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17 को तय होगा बरैया या दिग्गी में कौन जाएगा राज्यसभा
भोपाल। प्रदेश से कांग्रेस की ओर से कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया के बीच कौन राज्यसभा में पहुंचेगा, इसका फैसला 17 जून को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में होगा। फिलहाल इसको लेकर कांग्रेस में द्वंद्व छिड़ गया है। राजनीतिक प्रेक्षकों की नजर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के फैसले पर टिकी हुई है।
राजनीतिक गलियारों में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि दिग्विजय सिंह से चल रही अनबन की खबरों के बीच कमलनाथ पहली प्राथमिकता किसे देंगे, दिग्विजय सिंह या फिर फूल सिंह बरैया को। दलित नेता फूलसिंह बरैया को टिकट देने के पीछे ग्वालियर-चंबल अंचल के जातिगत गणित को बताया जा रहा है। बदले राजनीतिक घटनाक्रम में मुरैना की जौरा विधानसभा के साथ बागी विधायकों की सीट पर भी उपचुनाव हो सकते हैं। इनमें भिंड-मुरैना, दतिया-शिवपुरी की छह सीटें आरक्षित हैं और यहां बरैया एक चिरपरिचित चेहरा है। ऐसे में सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद बरैया को यूं तरजीह देने से कांग्रेस के लिए कुछ हद तक डैमेज कंट्रोल हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के अंदर एक ऐसा धड़ा है जो दिग्विजय सिंह के स्थान पर फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजने की पैरवी कर रहा है और आगामी समय में होने वाले उपचुनाव के लिहाज से जरूरी भी मान रहा है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पिछले दिनों एक बैठक भी की थी और उस बैठक में प्रस्ताव पारित कर पार्टी हाईकमान को सुझाव दिया गया था कि बरैया को राज्यसभा उम्मीदवारी की प्राथमिकता में पहले स्थान पर रखा जाए। ग्वालियर-चंबल के क्षेत्रीय क्षत्रपों का भी यही कहना है कि बरैया को राज्यसभा में भेजने पर ग्वालियर-चंबल अंचल में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी को लाभ मिल सकता है। क्योंकि इस क्षेत्र में आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की संख्या चुनावी नतीजों को प्रभावित करने वाली है। इसी क्षेत्र के एक बड़े नेता का यह भी कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं और अब उन्हें पार्टी हित में आगे आकर बरैया को नंबर वन स्थान देने की पहल स्वयं करना चाहिए।
विस में विधायकों का गणित-
विधानसभा में विधायकों की स्थिति पर गौर करें तो सदन की सदस्य क्षमता 230 है। इनमें से 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं और दो विधायकों का निधन हो चुका है। कुल मिलाकर 24 स्थान रिक्त हैं। वर्तमान में 206 विधायक हैं, जिनमें से भाजपा के 107, कांग्रेस के 92 विधायक हैं। इसके अलावा बसपा, सपा और निर्दलीय के कुल सात विधायक हैं। राज्यसभा में जाने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को 52 वोट चाहिए। इन आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस की ओर से केवल एक ही नेता राज्यसभा में जा सकता है।