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एक पुलिस अधिकारी ने उठाया सुरक्षा को मौलिक अधिकार बनाने का बीड़ा
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भोपाल/वेब डेस्क। पुलिसिंग में अहम पदों पर रहकर कई नवाचार करके पुलिस कर्मियों के जीवन में बदलाव लाने वाले भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मैथिली शरण गुप्त ने अब आम जनता के लिए एक खास तरह की मुहिम की शुरूआत की है। गुप्त की यह मुहिम सोशल मीडिया पर जोर शोर से चल रही है, जिसे जमकर जन समर्थन भी हासिल हो रहा है। दरअसल गुप्त ने एक खास यू ट्यूब चैनल अपराध मुक्त भारत (क्राइम फ्री भारत) के जरिए अपनी इस मुहिम की नींव रखी, जिसका उद्देश्य इस बात को राष्ट्र के नीति नियंताओं के सामने रखना है, कि सुरक्षा का अधिकार देना किसी भी सरकार का मौलिक कर्तव्य होना चाहिए और बिना इसके किसी भी राष्ट्र के नागरिक एक बेहतर जीवन नहीं जी सकते, लिहाजा जब संविधान ने आम जनता को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार दिया है, तो उसकी जरूरत को समझते हुए सुरक्षा का अधिकार भी जरूरी है।
मध्यप्रदेश के विशेष महानिदेशक मैथिलीशरण गुप्त यूं तो भारतीय पुलिस सेवा के 1984 संवर्ग वरिष्ठ अधिकारी हैं। वर्तमान में पुलिस रिफॉर्म की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। मैथिली शरण गुप्त की यह कोशिश इसलिए काफी खास हो जाती है, क्योंकि कोई भी नौकरशाह अक्सर व्यवस्था को लेकर अपनी मुखरता से परहेज करता नजर आता है, लेकिन गुप्त की यह मुहिम समूची व्यवस्था में ही बदलाव की भावना के साथ शुरू की गई है, जिसे वह जनांदोलन बनाने की हर संभव कोशिश करते नजर आ रहे हैं। गुप्त को व्यापक स्तर पर मिल रहा जनसमर्थन कहीं न कहीं उनकी शुरूआती सफलता को भी रेखांकित कर रहा है, लिहाजा ऐसे नवाचार पर चर्चा होने के साथ उसके परिणामों पर मंथन करना भी जरुरी हो जाता है, जिसे हम व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की बुनियाद के तौर पर देख सकते हैं।
किस तरह से संचालित हो रही मुहिम
जैसा कि हमने बताया, कि मैथिली शरण गुप्त ने अपनी इस मुहिम के संचालन के लिए सोशल प्लेटफॉर्म को अपना जरिया बनाया है और अपराध मुक्त भारत (क्राइम फ्री भारत) नाम के यू ट्यूब चैनल के जरिए अपनी बात को लोगों के सामने रखकर वो इस मुहिम के लिए जनसमर्थन हासिल कर रहे हैं। इसके तहत देश के उन नागरिकों को खुद से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जो व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव देखना चाहते हैं। इसके अलावा मुहिम से जुड़ने वाले हर शख्स से पांच और लोगों को इससे जोड़ने की अपेक्षा की जा रही है। गुप्त की सोच है कि सामाजिक भागीदारीके जरिए पांच लक्ष्यों को हासिल कर लिया जाए, तो अपराध मुक्त भारत (क्राइम फ्री भारत) की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। इनमें अपराधों का पंजीयन, हर अपराधी की गिरफ्तारी, सजा और अपराधी के पुनर्वास पर सौ प्रतिशत काम करना होगा।
क्या सोचते हैं?
संविधान ने हमें अनुच्छेद 21 के तहत राइट टू लाइफ दिया है। इस अधिकार को परिभाषित करते हुए सर्चोच्च न्यायालय ने इस बात को इंगित किया है, कि जीने के अधिकार का मतलब पशु तुल्य जीवन नहीं, बल्कि गरिमामयपूर्ण मानवीय जीवन है और यह तब तक अधूरा है, जब तक आम आदमी को सेफ्टी और सिक्योरिटी का अधिकार नहीं मिले और इसके लिए एक मास मूवमेंट काफी जरूरी है।
मैथिली शरण गुप्त, विशेष महानिदेशक