बासमती चावल पर गहराया विवाद, पंजाब-मप्र आमने-सामने, शिवराज ने की निंदा

बासमती चावल पर गहराया विवाद, पंजाब-मप्र आमने-सामने, शिवराज ने की निंदा
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भोपाल। प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग को लेकर पंजाब और मध्यप्रदेश आमने -सामने आ गए है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा प्रदेश के बासमती चावल को मिलने वाली जीआई टैगिंग के विरोध में पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में दावा किया है की इससे पंजाब एवं अन्य राज्यों के हितों को नुकसान होगा। साथ ही उन्होंने ऐसा होने पर पाकिस्तान को भी लाभ मिलने की बात कही है।

राजनीति से प्रेरित है कदम

जिसके जवाब में मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर विरोध जताया है। मुख्यमंत्री चौहान ने अमरिंदर सिंह के इस कदम की निंदा करते हुए राजनीति से प्रेरित बताया है। मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट कर कहा की पंजाब की कांग्रेस सरकार की ओर से मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग देने के मामले में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की निंदा करता हूं और इसे राजनीति से प्रेरित मानता हूं।शिवराज ने कहा- मैं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से यह पूछना चाहता हूं कि आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बंधुओं से क्या दुश्मनी है? यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है।


मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट कर आगे कहा - पाकिस्तान के साथ एपेडा के मामले का मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह भारत के जीआई एक्ट के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से इसका कोई जुड़ाव नहीं है। पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं। भारत सरकार के निर्यात के आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। भारत सरकार वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है।

सिंधिया स्टेट' के रिकॉर्ड में दर्ज है

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में अंकित है कि वर्ष 1944 में प्रदेश के किसानों को बीज की आपूर्ति की गई थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राईस रिसर्च, हैदराबाद ने अपनी 'उत्पादन उन्मुख सर्वेक्षण रिपोर्ट' में दर्ज किया है कि मध्यप्रदेश में पिछले 25 वर्ष से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है।


चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी

मुख्यमंत्री चौहान ने दावा किया की मध्यप्रदेश को मिलने वाले जीआई टैगिंग मिलने से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा! मध्यप्रदेश के 13 ज़िलों में वर्ष 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है, इसका लिखित इतिहास भी है।






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