आत्म-विश्वास से आगे बढ़ें, राज्य सरकार हर कदम पर महिलाओं के साथ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी महिलाओं की सक्रियता से बदलाव आ रहे हैं। महिला स्व-सहायता समूहों को नशामुक्ति, बाल विवाह की रोकथाम, स्वच्छता, पोषण, पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों में सामाजिक व्यवहार में सकारात्मक बदलाव के लिए भी निरंतर प्रयास करने चाहिए।

मारूति वैन में चलती है रूबीना की कपड़े की दुकान -

सीएम ने विभिन्न जिलों के स्व-सहायता समूह के सदस्यों से वर्चुअली संवाद भी किया। देवास जिले की जागरूकता आजीविका स्व-सहायता समूह की रूबीना बी ने बताया कि वे मजदूरी करती थी। इसके बाद समूह से जुडक़र उन्होंने गाँव में ही कपड़े की दुकान लगाना आरंभ किया। इससे हुई आय में वृद्धि से रूबीना ने मारूति वैन खरीदी। अब वे आसपास के गाँवों में भी कपड़े बेचने जाती हैं। समूह से जुडऩे के बाद अब उनकी प्रतिमाह आय 25 से 30 हजार रुपये के बीच है। मुख्यमंत्री ने रूबीना के संघर्ष और सफलता की कहानी सुन, उन्हें प्रोत्साहित करते हुए संपूर्ण प्रदेश के स्व-सहायता समूहों से कहा कि-"ताली बजाओ रूबीना के लिए।"

समाज की आवश्यकता के अनुरूप व्यवसायों में प्रशिक्षण लें महिलाएँ -

धार के जागृति आजीविका समूह की ममता सोनगरा ने बताया कि वे गाँव में साड़ी की दुकान के साथ ब्यूटी पार्लर का संचालन करती हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों के साथ गाँवों में आए सामाजिक और व्यक्तिगत बदलाव के परिणामस्वरूप गाँवों में भी ब्यूटी पार्लर की माँग बढ़ी है। अत: महिलाएँ, समाज की आवश्यकता के अनुरूप व्यवसायों में प्रशिक्षण लें। इससे ऐसे व्यवसायों में प्रशिक्षण लेकर गाँव में ही ब्यूटी पार्लर या अन्य ऐसे कार्य आरंभ किए जा सकते हैं।

रेस्टोरेंट में मामा भी आएगा और मामी को भी संग लाएगा -

श्योपुर जिले के महात्मा गांधी आजीविका स्व-सहायता समूह की सरोज बैरवा ए.एम. प्रसादम नाम से दीदी कैफे संचालित कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने जब ए.एम. का मतलब पूछा तो सरोज ने बहुत सहजता से बताया कि ए.एम. मतलब आजीविका मिशन है। मुख्यमंत्री ने सरोज बैरवा से दीदी कैफे के संचालन, उनके द्वारा बनाए जा रहे व्यंजनों के संबंध में विस्तार से चर्चा की। सरोज ने मुख्यमंत्री से मनुहार करते हुए कहा कि-"मामाजी आप रेस्टोरेंट जरूर पधारें।" इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि-"रेस्टोरेंट में मामा भी आएगा और मामी को भी संग लाएगा।"



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