डॉ. मोहन यादव के निर्णय जो बता रहे उनकी संवेदनशीलता

डॉ. मोहन यादव के निर्णय जो बता रहे उनकी संवेदनशीलता
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डॉ. मोहन यादव के संवेदनशील निर्णय

भोपाल। मध्‍यप्रदेश में भाजपा की सरकार को अभी पुन: सत्‍ता में आए कुछ दिन ही बीते हैं और इन कुछ दिनों में मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जिस तरह से एक के बाद एक कठोर किंतु जनता के हित में निर्णय लिए हैं, वे उन्‍हें न सिर्फ एक संवेदनशील मुख्‍यमंत्री सिद्ध कर रहे हैं बल्‍कि भाजपा के केन्‍द्रीय नेतृत्‍व पर जिस तरह से कुछ लोग उंगली उठाने का प्रयास कर रहे थे, उन सभी के प्रश्‍नों पर यहां विराम भी लगा देते हैं । एक तरह से देखें तो अभी एक माह भी सीएम पद की शपथ लिए उन्‍हें नहीं हुए हैं। फिर भी पहले दिन से उन्‍होंने जैसे निर्णय लेना जारी रखा है, वे निश्‍चित ही उन्‍हें प्रदेश का एक श्रेष्‍ठ मुखिया प्रदर्श‍ित करते हैं, वैसे संत तुलसी ने कहा भी है -

मुखिआ मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक।
पालइ पोषइ सकल अँग तुलसी सहित बिबेक॥

अभी हाल ही में एक खबर आई कि प्रदेश में अवैध रूप से चल रहे एक ईसाई चिल्ड्रेन होम से 26 बच्‍च‍ियां गायब हो गई हैं। खबर चले अभी 24 घण्‍टे भी नहीं बीते थे कि मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म एक्‍स के जरिए यह सूचना दे दी थी कि सभी बच्‍च‍ियों को खोज लिया गया है और वे सभी अपने घरों में सुरक्षित हैं। इसके साथ उन्‍होंने जो एक पंक्‍ति इससे जोड़ी वह थी, दोषियों को बख्‍शा नहीं जाएगा, सभी पर कठोर कार्रवाई होगी । वास्‍तव में यह दूसरी पंक्‍ति में जो उन्‍होंने कहा, वह बहुत महत्‍व रखता है, रामचरित मानस में संत तुलसी का भी कथन है -

विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।।

लोकप्रशासन में शासन का भय प्रशासन को रहना ही चाहिए । जब यह कम होता है या नहीं रहता तो भारतेन्‍दु हरिश्चंद्र जैसे साहित्‍यकारों को 'अंधेर नगरी चौपट राजा' जैसी रचनाएं लिखनी पड़ती हैं और समाज के व्‍यवहार में भी वैसा ही होता हुआ दिखाई देता है जैसा तत्‍कालीन समय में राजा का आचरण होता है। यह सुखद है कि धार्म‍िक स्‍थानों से अधिक ऊंची आवाज निकालनेवाले लाउडस्‍पीकर्स लगानेवालों को उनकी सीमा रेखा बता दी गई है। नियमों का पालन तो वैसे वर्षों से करना अनिवार्य रहा, किंतु देखा यही गया कि मध्‍यप्रदेश में जैसे कोई इस संबंध में नियम ही नहीं हों, पर अब ऐसा नहीं दिखता। नियमों का पालन भी होने लगा है और इन नियमों को लेकर समाज के बीच स्‍वप्रेरणा से इनके पालन की सद् इच्‍छा भी दिखती है।

मोहन सरकार ने अति महत्वपूर्ण 'रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना' को स्वीकृति प्रदान की है। इस योजना के तहत मोटा अन्न उत्पादन करने वालों को 10 रुपये प्रति किलो प्रोत्साहन राशि प्रदान दिया जाना तय है । यह प्रोत्साहन राशि किसानों के बैंक खातों में सीधे जमा की जाएगी। इस निर्णय से एक ओर सामान्‍य एवं कम जोत के कास्‍तकारों को आर्थ‍िक लाभ पहुंचेगा, वहीं मोटे अनाज की उत्‍पादकता में बढ़ोत्‍तरी होगी। इसके साथ ही सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के पाठ्यक्रम में रानी अवंतिका बाई लोधी और रानी दुर्गावती के जीवन की प्रेरणादाई विषय समाहित कर लेने का मतलब है कि आज की पीढ़ी को अपने होने का सही तरीके से परिचय कराया जाए, वह जान सके कि किस त्‍याग और समर्पण का यह परिणाम है कि वे आज अपना अस्‍तित्‍व बनाए हुए हैं।

इसी बीच उनका एक फैसला याद आता है, जिसमें उन्‍होंने शाजापुर के कलेक्टर किशोर कन्याल को इसलिए जिलाधीश जैसे महत्‍वपूर्ण पद से हटा दिया क्‍योंकि अपनी परेशानी लेकर आए ट्रक डाइवरों को ''तुम्हारी क्या औकात है'' कहते हुए सुना गया था। सीएम यादव ने इस कार्रवाई से सरकारी अधिकारियों को सख्त संदेश दे दिया है कि अगर वे जनता के साथ सही तरीके से पेश नहीं आते हैं तो आगे भी इसी तरह की कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। उन्‍होंने साफ कह दिया है ''जिस प्रकार से भाषा बोली गई है, एक अधिकारी का ऐसी भाषा बोलना उचित नहीं ।...हर एक अधिकारी को… चाहे वो जितना भी बड़ा अधिकारी हो, उसे काम का सम्मान करना चाहिए और भाव का भी सम्मान करना चाहिए। इसलिए मनुष्यता के नाते ऐसी भाषा कम-से-कम हमारी सरकार में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मैं खुद मजदूर का बेटा हूँ। इस नाते मैं उम्मीद करता हूँ कि अगर इस तरह से अधिकारी भाषा बोलते हैं तो उनको मैदान में रहने का अधिकार नहीं है।''

वस्‍तुत: इस निर्णय से साफ है कि मप्र की मोहन सरकार अफसरशाही के आम लोगों से बुरे बर्ताव को बख्शने के मूड में बिल्‍कुल भी नहीं है। अभी तत्‍काल में देखा गया कि कैसे राज्‍य की राजधानी में सरकार की आंख के नीचे ईसाई मतान्‍तरण का खेल खेला जा रहा था ! जो यह करनेवाले थे, उनकी भोली सूरते बहुत ही चालाकी से नेता, अधिकारियों एवं आम जनता के बीच यह भ्रम फैलाकर रखने में कामयाब होती रहीं कि वह तो सेवा का कार्य कर रहे हैं, गरीब बच्‍च‍ियों को शिक्षा दे रहे हैं, किंतु इस भोलेपन के पीछे कितना बड़ा षड्यंत्र चल रहा था ? इसका खुलासा अब जाकर हो सका है।

देखाजाए तो मोहन सरकार के आते ही एक झटके में पर्दाफाश हो गया । यहां वर्षों से ईसाई मत की प्रैक्‍टिस कराने वालों ने कानूनी तौर पर आज स्‍वीकार्य किया है कि वह बहुसंख्‍यक हिन्‍दू समाज के गरीब परिवारों की मजबूरी का लाभ उठाकर उन्‍हें ईसाई बनाने के लिए तैयार कर रहे थे। आंचल चिल्ड्रेन होम्‍स का संचालन करनेवाला अनिल मैथ्यू आज जेल में है। इसने अपना जुर्म भी स्‍वीकार्य कर लिया है। आज अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छे आहार के विचार को क्रियान्वित किया जा रहा है। जन-स्वास्थ्य रक्षा सरकार की प्राथमिकता है। इस नाते गत कुछ सप्ताह में खुले में खाद्यान्न सामग्री बेचने और अस्वच्छ तरीके से माँसाहार के विक्रय पर अंकुश के लिए 25 हजार से अधिक दोषी लोगों को दंडित किया गया है।

डॉ. मोहन यादव का कहना भी है, ''नागरिकों को अच्छा स्वास्थ्य देना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।...भारत सरकार प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज के लिए संकल्पबद्ध है। इसके साथ ही प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज हो, इस दिशा में राज्य सरकार भरपूर प्रयास करेगी। समाज के गरीब वर्ग के साथ महिलाओं, किसानों और युवाओं के कल्याण को समान महत्व देते हुए योजनाएं क्रियान्वित होंगी।'' इसके साथ ही इस दिशा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में फूड स्ट्रीट प्रसादम एवं स्वास्थ्य संस्थाओं के शुभारंभ कार्यक्रम की एक नई शुरूआत की है । उज्जैन फूड स्ट्रीट (प्रसादम) यह देश की पहली हेल्दी एंड हाइजैनिक फूड स्ट्रीट है। इसी तरह से सरकार आगे प्रत्‍येक जिले एवं अन्‍य मुख्‍य स्‍थानों पर इसको आरंभ करेगी।

इसी प्रकार का एक निर्णय जनजाति एवं अजा समाज को आर्थ‍िक सुदृता प्रदान करने के लिए तेंदुपत्ता संग्राहकों को प्रति बोरा चार हजार रुपए दिए जाने का सामने आया । सीधे 25 प्रतिशत राशि में बढ़ोत्‍तरी यह बताने के लिए पर्याप्‍त है कि सरकार ने 165 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार राज्‍य पर आना स्‍वीकार्य किया, किंतु इसमें हित सुदूर ग्रामीण एवं जंगली क्षेत्र में रहनेवालों का मुख्‍यमंत्री यादव ने पहले देखा। ऐसे ही उनका यह निर्णय भी सराहनीय है जिसमें उन्‍होंने ग्वालियर व्यापार मेले में पुन: उसकी प्राचीन भव्‍यता लौटाने के लिए प्रतिबद्धता दर्शायी है और इसकी शुरूआत ऑटोमोबाइल बिक्री सेल्स टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट देकर कर दी है। वे कहते भी हैं कि ये सरकार गरीबों की सरकार है। यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हम गरीब उत्थान के लिए काम करते हैं, और जो वह ये कह रहे हैं, उसे व्‍यवहार में होते हुए देखने पर कहना यही होगा कि आज प्रदेशवासियों को उनके लिए जा रहे निर्णयों से सुखद अनुभूति हो रही है ।

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